लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध पांच जिलों के सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेजों के सामने नया संकट खड़ा हो गया है. इन कॉलेजों में कई विद्यार्थियों ने बीते सेमेस्टर परीक्षा के बाद प्रवेश ही नहीं लिया है. कॉलेजों की ओर से संपर्क करने पर विद्यार्थियों का कहना है कि उनके पास आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए फीस की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में वह पढ़ाई जारी नहीं रख सकते. ऐसे में लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध कई वित्तविहीन महाविद्यालयों में दूसरे व तीसरे वर्ष में सीटें खाली रहने का संकट गहरा गया है.
महाविद्यालयों का कहना है कि अगर सीटें खाली रहेंगी तो उनका महाविद्यालय आर्थिक संकट से घिर जाएगा. लखनऊ विश्वविद्यालय में मौजूदा समय में 545 डिग्री कॉलेज सम्बद्ध हैं. जिसमें करीब 425 से अधिक डिग्री कॉलेज वित्तविहीन हैं. इन डिग्री कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या एक लाख से अधिक है. समाज कल्याण विभाग ने सभी विश्वविद्यालय व एफिलिएटिंग संस्थाओं की ओर से स्कॉलरशिप का डाटा फॉरवर्ड ना होने के कारण ओबीसी व एससी-एसटी वर्ग के करीब आठ लाख से अधिक छात्रों की स्कॉलरशिप नहीं जारी किया है. स्कॉलरशिप नहीं आने का असर कॉलेजों पर पड़ा है.
लखनऊ विश्वविद्यालय संबंद्ध डिग्री कॉलेज शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय का कहना है कि समाज कल्याण विभाग की ओर से इस बार लाखों की संख्या में ओबीसी व एससी-एसटी वर्ग के छात्रों को स्कॉलरशिप नहीं दिया गया है. ऐसे में फीस के अभाव में यह छात्र आगे की पढ़ाई जारी नहीं रखना चाह रहे हैं. कॉलेजों का कहना है कि जब उन्होंने विद्यार्थियों से संपर्क किया तो विद्यार्थियों का कहना है कि अभी पिछले सेमेस्टर का ही फीस समाज कल्याण विभाग से नहीं जारी हुई है. ऐसे में वह आगे की फीस जमा करने में सक्षम नहीं है. जब स्कॉलरशिप आएगी तब वह आगे की पढ़ाई जारी रख सकते हैं.
डॉ. पांडेय ने बताया कि सीतापुर, लखीमपुर व हरदोई के दर्जनों विभिन्न डिग्री कॉलेज ऐसे हैं. जहां पर छात्र संख्या में 25 से 30% तक की गिरावट दर्ज हुआ है. समाज कल्याण विभाग की ओर से ओबीसी वर्ग के ही करीब 30 लाख से अधिक विद्यार्थियों के स्कॉलरशिप उनके विश्वविद्यालय व संस्थानों द्वारा डाटा फॉरवर्ड न करने के कारण लटक गया है. जबकि एससी व एसटी वर्ग के विद्यार्थियों के स्कॉलरशिप भी इसी लापरवाही के कारण लटक गया था. प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों की ओर से आपत्ति दर्ज कराने के बाद समाज कल्याण विभाग ने बीते 15 अप्रैल से एससी एसटी वर्ग के विद्यार्थियों को दोबारा से स्कॉलरशिप देने के लिए पोर्टल ओपन कर दिया है. इससे उम्मीद की जा रही है कि कॉलेजों में जो सीटें खाली हो गईं उसमें थोड़ा सुधार होगा. डॉ. पांडेय ने बताया कि लखीमपुर में करीब आधा दर्जन डिग्री कॉलेज ऐसे हैं. जहां पर छात्रों की संख्या कई डिग्री कॉलेजों में आधी रह गई है.
लुआक्टा के महामंत्री डॉ. अंशु केडिया ने बताया कि खुद उनके डिग्री कॉलेज में ही कई विद्यार्थी ऐसे हैं जिनकी समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति नहीं जारी की हुई है. सबसे ज्यादा समस्या पहले साल के विद्यार्थियों के सामने है. उनके सामने आगे की पढ़ाई कैसे करें इसकी समस्या खड़ी हो गई है. ऐसे में अगले दो सालों तक इन कॉलेजों में सीटें खाली रहने से आर्थिक नुकसान होगा. खास तौर पर ग्रामीण परिवेश के डिग्री कॉलेजों में बीच सत्र में ही पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या सबसे अधिक है. वहीं इस पूरे मामले पर विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि छात्रवृत्ति की समस्या के कारण कॉलेजों में छात्रों की संख्या घट रही है. कॉलेजों की ओर से शिकायत मिली है कि छात्रवृत्ति न मिलने के कारण बीते सेमेस्टर परीक्षा के बाद छात्र अगले सेमेस्टर की पढ़ाई करने के लिए कॉलेज नहीं आ रहे. जिन छात्रों को स्कॉलरशिप नहीं मिली है. उन्होंने अगले सेमेस्टर में अपना पंजीकरण नहीं कराया है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने डिग्री कॉलेजों को निर्देश दिया है कि ऐसे सभी छात्रों से संपर्क कर उन्हें पढ़ाई जारी रखने को कहे.