लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय के विधिक सहायता केंद्र की ओर से गुरुवार को राजधानी के जानकीपुरम स्थिति सेंट मैरी इंटर कॉलेज में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में महिलाओं को यौन उत्पीड़न (निवारण, प्रतिबंध और प्रतिशोध) अधिनियम 2013 के बारे में बताया गया. इस कार्यशाला में विधिक सहायता केंद्र के सदस्य देवांग, हर्ष , यशवर्धन, राहुल, सौरभ, नवदीप, कृतिका, संजली, नैना और सेंट मैरी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य, शिशक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.
यौन उत्पीड़न सहना अभिशाप
इस कार्यशाला में महिलाओं को यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जागरुक किया गया. विधिक सहायता केंद्र के वक्ता देवांग ने कहा कि यौन उत्पीड़न को सहना सही नहीं है क्योंकि यह सहना अभिशाप है. सरकार ने महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचने के लिए कई नियम-कानून बनाए हैं. इन नियमों का उपयोग करके यौन उत्पीड़न के मामलों में आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की करनी चाहिए.
पीड़ित महिलाओं की प्रारंभिक स्तर पर जांच
कार्यक्रम के अगली कड़ी में विधिक सहायता केंद्र के दूसरे वक्ता हर्ष ने आंतरिक शिकायत समिति और स्थानीय शिकायत समिति पर जोर दिया. उन्होनें कहा कि किसी भी संस्था या समाज के लिए एक आंतरिक तथा स्थानीय शिकायत समिति की स्थापना करनी चाहिए. इन समितियों के माध्यम से शिकायकर्ता महिलाओं की प्रारंभिक स्तर पर जांच भी की जा सकती है और इन्हें उचित न्याय प्रदान किया जा सकता है. हर्ष ने बताया कि, किसी यौन उत्पीड़न घटना के होने के 90 दिन के अंदर शिकायत, आंतरिक शिकायत समिति या स्थानीय शिकायत समिति में दर्ज करानी होती है.
90 दिनों के बाद भी दर्ज करा सकते हैं शिकायत
इस पर विद्यालय की ही एक छात्रा खुशी सिंह ने एक प्रश्न पूछा कि यदि हम यौन उत्पीड़न के 90 दिनों के बाद शिकायत दर्ज कर सकते हैं. वक्ता हर्ष ने बताया की आप 90 दिन के बाद भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती हैं, लेकिन उसके लिए कारण बताना पड़ेगा. इसके बाद हर्ष ने सेंट मैरी इंटर कॉलेज के प्राचार्य से अनुरोध किया कि स्कूल में एक आंतरिक शिकायत समिति कि स्थापना की जाए, क्योंकि समाज को इसकी बहुत आवश्यकता है.
शरीर एक मंदिर कि तरह है
इसके बाद कार्यक्रम के आखिरी पड़ाव में सेंट मैरी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य केविन यरनॉल्ड उकोस्ता ने कहा कि हमें अपने अधिकारों के बारे में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि हमारा शरीर एक मंदिर कि तरह होता है, इसलिए हमें अपने शरीर को मंदिर के भांति ही बनाई रखनी चाहिए. इसका मतलब हमें यौन उत्पीड़न के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और नियम और कानूनों के प्रति जागरूक रहना चाहिए.