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लखनऊ: लविवि के लेक्चरर नीरज जैन का नाम 'वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में दर्ज

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Published : Jul 28, 2020, 9:58 AM IST

उत्तर प्रदेश के लखनऊ के फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट में लेक्चरर पद पर तैनात डॉ. नीरज जैन का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स दर्ज हुआ है. इसका श्रेय उन्होंने अपनी पत्नी को दिया. साथ लखनऊ यूनिवर्सिटी का भी शुक्रिया अदा किया.

डॉ. नीरज जैन
डॉ. नीरज जैन

लखनऊ: दुनिया भर में नए-नए करतब कीर्तिमान को दर्ज करने के लिए कुछ संस्थान रेफरेंस सेंटर यानी संदर्भ केंद्र के रूप में काम करते हैं और इसमें नाम दर्ज करवाने के लिए लोग तमाम तरह के जतन भी करते हैं. इसी सिलसिले में लखनऊ विश्वविद्यालय के एक शिक्षक का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ है. उनका नाम 'प्रमोशन आफ एजुकेशन एंड यूथ लीडरशिप' के लिए दर्ज किया गया है. खास बात यह है कि डॉक्टर नीरज जैन विश्व के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके नाम पर यह रिकॉर्ड दर्ज हुआ है.

डॉ. नीरज लेक्चरर पद पर हैं तैनात
डॉक्टर नीरज जैन लखनऊ विश्वविद्यालय के फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट में लेक्चरर पद पर तैनात है. इसके साथ ही वह वर्तमान में लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के अध्यक्ष भी हैं. वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाने के बारे में वह कहते हैं कि इसके लिए उन्हें कई महीनों का इंतजार करना पड़ा. अपने सभी तरह के विश्वसनीय पत्रों को जमा करने और उनके तस्दीक होने के बाद ही उनका नाम इस रिकॉर्ड के लिए चयनित किया गया.

डॉ. नीरज जैन
प्रमोशन ऑफ एजुकेशन एंड यूथ लीडरशिप में दर्ज हुआ नामडॉ. नीरज जैन के नाम पर यह रिकॉर्ड प्रमोशन ऑफ एजुकेशन एंड यूथ लीडरशिप के लिए दर्ज किया गया है. वह कहते हैं कि या रिकॉर्ड जो मेरे नाम पर दर्ज हुआ है. इसमें वे लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र संघ के महामंत्री और अध्यक्ष के रूप में रहे हैं और उसके बाद शिक्षक संघ के महामंत्री और वर्तमान में अध्यक्ष के रूप में आसीन हुए. उनका कहना है कि किसी भी विश्वविद्यालय में उनसे पहले एक ही व्यक्ति दोनों पदों पर आज तक नहीं रहा है.

लखनऊ विश्वविद्यालय का किया शुक्रिया
यानी छात्र संघ और शिक्षक संघ में अब तक उनसे पहले किसी का नाम नहीं आया है. उनके लिए यह गौरव की बात है कि मैं छात्र संघ और शिक्षक संघ दोनों के ही अध्यक्ष के पद पर रहे हैं. वह कहते हैं कि इस रिकॉर्ड की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए वे काफी समय से प्रयासरत थे और सभी तरह की जानकारियां देने के बाद जब यह रिकॉर्ड उनके नाम पर दर्ज हुआ है तो उन्होंने देश का शुक्रिया किया और इसके साथ ही लखनऊ विश्वविद्यालय का भी शुक्रिया किया. वह कहते हैं कि यह रिकॉर्ड उन्हें नहीं बल्कि लखनऊ विश्वविद्यालय को मिला है. अगर लखनऊ विश्वविद्यालय उन्हें प्रवेश नहीं देता तो शायद यह गौरव कभी उनके नाम पर नहीं होता.

राष्ट्रीय स्तर पर किए थे कई आंदोलन
अपने छात्र संघ के अनुभव को साझा करते हुए और इतिहास को बताते हुए डॉ. नीरज जैन कहते हैं कि जब वे छात्र संघ में थे तो उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कई आंदोलन किए थे. इनमें से एक प्रमुख आंदोलन 10 फरवरी 1987 को किया गया था. वह बताते हैं कि 3 फरवरी 1987 को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के महामंत्री ओमप्रकाश सिंह पर तत्कालीन प्रदेश सरकार के अधीनस्थ प्रशासन की ओर से लाठीचार्ज किया गया था. इस पूरे मामले पर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 50 हजार छात्र-छात्राओं के साथ मिलकर विधानसभा का घेराव किया था. एक अन्य अनुभव के बारे में डॉक्टर जैन कहते हैं कि सन 1991 के आसपास एंटी मंडल कमीशन का एक वृहद मोमेंट हुआ था. इसमें उन्होंने नेशनल डिप्टी कोऑर्डिनेटर की भूमिका निभाई थी और इस आंदोलन को उन्होंने बहुत खूबसूरती से चलाया था. यह उनका इतिहास रहा है.

डॉ. जैन का नाम दर्ज हुआ वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स
डॉ. जैन की ओर से पहली बार इतिहास में यह रिकॉर्ड दर्ज हुआ है. इसे तोड़ने के बारे में डॉक्टर जैन कहते हैं कि वे यह तो नहीं कह सकते कि इस रिकॉर्ड को तोड़ पाना कितना मुश्किल होगा, लेकिन इतने वर्षों तक विश्वविद्यालय में टिके रहकर अपनी बात को दृढ़ता से निभा पाना काफी मुश्किल होता है. उनकी लड़ाई हमेशा से ही जातिवाद क्षेत्रवाद जैसे तमाम तरह के वादों के खिलाफ रही है. इसके अलावा छात्र संघ के महामंत्री बनने के दौरान भी उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था और शिक्षक संघ के महामंत्री के दौरान भी वे काफी संघर्षरत रहा. डॉक्टर जैन कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की राजधानी का यह विश्वविद्यालय है. यहां पर राजनीतिक गतिविधियां एक बड़े पैमाने पर होती हैं और हर बड़ी पार्टी का स्टूडेंट यूनियन यहां पर पाया जाता है. ऐसे में खुद को खड़ा कर पाना यहां बेहद मुश्किल होता है और उन्होंने यह कर दिखाया है.

पहली यूनिवर्सिटी जहां 5:30 बजे से ही शुरू हो जाती हैं कक्षाएं
फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के बारे में डॉक्टर जैन कहते हैं कि भारत ही नहीं एशिया की यह पहली यूनिवर्सिटी है जहां पर सुबह 5:30 बजे से ही कक्षाएं शुरू हो जाती है. यह अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. फिजिकल एजुकेशन को हमारा विश्वविद्यालय आज उस स्थान पर लेकर गया है, जहां अब तक कोई भी यूनिवर्सिटी नहीं लेकर आ पाई है. इसके अलावा फिजिकल एजुकेशन के डिपार्टमेंटल लाइब्रेरी में लगभग एक करोड़ रुपये से भी अधिक की किताबें मौजूद हैं. यहां पर फिजिकल एजुकेशन की ऐसी कोई भी किताब, मैगजीन या जनरल नहीं है जो मौजूद न हो और उन्होंने यह डिपार्टमेंट के अन्य शिक्षकों और अपने कलीग के साथ मिलकर बनाया है.

डॉ. नीरज जैन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज भी अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपनी पत्नी डॉक्टर अल्पना बाजपेई और डॉ. अवधेश शुक्ला और गणेश शंकर पांडे समेत कुछ अन्य साथियों को देते हैं.

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स- कीर्तिमान को दर्ज करने वाली दुनिया की सबसे पुरानी पुस्तक है, जिसका प्रकाशन लगातार लोकप्रिय होता गया. यह दुनिया की कई भाषाओं में प्रकाशित होती है. इसका प्रकाशन 1950 के दशक से जिम पैटिसन समूह की ओर से शुरू किया गया था.

लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स- यह दुनिया के लोकप्रिय रिकॉर्ड्स बुक में शामिल है. इसका पहली बार प्रकाशन 1990 में किया गया था क्योंकि लिम्का अमेरिका के अटलांटा मुख्यालय वाली कंपनी कोका कोला का ही एक ब्रांड है तो लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का स्वामित्व भी उसके पास ही है.

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स- यह ब्रिटेन की संस्था के तत्वावधान में प्रकाशित होने वाली रिकॉर्ड पुस्तिका है. इसकी स्थापना 2017 में लंदन में हुई थी. यह अपेक्षाकृत नई संस्था है जो तेजी से अपनी पैठ बना दी जा रही है.

लखनऊ: दुनिया भर में नए-नए करतब कीर्तिमान को दर्ज करने के लिए कुछ संस्थान रेफरेंस सेंटर यानी संदर्भ केंद्र के रूप में काम करते हैं और इसमें नाम दर्ज करवाने के लिए लोग तमाम तरह के जतन भी करते हैं. इसी सिलसिले में लखनऊ विश्वविद्यालय के एक शिक्षक का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ है. उनका नाम 'प्रमोशन आफ एजुकेशन एंड यूथ लीडरशिप' के लिए दर्ज किया गया है. खास बात यह है कि डॉक्टर नीरज जैन विश्व के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके नाम पर यह रिकॉर्ड दर्ज हुआ है.

डॉ. नीरज लेक्चरर पद पर हैं तैनात
डॉक्टर नीरज जैन लखनऊ विश्वविद्यालय के फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट में लेक्चरर पद पर तैनात है. इसके साथ ही वह वर्तमान में लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के अध्यक्ष भी हैं. वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाने के बारे में वह कहते हैं कि इसके लिए उन्हें कई महीनों का इंतजार करना पड़ा. अपने सभी तरह के विश्वसनीय पत्रों को जमा करने और उनके तस्दीक होने के बाद ही उनका नाम इस रिकॉर्ड के लिए चयनित किया गया.

डॉ. नीरज जैन
प्रमोशन ऑफ एजुकेशन एंड यूथ लीडरशिप में दर्ज हुआ नामडॉ. नीरज जैन के नाम पर यह रिकॉर्ड प्रमोशन ऑफ एजुकेशन एंड यूथ लीडरशिप के लिए दर्ज किया गया है. वह कहते हैं कि या रिकॉर्ड जो मेरे नाम पर दर्ज हुआ है. इसमें वे लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र संघ के महामंत्री और अध्यक्ष के रूप में रहे हैं और उसके बाद शिक्षक संघ के महामंत्री और वर्तमान में अध्यक्ष के रूप में आसीन हुए. उनका कहना है कि किसी भी विश्वविद्यालय में उनसे पहले एक ही व्यक्ति दोनों पदों पर आज तक नहीं रहा है.

लखनऊ विश्वविद्यालय का किया शुक्रिया
यानी छात्र संघ और शिक्षक संघ में अब तक उनसे पहले किसी का नाम नहीं आया है. उनके लिए यह गौरव की बात है कि मैं छात्र संघ और शिक्षक संघ दोनों के ही अध्यक्ष के पद पर रहे हैं. वह कहते हैं कि इस रिकॉर्ड की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए वे काफी समय से प्रयासरत थे और सभी तरह की जानकारियां देने के बाद जब यह रिकॉर्ड उनके नाम पर दर्ज हुआ है तो उन्होंने देश का शुक्रिया किया और इसके साथ ही लखनऊ विश्वविद्यालय का भी शुक्रिया किया. वह कहते हैं कि यह रिकॉर्ड उन्हें नहीं बल्कि लखनऊ विश्वविद्यालय को मिला है. अगर लखनऊ विश्वविद्यालय उन्हें प्रवेश नहीं देता तो शायद यह गौरव कभी उनके नाम पर नहीं होता.

राष्ट्रीय स्तर पर किए थे कई आंदोलन
अपने छात्र संघ के अनुभव को साझा करते हुए और इतिहास को बताते हुए डॉ. नीरज जैन कहते हैं कि जब वे छात्र संघ में थे तो उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कई आंदोलन किए थे. इनमें से एक प्रमुख आंदोलन 10 फरवरी 1987 को किया गया था. वह बताते हैं कि 3 फरवरी 1987 को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के महामंत्री ओमप्रकाश सिंह पर तत्कालीन प्रदेश सरकार के अधीनस्थ प्रशासन की ओर से लाठीचार्ज किया गया था. इस पूरे मामले पर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 50 हजार छात्र-छात्राओं के साथ मिलकर विधानसभा का घेराव किया था. एक अन्य अनुभव के बारे में डॉक्टर जैन कहते हैं कि सन 1991 के आसपास एंटी मंडल कमीशन का एक वृहद मोमेंट हुआ था. इसमें उन्होंने नेशनल डिप्टी कोऑर्डिनेटर की भूमिका निभाई थी और इस आंदोलन को उन्होंने बहुत खूबसूरती से चलाया था. यह उनका इतिहास रहा है.

डॉ. जैन का नाम दर्ज हुआ वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स
डॉ. जैन की ओर से पहली बार इतिहास में यह रिकॉर्ड दर्ज हुआ है. इसे तोड़ने के बारे में डॉक्टर जैन कहते हैं कि वे यह तो नहीं कह सकते कि इस रिकॉर्ड को तोड़ पाना कितना मुश्किल होगा, लेकिन इतने वर्षों तक विश्वविद्यालय में टिके रहकर अपनी बात को दृढ़ता से निभा पाना काफी मुश्किल होता है. उनकी लड़ाई हमेशा से ही जातिवाद क्षेत्रवाद जैसे तमाम तरह के वादों के खिलाफ रही है. इसके अलावा छात्र संघ के महामंत्री बनने के दौरान भी उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था और शिक्षक संघ के महामंत्री के दौरान भी वे काफी संघर्षरत रहा. डॉक्टर जैन कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की राजधानी का यह विश्वविद्यालय है. यहां पर राजनीतिक गतिविधियां एक बड़े पैमाने पर होती हैं और हर बड़ी पार्टी का स्टूडेंट यूनियन यहां पर पाया जाता है. ऐसे में खुद को खड़ा कर पाना यहां बेहद मुश्किल होता है और उन्होंने यह कर दिखाया है.

पहली यूनिवर्सिटी जहां 5:30 बजे से ही शुरू हो जाती हैं कक्षाएं
फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के बारे में डॉक्टर जैन कहते हैं कि भारत ही नहीं एशिया की यह पहली यूनिवर्सिटी है जहां पर सुबह 5:30 बजे से ही कक्षाएं शुरू हो जाती है. यह अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. फिजिकल एजुकेशन को हमारा विश्वविद्यालय आज उस स्थान पर लेकर गया है, जहां अब तक कोई भी यूनिवर्सिटी नहीं लेकर आ पाई है. इसके अलावा फिजिकल एजुकेशन के डिपार्टमेंटल लाइब्रेरी में लगभग एक करोड़ रुपये से भी अधिक की किताबें मौजूद हैं. यहां पर फिजिकल एजुकेशन की ऐसी कोई भी किताब, मैगजीन या जनरल नहीं है जो मौजूद न हो और उन्होंने यह डिपार्टमेंट के अन्य शिक्षकों और अपने कलीग के साथ मिलकर बनाया है.

डॉ. नीरज जैन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज भी अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपनी पत्नी डॉक्टर अल्पना बाजपेई और डॉ. अवधेश शुक्ला और गणेश शंकर पांडे समेत कुछ अन्य साथियों को देते हैं.

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स- कीर्तिमान को दर्ज करने वाली दुनिया की सबसे पुरानी पुस्तक है, जिसका प्रकाशन लगातार लोकप्रिय होता गया. यह दुनिया की कई भाषाओं में प्रकाशित होती है. इसका प्रकाशन 1950 के दशक से जिम पैटिसन समूह की ओर से शुरू किया गया था.

लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स- यह दुनिया के लोकप्रिय रिकॉर्ड्स बुक में शामिल है. इसका पहली बार प्रकाशन 1990 में किया गया था क्योंकि लिम्का अमेरिका के अटलांटा मुख्यालय वाली कंपनी कोका कोला का ही एक ब्रांड है तो लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का स्वामित्व भी उसके पास ही है.

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स- यह ब्रिटेन की संस्था के तत्वावधान में प्रकाशित होने वाली रिकॉर्ड पुस्तिका है. इसकी स्थापना 2017 में लंदन में हुई थी. यह अपेक्षाकृत नई संस्था है जो तेजी से अपनी पैठ बना दी जा रही है.

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