लखनऊ: यूपी सरकार ने लखनऊ विश्वविद्यालय से 4 जिलों के 371 नए कॉलेज जोड़े हैं. इससे विश्वविद्यालय की कमाई कई गुना बढ़ गई है. एक अनुमान के मुताबिक, सिर्फ परीक्षा शुल्क से करीब 85 करोड़ रुपये की कमाई होने की संभावना है. आने वाले समय में इन कॉलेजों से होने वाली कमाई 100 करोड़ रुपये से भी ऊपर होगी. विश्वविद्यालय ने अपनी कमाई तो बढ़ा ली है. लेकिन विश्वविद्यालय के शिक्षकों के मुताबिक, यहां शिक्षा का स्तर गिर रहा है. इसलिए वो सरकार के लिए गए फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. विनीत वर्मा का कहना है कि अचानक संख्या बढ़ने से निश्चित ही गुणवत्ता पर असर पड़ना लाजमी है. शिक्षकों की संख्या वही है. 4 नए जिलों के 371 कॉलेजों के बच्चों की परीक्षा कराना, पठन-पाठन पर निगरानी रखना, यहां गुणवत्ता बनाए रखना संभव ही नहीं है. अगर सरकार को लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षा का स्तर बनाए रखना है तो इन कॉलेजों को हटाना होगा. इसके लिए संगठन की तरफ से आंदोलन की भी घोषणा की गई है.
लखनऊ विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में सबसे पुराना विश्वविद्यालय है. लखनऊ विश्वविद्यालय ने बीते वर्ष अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे किए हैं. डॉ. विनीत वर्मा का कहना है कि लखनऊ विश्वविद्यालय प्रदेश की शान है. देश दुनिया में यह अपने प्रोफेसर और शिक्षण कार्यों के लिए जाना जाता रहा है. अगर सरकार इस एक विश्वविद्यालय का वित्तीय भार भी नहीं झेल सकती, तो उसे शिक्षा की गुणवत्ता पर बात करने का भी हक नहीं है.
यह भी पढ़ें- लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रों को 1.72 करोड़ वापस करेगा, जानिए क्यों लिया यह फैसला?
वर्तमान में लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों की संख्या करीब 545 है. इसमें, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर खीरी और रायबरेली के 371 नए कॉलेज भी शामिल हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक इन नए कॉलेजों के जुड़ने से सिर्फ परीक्षा शुल्क से करीब 85 करोड़ से अधिक की सालाना आय का अनुमान है. कॉलेजों के लिए जाने वाले अन्य शुल्क लगते हैं. ऐसे में 100 करोड़ से ज्यादा की सालाना आमदनी की उम्मीद जताई जा रही है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप