लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय (lucknow university) अब अपने ऐसे डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को भी शोध करवाने का मौका देगा, जहां अभी सिर्फ स्नातक की ही कक्षाएं संचालित की जाती हैं. इसका रास्ता तलाशने के लिए विश्वविद्यालय की एक टीम जुट गई है. टीम में विश्वविद्यालय के शिक्षकों के साथ कुछ डिग्री कॉलेज के वरिष्ठ शिक्षकों को भी शामिल किया गया है. विश्वविद्यालय ने शुक्रवार को यह फैसला लिया. इसके लिए एक समिति का भी गठन कर दिया गया है. इस समिति को 15 जून तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है.
फंस सकते हैं कई पेंच
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से उठाए गए इस कदम पर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं. जानकारों का कहना है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से दिए गए दिश- निर्देशों के हिसाब से ऐसे डिग्री कॉलेज जहां पीजी का विभाग है, वहीं के शिक्षकों को शोध कराने का मौका मिलता है. ऐसे में स्नातक स्तर की कक्षाओं के संचालन करने वाले डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को शोध में जोड़ने के इस कदम पर पेंच फंस सकता है.
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यह हैं समिति के सदस्य
इस समिति के सदस्यों में लखनऊ विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक्स व दर्शन शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राकेश चंद्रा, विश्विद्यालय की डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर व भौतिक शास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पूनम टंडन, व्यापार प्रशासन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संगीता साहू, प्राचार्य नेताजी सुभाष राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय अलीगंज लखनऊ डॉ. अनुराधा तिवारी और प्राचार्य डीएवी डिग्री कॉलेज ऐशबाग, लखनऊ शामिल हैं.