लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी में बेखौफ तेज रफ्तार में वाहन दौड़ाए जा रहे हैं. यातायात विभाग ऐसे लोगों को सबक सिखाने के लिए स्पीडो मीटर के जरिए चालान कर रहा है. इसके बावजूद तेज रफ्तार का कहर राजधानी लखनऊ में देखा जा सकता है. आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में ज्यादातर मामले बेलगाम स्पीड के ही कारण होते हैं. ट्रैफिक पुलिस का दावा है कि ओवरस्पीड के मामलों में उनके स्तर से हर 11वें मिनट में चालान किए जा रहे हैं. इसके बाद भी वाहन चालक सबक लेने को तैयार नहीं हैं.
बता दें, राजधानी की कई सड़कों पर स्पीड कंट्रोल यूनिट लगाई गई हैं. जिनके माध्यम से ओवरस्पीड वाहनों के ऑटोमेटिक चालान हो जाता है. इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस दिन में कई स्थानों पर स्पीड कंट्रोल यूनिट लगाकर चालान करती है. इसके बावजूद ओवरस्पीड से होने वाली दुर्घटनाओं में कमी नहीं आ रही है. इसका कारण है रात में ट्रैफिक विभाग का सिस्टम का लाचार होना. जानकारी के अनुसार राजधानी में एक भी नाइट विजन कैमरा नही है. ऐसे में रात में सड़कों पर तेज रफ्तार वाहन चलाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है.
ट्रैफिक एडीसीपी अजय पटेल बताते हैं कि तेज रफ्तार वाहनों पर अंकुश लगाने के लिए रोजाना अलग-अलग जगहों पर चेकिंग की जाती है. ताकि उन पर कार्रवाई की जा सके. इसके अलावा हर जगह के लिए अलग-अलग स्पीड लिमिट तय की गई है. |
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ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक वाहनों की रफ्तार सीमा में रखने के लिए 1090 चौराहे से कालीदास मार्ग, अवध से दुबग्गा, बंगला बाजार से कैंट, तेलीबाग से बंगला बाजार, दयाल पैराडाइज से गोमतीनगर विस्तार, खुर्रमनगर से समतामूलक चौराहे, सेक्टर-25 से मुंशी पुलिया चौराहे, लोहिया पथ, गोमती नगर, शहीद पथ आदि जगहों पर ओवर स्पीड टेस्टर व कैमरे लगाए गए हैं. इन्ही पॉइंट्स पर सबसे अधिक ज्यादा चालान काटे जाते हैं.