लखनऊ : भाजपा सरकार संविधान के मूल तत्वों को बदलने का माहौल तैयार कर रही है. सपा और बसपा इस मुद्दे पर चुप हैं. सिर्फ़ कांग्रेस ही संविधान को बचा सकती है. अल्पसंख्यक कांग्रेस के स्पीक अप माइनॉरिटी कार्यक्रम 'भाजपा संविधान को क्यों बदलना चाहती है' में वक्ताओं ने ये बात कही. हर रविवार को फेसबुक लाइव के जरिये होने वाले कार्यक्रम की 25वीं कड़ी थी.
अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने कहा कि भाजपा अपने सांसदों से राज्य सभा में संविधान से समाजवाद और धर्म निरपेक्ष शब्द हटाने के लिए प्राइवेट मेम्बर बिल का प्रस्ताव दिलवा रही है. इसी के तहत पिछले साल जून में राकेश सिन्हा ने और इस महीने तीन दिसंबर को केजे अल्फोंस के ज़रिये संविधान संशोधन का प्रस्ताव लाया गय. वहीं जम्मू कश्मीर के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल ने भी आठ दिसंबर को बोल दिया कि संविधान में धर्म निरपेक्ष शब्द नहीं रहना चाहिए, लेकिन आज तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.
शाहनवाज़ आलम ने कहा- कांग्रेस के अलावा कोई पार्टी इसकी मांग भी नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी सरकार ने 1976 में संविधान में समाजवाद और पंथ निरपेक्ष शब्द जोड़कर गरीबों और अल्पसंख्यक वर्गों को जो अधिकार दिये थे, भाजपा उन्हें वापस छीनना चाहती है. शाहनवाज आलम ने कहा कि इस मुद्दे पर सपा और बसपा की खामोशी साबित करती है कि वह भी संविधान बदलने की भाजपा की इस साजिश में शामिल हैं. ये दोनों पार्टियां सीएए-एनआरसी की तरह ही संसद में वोटिंग के समय या तो भाग जाएंगी या समर्थन कर देंगी.
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बता दें, अल्पसंख्यक कांग्रेस लगातार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को मुसलमानों के मुद्दे पर घेरती रही हैं. खासकर सपा मुखिया अखिलेश यादव को अल्पसंख्यक कांग्रेस के नेताओं का यह भी कहना है कि अखिलेश यादव ने मुसलमानों का कभी कोई भला नहीं किया. आजमगढ़ में सीएए-एनआरसी के दौरान भी वे एक बार भी पीड़ितों से मिलने तक नहीं गए, जबकि वह आजमगढ़ से सांसद हैं.
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