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कोरोना ने बदली लोगों की सोच, रियल एस्टेट सेक्टर पर सीधा असर - रियल एस्टेट कारोबार

कोरोना का सीधा असर रियल एस्टेट कारोबार पर पड़ा है. राजधानी लखनऊ का रियल एस्टेट कारोबार पूरी तरह से चौपट हो चुका है. इस समय लोग अपनी जान बचाने की ज्यादा चिंता कर रहे हैं.

रियल एस्टेट सेक्टर
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Published : May 9, 2021, 9:12 AM IST

लखनऊः कोरोना संक्रमण का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. राजधानी में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है और काफी संख्या में लोग इससे दम भी तोड़ रहे हैं. स्वास्थ्य सेवाएं भी पूरी तरह से बेपटरी हो चुकी हैं. ऐसे में लोग अब अपनी जान बचाने की चिंता ज्यादा कर रहे हैं. इन्हीं सब वजहों से राजधानी लखनऊ का रियल एस्टेट कारोबार पूरी तरह से मंदी का शिकार हो चुका है.

60 से 70 फीसदी कम हुआ कारोबार
इस समय सबसे ज्यादा अनिश्चितता रियल एस्टेट कारोबार को लेकर है. लोग घर या अन्य किसी प्रॉपर्टी में पैसा लगाने से बच रहे हैं और अपनी जिंदगी बचाने के बारे में ज्यादा सोच रहे हैं. ऐसे में पिछले कुछ समय से राजधानी लखनऊ में रियल एस्टेट सेक्टर की खरीदारी 60 से 70 फीसदी तक कम हुई है. साल 2020 में जब कोरोना का संक्रमण बढ़ा तो स्थितियां धीरे-धीरे बिगड़ी, लेकिन साल के अंत में जब कोरोना संक्रमण काफी कम हुआ तो उम्मीद हुई कि नवरात्र के आसपास इसमें तेजी आ सकती है. कुछ नई बुकिंग भी हो रही थी, लेकिन इसी बीच कोरोना वायरस ने सब कुछ तबाह कर दिया.

प्रॉपर्टी खरीदने से बच रहे हैं ग्राहक
अब लोग कुछ भी प्रॉपर्टी खरीदने से बच रहे हैं. रियल स्टेट से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे अधिक प्रभावित मध्य और छोटे स्तर पर काम करने वाले विकासकर्ता हैं जो कि 30 लाख या इससे कम बजट में आशियाना बनाने के लिए प्रोजेक्ट करते हैं. ऐसे परिवार इलाज के लिए जरूरी फंड रखना चाहते हैं. पहली लहर के बाद अब लोगों की सोच है कि सब कुछ सामान्य रहेगा तभी मकान या भूखंड खरीदेंगे. यह हालात पूरे लखनऊ में हैं.

मंदी का है ज्यादा असर
राजधानी लखनऊ में करीब 800 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर रहता है. छोटे-बड़े बिल्डर मिलाकर शहर में ढाई हजार से अधिक हैं. रियल एस्टेट कारोबारी से मिली जानकारी के अनुसार करीब 60 से 70 फीसद बिक्री कोरोना की वजह से घट गई है. लखनऊ विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद स्तर पर भी मंदी साफ देखी जा सकती है.

एलडीए आवास विकास के भी नहीं बिक रहे फ्लैट
हजारों की संख्या में फ्लैट बन कर खड़े हैं लेकिन पिछले चार-पांच महीने में कोई बिक्री नहीं हुई. अब जब कोरोना का संकट लगातार बढ़ रहा है तो कुछ भी बिक्री होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है. यहां तक कि कुछ लोगों ने अपनी बुकिंग ही निरस्त कर दी है और पैसा वापसी का आवेदन किया है.

यह भी पढ़ेंः-सत्यदेव पचौरी के निधन की उड़ी अफवाह, सांसद ने सोशल मीडिया पर बताया, 'सकुशल हूं'

जान बचाने की चिंता
लखनऊ विकास प्राधिकरण के मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि कोरोना संक्रमण से लोग प्रॉपर्टी नहीं खरीद रहे हैं. लोगों के सामने अपनी जान बचाना सबसे बड़ा काम नजर आ रहा है और यह स्वाभाविक सी बात है. घर या अन्य कोई प्रॉपर्टी तो कभी भी खरीदी जा सकती है. इस समय सबसे ज्यादा जरूरी लोगों को अपनी चिंता है. ऐसे में लोग अपने इलाज के लिए पैसा सुरक्षित रख रहे हैं. एलडीए के कुछ प्रोडक्ट में जिन लोगों ने बुकिंग की थी उनमें से कुछ लोगों ने पैसा वापसी की भी डिमांड की है.

लखनऊः कोरोना संक्रमण का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. राजधानी में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है और काफी संख्या में लोग इससे दम भी तोड़ रहे हैं. स्वास्थ्य सेवाएं भी पूरी तरह से बेपटरी हो चुकी हैं. ऐसे में लोग अब अपनी जान बचाने की चिंता ज्यादा कर रहे हैं. इन्हीं सब वजहों से राजधानी लखनऊ का रियल एस्टेट कारोबार पूरी तरह से मंदी का शिकार हो चुका है.

60 से 70 फीसदी कम हुआ कारोबार
इस समय सबसे ज्यादा अनिश्चितता रियल एस्टेट कारोबार को लेकर है. लोग घर या अन्य किसी प्रॉपर्टी में पैसा लगाने से बच रहे हैं और अपनी जिंदगी बचाने के बारे में ज्यादा सोच रहे हैं. ऐसे में पिछले कुछ समय से राजधानी लखनऊ में रियल एस्टेट सेक्टर की खरीदारी 60 से 70 फीसदी तक कम हुई है. साल 2020 में जब कोरोना का संक्रमण बढ़ा तो स्थितियां धीरे-धीरे बिगड़ी, लेकिन साल के अंत में जब कोरोना संक्रमण काफी कम हुआ तो उम्मीद हुई कि नवरात्र के आसपास इसमें तेजी आ सकती है. कुछ नई बुकिंग भी हो रही थी, लेकिन इसी बीच कोरोना वायरस ने सब कुछ तबाह कर दिया.

प्रॉपर्टी खरीदने से बच रहे हैं ग्राहक
अब लोग कुछ भी प्रॉपर्टी खरीदने से बच रहे हैं. रियल स्टेट से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे अधिक प्रभावित मध्य और छोटे स्तर पर काम करने वाले विकासकर्ता हैं जो कि 30 लाख या इससे कम बजट में आशियाना बनाने के लिए प्रोजेक्ट करते हैं. ऐसे परिवार इलाज के लिए जरूरी फंड रखना चाहते हैं. पहली लहर के बाद अब लोगों की सोच है कि सब कुछ सामान्य रहेगा तभी मकान या भूखंड खरीदेंगे. यह हालात पूरे लखनऊ में हैं.

मंदी का है ज्यादा असर
राजधानी लखनऊ में करीब 800 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर रहता है. छोटे-बड़े बिल्डर मिलाकर शहर में ढाई हजार से अधिक हैं. रियल एस्टेट कारोबारी से मिली जानकारी के अनुसार करीब 60 से 70 फीसद बिक्री कोरोना की वजह से घट गई है. लखनऊ विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद स्तर पर भी मंदी साफ देखी जा सकती है.

एलडीए आवास विकास के भी नहीं बिक रहे फ्लैट
हजारों की संख्या में फ्लैट बन कर खड़े हैं लेकिन पिछले चार-पांच महीने में कोई बिक्री नहीं हुई. अब जब कोरोना का संकट लगातार बढ़ रहा है तो कुछ भी बिक्री होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है. यहां तक कि कुछ लोगों ने अपनी बुकिंग ही निरस्त कर दी है और पैसा वापसी का आवेदन किया है.

यह भी पढ़ेंः-सत्यदेव पचौरी के निधन की उड़ी अफवाह, सांसद ने सोशल मीडिया पर बताया, 'सकुशल हूं'

जान बचाने की चिंता
लखनऊ विकास प्राधिकरण के मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि कोरोना संक्रमण से लोग प्रॉपर्टी नहीं खरीद रहे हैं. लोगों के सामने अपनी जान बचाना सबसे बड़ा काम नजर आ रहा है और यह स्वाभाविक सी बात है. घर या अन्य कोई प्रॉपर्टी तो कभी भी खरीदी जा सकती है. इस समय सबसे ज्यादा जरूरी लोगों को अपनी चिंता है. ऐसे में लोग अपने इलाज के लिए पैसा सुरक्षित रख रहे हैं. एलडीए के कुछ प्रोडक्ट में जिन लोगों ने बुकिंग की थी उनमें से कुछ लोगों ने पैसा वापसी की भी डिमांड की है.

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