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फर्जी मार्कशीट मामले में लखनऊ पुलिस ने दायर की चार्जशीट

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Published : Dec 28, 2020, 3:26 PM IST

यूपी के लखनऊ में लविवि के फर्जी मार्कशीट के मामले में पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है. पुलिस ने इस संबंध में लविवि को रिमांडर भी भेजा है.

लखनऊ यूनिवर्सिटी
लखनऊ यूनिवर्सिटी

लखनऊः लखनऊ यूनिवर्सिटी में फर्जी मार्कशीट का मामले में पुलिस ने जांच प्रक्रिया पूरी कर इसमें शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है. यह मामला 17 अप्रैल 2019 को उजागर हुआ था. इसमें लविवि के चार कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं. चारों कर्मचारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने और कार्रवाई करने के लिए लविवि को पत्र लिखा जा चुका है. मगर लविवि की ओर से अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है.

लविवि प्रशासन से मांगी थी अनमुति
बता दें कि बीते साल 17 अप्रैल को हसनगंज पुलिस ने फर्जी मार्कशीट मामले के खुलासे के बाद धरपकड़ शुरू की. तभी आरोपियों के बयान के आधार पर विश्वविद्यालय के तीन अन्य कर्मचारियों के नाम उजागर हुए थे. इन फर्जी मार्कशीट के मामले में लविवि का एक चपरासी गिरफ्तार किया गया था. अब इस मामले में पुलिस ने शामिल तीन अन्य कर्मचारियों पर चार्जशीट लगाने और अभियोजन चलाने की अनुमति लविवि से मांगी थी, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कोई उचित जानकारी नहीं दी गई.

जबकि पुलिस की ओर से यूनिवर्सिटी प्रशासन को दो बार रिमाइंडर भी भेजा गया है. इसके बाद भी विवि प्रशासन सक्रिय नहीं है. पुलिस ने यूनिवर्सिटी के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नायाब हुसैन, मुकेश धर दुबे और संजय सिंह चौहान के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति मांगी है. वहीं कार्यवाहक कुलसचिव वीपी कौशल ने बताया कि इस मामले की उचित जानकारी नहीं है. इसलिए फिलहाल कुछ नहीं कह सकता हूं.

बीते साल खुला था मामला
बीते साल 17 अप्रैल को फर्जी मार्कशीट बनाने के आरोप में इंदिरा नगर निवासी दीवान सिंह, गुडबा निवासी खिरोधन उर्फ गंगेश, बाराबंकी निवासी रविंद्र प्रताप सिंह, मंडीयाव निवासी दीपक तिवारी, ठाकुरगंज निवासी और एलयू का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नायब हुसैन और हसनगंज निवासी मधुरेंद्र पांडे को गिरफ्तार किया गया था. इनके पास से अलग-अलग यूनिवर्सिटी की 14 फर्जी मार्कशीट, कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन के नाम के लिफाफे समेत अन्य संदिग्ध सामान बरामद हुए थे.

लखनऊः लखनऊ यूनिवर्सिटी में फर्जी मार्कशीट का मामले में पुलिस ने जांच प्रक्रिया पूरी कर इसमें शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है. यह मामला 17 अप्रैल 2019 को उजागर हुआ था. इसमें लविवि के चार कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं. चारों कर्मचारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने और कार्रवाई करने के लिए लविवि को पत्र लिखा जा चुका है. मगर लविवि की ओर से अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है.

लविवि प्रशासन से मांगी थी अनमुति
बता दें कि बीते साल 17 अप्रैल को हसनगंज पुलिस ने फर्जी मार्कशीट मामले के खुलासे के बाद धरपकड़ शुरू की. तभी आरोपियों के बयान के आधार पर विश्वविद्यालय के तीन अन्य कर्मचारियों के नाम उजागर हुए थे. इन फर्जी मार्कशीट के मामले में लविवि का एक चपरासी गिरफ्तार किया गया था. अब इस मामले में पुलिस ने शामिल तीन अन्य कर्मचारियों पर चार्जशीट लगाने और अभियोजन चलाने की अनुमति लविवि से मांगी थी, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कोई उचित जानकारी नहीं दी गई.

जबकि पुलिस की ओर से यूनिवर्सिटी प्रशासन को दो बार रिमाइंडर भी भेजा गया है. इसके बाद भी विवि प्रशासन सक्रिय नहीं है. पुलिस ने यूनिवर्सिटी के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नायाब हुसैन, मुकेश धर दुबे और संजय सिंह चौहान के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति मांगी है. वहीं कार्यवाहक कुलसचिव वीपी कौशल ने बताया कि इस मामले की उचित जानकारी नहीं है. इसलिए फिलहाल कुछ नहीं कह सकता हूं.

बीते साल खुला था मामला
बीते साल 17 अप्रैल को फर्जी मार्कशीट बनाने के आरोप में इंदिरा नगर निवासी दीवान सिंह, गुडबा निवासी खिरोधन उर्फ गंगेश, बाराबंकी निवासी रविंद्र प्रताप सिंह, मंडीयाव निवासी दीपक तिवारी, ठाकुरगंज निवासी और एलयू का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नायब हुसैन और हसनगंज निवासी मधुरेंद्र पांडे को गिरफ्तार किया गया था. इनके पास से अलग-अलग यूनिवर्सिटी की 14 फर्जी मार्कशीट, कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन के नाम के लिफाफे समेत अन्य संदिग्ध सामान बरामद हुए थे.

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