लखनऊ : नगर निगम ने पार्षदों के कोटे की चौथी किस्त जारी कर दी है, जिसको लेकर पार्षदों में कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है. पार्षदों ने बताया कि शासनादेश में निर्देश है की चौथी किस्त का पैसा पार्कों और स्कूलों के निर्माण में ही खर्च किया जाएगा. यदि ऐसा नहीं किया जाता तो यह धनराशि लैप्स हो जाएगी. वहीं इस बारे में नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि चौथी किस्त में स्कूलों और पार्कों को ही प्राथमिकता पर रखा गया है.
दरअसल दिसंबर में लखनऊ नगर निगम के अनुपूरक बजट के दौरान पार्षदों ने चौथी किस्त को लेकर हंगामा किया था. पार्षदों के हंगामे के बाद जनवरी में चौथी किस्त जारी हो गई, लेकिन इसमें पार्कों और स्कूलों के निर्माण को प्राथमिकता दी गई है.
क्या कहते हैं पार्षद
पार्षद ममता चौधरी ने बताया कि हम लोगों को जानकारी थी कि पांच लाख तक की धनराशि वार्ड विकास संस्कृति के आधार पर विद्यालय को देना था. लेकिन जिस तरह से शासनादेश आया है कि सारे पैसे को पार्कों और स्कूलों के निर्माण में देना है, यह सरासर गलत है. बिना कार्यकारिणी के इस तरह का नियम पारित नहीं हो सकता.
क्या कहते हैं पूर्व पार्षद
वह इस बारे में पूर्व पार्षद शैलेंद्र तिवारी का कहना है कि क्या सरकार पूरी तरह से तानाशाह हो गई है. लखनऊ की महापौर सिर्फ फीता काट रही हैं. पार्कों और स्कूलों के निर्माण में पैसे का जाना गलत बात नहीं है, पर इसके नाम पर जो भ्रष्टाचार हो रहा है, वह गलत है. यदि शासन ने ऐसा किया तो पार्षदों की जरूरत क्या है. पंचायत राज की व्यवस्था क्यों की गई है.
क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं इस बारे में अपर नगर आयुक्त डॉ. अर्चना द्विवेदी का कहना है कि पार्षदों में चौथी किस्त को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति है. निश्चित रूप से चौथी किस्त में पार्क और स्कूल के निर्माण को प्राथमिकता दी गई है, इसके लिए कई पार्षदों ने पत्र भी लिखे हैं. वहीं कुछ पार्षद सहमत भी हैं, जिस वार्ड में स्कूल और पार्क नहीं हैं, वहां पर इस धनराशि से विकास कार्य कराए जाएंगे. लखनऊ नगर निगम ने पार्षदों की चौथी किस्त के तहत 28 लाख रुपए स्वीकृत हुए हैं.