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लखनऊ नगर निगम का सख्त फरमान, अपना कूड़ा खुद निस्तारित कराएंगे व्यावसायिक प्रतिष्ठान

लखनऊ नगर निगम (Lucknow Nagar Nigam) ने शहर के बड़े प्रतिष्ठानों से अपना कूड़ा खुद निस्तारित करने को कहा है. ऐसा न करने पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 31, 2023, 9:52 AM IST

लखनऊ : शहर में बड़े प्रतिष्ठान होटल, रेस्टोरेंट व मैरिज हॉल तथा अस्पताल संचालक अब सड़कों पर इधर-उधर कूड़ा नहीं फेंक पाएंगे. इसको लेकर नगर निगम ने सख्ती शुरू कर दी है. ऐसे प्रतिष्ठान जिनसे प्रतिदिन 50 किलो से अधिक कूड़ा निकलता है उन्हों कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था खुद करनी होगी. कूड़ा निस्तारण के लिए इन प्रतिष्ठानों को प्लांट भी लगाना होगा. नगर निगम ने सोमवार को अलग अलग जोनों में आरडब्लूए व बल्क वेस्ट जनरेटर के साथ बैठक के बाद यह निर्णय लिया. बैठक में केजीएमयू, फातिमा आदि प्रतिष्ठित अस्पताल, होटल व रेस्टोरेंट एंव संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ सब्जी मंडी आलमबाग व अन्य काॅलोनियों के आरडब्ल्यूए मौजूद रहे.

लखनऊ नगर निगम का आदेश,
लखनऊ नगर निगम का आदेश,

नगर निगम प्रशासन का आदेश : नगर निगम प्रशासन ने संस्थाओं को परिसर में निकलने वाले गीले व सूखे कूड़े के स्त्रोत पर पृथक्कीकरण कर मैकेनिकल कम्पोस्टर के माध्यम से कम्पोस्ट बनाए जाने के लिए निर्देश दिए हैं. खाद बनाने की व्यवस्था न होने पर चयनित एजेंसियों को ही कूड़ा दिए जाने के लिए निर्देशित किया गया है. बैठक के दौरान संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने बताया कि कूड़े से कम्पोस्ट बनाने का काम पहले से किया जा रहा है. अब जल्द ही मैकेनाइज्ड भी किया जाएगा.

बड़े प्रतिष्ठान नहीं मान रहे फरमान : बता दें, ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन नियमावली में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था दी गई है. इसके बावजूद बड़े प्रतिष्ठान इसे लेकर गंभीर नहीं है. ऐसे में इस नियमवाली को कड़ाई से लागू करने के लिए नगर निगम ने प्रयास शुरू कर दिए हैं. अगर 5000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में बने प्रतिष्ठान खुद कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था कर लेते हैं तो शहर में काफी हद तक कूड़े की दिक्कत से राहत मिल जाएगी. नियमों के अनुसार 5000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में बने होटल, रेस्टोरेंट, मैरिज लॉन, बड़े अस्पताल, नर्सिंग होम, निजी स्कूल-कॉलेजों, आवासीय कल्याण समितियों, उद्योगों और अन्य बड़े संस्थानों को अपने कूड़े निस्तारण के लिए अपने परिसर में ही बायो कंपोस्ट यूनिट स्थापित करनी है. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई किए जाने का प्राविधान है. यह कार्रवाई ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन नियमावली के तहत की जाएगी.


पीएफ घोटाले के आरोपी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की मौत : नगर निगम में पीएफ घोटाले के आरोपी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अनिल कुमार की सोमवार को कानपुर में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई. अनिल कुमार कानपुर का रहने वाला था. सोमवार को नगर निगम में चर्चा का माहौल गर्म था तो कर्मचारियों में नाराजगी थी. कर्मचारी साथियों के अनुसार अनिल को हार्ट अटैक की शिकायत के पश्चात निजी अस्पताल में ले जाया गया था. जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

नगर निगम में पीएफ घोटाला : नगर निगम में गत माह पूर्व पीएफ घोटाले का मामला सामने आया था. इसके बाद हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया. इसमें नगर निगम के लिपिक अधिकारी मनोज कुमार, अनुचर अनिल कुमार व यूको बैंक कर्मी रवि प्रकाश शुक्ला पर धोखाधड़ी और जाली दस्तावेज बनाने की धारा में मुकदमा दर्ज है. सहायक लेखाधिकारी एपी तिवारी ने विभागीय जांच रिपोर्ट के आधार पर तहरीर दी थी. इसमें 79 कर्मियों के पीएफ में हेराफेरी किए जाने का आरोप लगाया गया है. आरोपी प्राधिकार पत्र पर अधिकारियों का हस्ताक्षर स्कैन कर फर्जी तरह से भुगतान करते थे.

मौत की जांच हो : अनिल की मौत होने के बाद नगर निगम कर्मचारियों में चर्चा है कि एफआईआर दर्ज होने के पश्चात से ही लेखा विभाग के अधिकारियों समेत पुलिस प्रशासन की ओर से अनिल को बार-बार बयान दर्ज कराने के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा था. जिसके चलते वह टेंशन में था. उसकी मौत की सूचना नगर निगम लखनऊ में मिलने पर कर्मचारियों ने नाराजगी जाहिर की है. नगर निगम जलकल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शशि मिश्रा ने कहा है कि अनिल कुमार जांच और पुलिस की प्रताड़ना से परेशान था. इतने बड़े घोटाले में मात्र एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का क्या रोल हो सकता है, ये समझ से बाहर है. किसने अधिकारियों के हस्ताक्षर स्कैन किए, कैसे पैसा ड्रा हुआ. यह सब नगर निगम के अधिकारियों की नाक के नीचे होता रहा और दोषी चतुर्थ श्रेणी को मोहरा बना कर प्रताड़ित किया जाता रहा. अनिल कुमार की मृत्यु मूलत: शाक लगने से हुई है. इसके जिम्मेदार कौन है. इसकी जांच होनी चाहिए.

यह भी पढ़ें : स्वच्छता की रेटिंग में फिसड्डी है लखनऊ, अब जोनवार सफाई व्यवस्था का मॉडल अपनाएगा नगर निगम

राजधानी में कर्मचारियों की संख्या कम होने के चलते नहीं सुधर रहे हालात, सफाई व्यवस्था को लेकर कही यह बात

लखनऊ : शहर में बड़े प्रतिष्ठान होटल, रेस्टोरेंट व मैरिज हॉल तथा अस्पताल संचालक अब सड़कों पर इधर-उधर कूड़ा नहीं फेंक पाएंगे. इसको लेकर नगर निगम ने सख्ती शुरू कर दी है. ऐसे प्रतिष्ठान जिनसे प्रतिदिन 50 किलो से अधिक कूड़ा निकलता है उन्हों कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था खुद करनी होगी. कूड़ा निस्तारण के लिए इन प्रतिष्ठानों को प्लांट भी लगाना होगा. नगर निगम ने सोमवार को अलग अलग जोनों में आरडब्लूए व बल्क वेस्ट जनरेटर के साथ बैठक के बाद यह निर्णय लिया. बैठक में केजीएमयू, फातिमा आदि प्रतिष्ठित अस्पताल, होटल व रेस्टोरेंट एंव संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ सब्जी मंडी आलमबाग व अन्य काॅलोनियों के आरडब्ल्यूए मौजूद रहे.

लखनऊ नगर निगम का आदेश,
लखनऊ नगर निगम का आदेश,

नगर निगम प्रशासन का आदेश : नगर निगम प्रशासन ने संस्थाओं को परिसर में निकलने वाले गीले व सूखे कूड़े के स्त्रोत पर पृथक्कीकरण कर मैकेनिकल कम्पोस्टर के माध्यम से कम्पोस्ट बनाए जाने के लिए निर्देश दिए हैं. खाद बनाने की व्यवस्था न होने पर चयनित एजेंसियों को ही कूड़ा दिए जाने के लिए निर्देशित किया गया है. बैठक के दौरान संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने बताया कि कूड़े से कम्पोस्ट बनाने का काम पहले से किया जा रहा है. अब जल्द ही मैकेनाइज्ड भी किया जाएगा.

बड़े प्रतिष्ठान नहीं मान रहे फरमान : बता दें, ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन नियमावली में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था दी गई है. इसके बावजूद बड़े प्रतिष्ठान इसे लेकर गंभीर नहीं है. ऐसे में इस नियमवाली को कड़ाई से लागू करने के लिए नगर निगम ने प्रयास शुरू कर दिए हैं. अगर 5000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में बने प्रतिष्ठान खुद कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था कर लेते हैं तो शहर में काफी हद तक कूड़े की दिक्कत से राहत मिल जाएगी. नियमों के अनुसार 5000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में बने होटल, रेस्टोरेंट, मैरिज लॉन, बड़े अस्पताल, नर्सिंग होम, निजी स्कूल-कॉलेजों, आवासीय कल्याण समितियों, उद्योगों और अन्य बड़े संस्थानों को अपने कूड़े निस्तारण के लिए अपने परिसर में ही बायो कंपोस्ट यूनिट स्थापित करनी है. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई किए जाने का प्राविधान है. यह कार्रवाई ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन नियमावली के तहत की जाएगी.


पीएफ घोटाले के आरोपी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की मौत : नगर निगम में पीएफ घोटाले के आरोपी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अनिल कुमार की सोमवार को कानपुर में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई. अनिल कुमार कानपुर का रहने वाला था. सोमवार को नगर निगम में चर्चा का माहौल गर्म था तो कर्मचारियों में नाराजगी थी. कर्मचारी साथियों के अनुसार अनिल को हार्ट अटैक की शिकायत के पश्चात निजी अस्पताल में ले जाया गया था. जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

नगर निगम में पीएफ घोटाला : नगर निगम में गत माह पूर्व पीएफ घोटाले का मामला सामने आया था. इसके बाद हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया. इसमें नगर निगम के लिपिक अधिकारी मनोज कुमार, अनुचर अनिल कुमार व यूको बैंक कर्मी रवि प्रकाश शुक्ला पर धोखाधड़ी और जाली दस्तावेज बनाने की धारा में मुकदमा दर्ज है. सहायक लेखाधिकारी एपी तिवारी ने विभागीय जांच रिपोर्ट के आधार पर तहरीर दी थी. इसमें 79 कर्मियों के पीएफ में हेराफेरी किए जाने का आरोप लगाया गया है. आरोपी प्राधिकार पत्र पर अधिकारियों का हस्ताक्षर स्कैन कर फर्जी तरह से भुगतान करते थे.

मौत की जांच हो : अनिल की मौत होने के बाद नगर निगम कर्मचारियों में चर्चा है कि एफआईआर दर्ज होने के पश्चात से ही लेखा विभाग के अधिकारियों समेत पुलिस प्रशासन की ओर से अनिल को बार-बार बयान दर्ज कराने के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा था. जिसके चलते वह टेंशन में था. उसकी मौत की सूचना नगर निगम लखनऊ में मिलने पर कर्मचारियों ने नाराजगी जाहिर की है. नगर निगम जलकल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शशि मिश्रा ने कहा है कि अनिल कुमार जांच और पुलिस की प्रताड़ना से परेशान था. इतने बड़े घोटाले में मात्र एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का क्या रोल हो सकता है, ये समझ से बाहर है. किसने अधिकारियों के हस्ताक्षर स्कैन किए, कैसे पैसा ड्रा हुआ. यह सब नगर निगम के अधिकारियों की नाक के नीचे होता रहा और दोषी चतुर्थ श्रेणी को मोहरा बना कर प्रताड़ित किया जाता रहा. अनिल कुमार की मृत्यु मूलत: शाक लगने से हुई है. इसके जिम्मेदार कौन है. इसकी जांच होनी चाहिए.

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