लखनऊ : राजधानी लखनऊ में पिछले कई साल से कूड़े से बिजली बनाने के दावे हुए और लाखों रुपये इस योजना में खर्च हो गए. इसके बावजूद अभी तक एक यूनिट बिजली भी बनाई नहीं जा सकी है. योजना के बाबत सिर्फ कागजी दावे ही किए जाते रहे हैं. अब एक बार फिर नई बनी शहर की सरकार में कूड़े से बिजली बनाने के दावे किए जा रहे हैं. देखना होगा कि इस बार नगर निगम लखनऊ इस योजना को किस तरह अंजाम देने की कोशिश करेगा.
राजधानी लखनऊ में हरदोई रोड स्थित शिवरी कूड़ा निस्तारण प्लांट में कूड़े से बिजली बनाने के दावे हुए, लेकिन यह सिर्फ हवा हवाई ही साबित हुआ. इससे पहले भी राजधानी लखनऊ में वर्। 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने लखनऊ के कूड़े से बिजली बनाने की योजना शुरू कराने की बात कही थी. इसको लेकर ऊर्जा मंत्रालय से 80 करोड़ रुपये की योजना भी स्वीकृत कराई गई थी. नगर निगम सदन ने भी इसका प्रस्ताव स्वीकृत किया था, लेकिन यह काम धरातल पर नहीं उतर पाया. कुछ समय पहले इन्वेस्टर समिट में भी लखनऊ में कूड़ा निस्तारण का काम करने वाली चीनी कंपनी इकोग्रीन ने करीब ₹400 करोड़ के निवेश का कूड़े से बिजली बनाने का एमओयू साइन किया था, लेकिन लखनऊ नगर निगम और इकोग्रीन के बीच लगातार हो रहे विवाद के चलते यह काम अधूरा ही रह गया. फिलहाल लखनऊ में कूड़ा निस्तारण का काम इकोग्रीन से छीन लिया गया है.
भाजपा के पार्षद दल के नेता सुशील तिवारी पम्मी कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने जिस परियोजना को शुरू करने का काम किया था वह भले आगे नहीं बढ़ पाई हो, लेकिन अब हम लखनऊ नगर निगम में कूड़े से बिजली बनाने का काम आगे बढ़ाने का काम करेंगे. कुछ विवादों के चलते शिवरी कूड़ा निस्तारण प्लांट में भी बिजली बनाने का काम नहीं हो पाया. हम सदन की बैठक में इस मुद्दे को न सिर्फ उठाएंगे, बल्कि इसे मूर्त रूप भी दिलाएंगे. भाजपा के पार्षद संतोष राय कहते हैं कि लखनऊ में चीनी कंपनी इकोग्रीन हमेशा विवादों में रही. अब लखनऊ में पूरी तरह से कूड़ा उठान व्यवस्था बदल रही है. अफसरों की लापरवाही रही, इससे कूड़े का निस्तारण नहीं हो पाया. आने वाले समय में हम लोग इस पर ध्यान देंगे और कूड़े से बिजली बनाने की परियोजना को आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा.