लखनऊ: राजधानी लखनऊ में लगातार कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है. यही कारण है कि लगातार मृतकों की संख्या में इजाफा हो रहा है. श्मशान घाटों पर लगातार बढ़ती डेड बॉडी की संख्या इस बात का सबूत है कि राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण के बावजूद नगर निगम औपचारिकता निभा रहा है. नगर निगम की यदि व्यवस्थाओं की बात करें तो राजधानी लखनऊ के श्मशान घाटों पर अब भी अंतिम संस्कार कराने आए लोगों को लाइन लगानी पड़ रही है.
लखनऊ नगर निगम भले ही दावा कर रहा है कि यहां पर बड़ी संख्या में कर्मचारियों को तैनात कर दिया गया है. बावजूद इसके जिस तरह से प्रतिदिन 150 से अधिक डेड बॉडी इन श्मशान घाटों पर आ रही हैं. ऐसे में लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार करने के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगानी पड़ रही है.
सैनिटाइजेशन के नाम पर हो रही खानापूर्ति
ईटीवी भारत से टेलीफोन एक बातचीत करते हुए पूर्व पार्षद शैलेंद्र तिवारी का कहना है कि नगर निगम सैनिटाइजेशन के नाम पर राजधानी को गुमराह कर रहा है. सबसे खास बात यह है कि सैनिटाइजेशन भी उन्हीं इलाकों में किया जा रहा है, जहां पर भी वीआईपी लोग निवास करते हैं. राजधानी के कई ऐसे गली मोहल्ले हैं जहां नगर निगम ने अभी तक कोई भी सैनिटाइजेशन का काम नहीं किया है. हालांकि इस बारे में नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि राजधानी के सभी मोहल्लों और गलियों में सैनिटाइजेशन का काम कराया जा रहा है, जिससे कि राजधानी वासियों को संक्रमण से मुक्ति दिलाई जा सके,.
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अंतिम संस्कार के लिए मांगे जा रहे 10 हजार रुपये
राजधानी लखनऊ के श्मशान घाटों पर किस तरह से अव्यवस्थाओं का बोलबाला है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अंतिम संस्कार के लिए लग रही लंबी लाइनों के बीच जल्द से जल्द अंतिम संस्कार के लिए यहां पर 10 हजार रुपये की मांग की जा रही है, वहीं इस बारे में नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि यदि कोई भी कर्मचारी पैसा लेते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.