लखनऊ: लखनऊ नगर निगम के कुछ बाबू और अधिकारियों का कुर्सी का मोह कम नहीं हो रहा है. हालत यह है कि तबादलों के बावजूद यह लोग अपनी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं है. आलम यह है कि इनमें से कई के तबादले इससे पहले भी किए जा चुके हैं लेकिन जुगाड़ के दम पर यह अभी भी कुर्सियों पर काबिज है. ऐसे कर्मचारियों की संख्या 40 से ज्यादा बताई जा रही है. इनमें सम्पत्ति, अभियंत्रण, लेखा व अन्य विभागों के कर्मचारियों के नाम हैं.
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लखनऊ नगर निगम में कई ऐसे पद हैं, जिनमें सीधे पब्लिक डीलिंग होती है. विभागीय सूत्रों की मानें तो नगर निगम मुख्यालय से लेकर हर जोन में बाबू के कुछ पद है, जिनको लेकर सबसे ज्यादा मारामारी है. लखनऊ नगर निगम में करीब 2 महीने पहले करीब 25 कर्मचारियों का तबादला किया गया था. इनमें आधे से ज्यादा नहीं अपनी कुर्सी नहीं छोड़ी है. लखनऊ नगर निगम की आय का सबसे बड़ा साधन हाउस टैक्स है. बीते दिनों महापौर संयुक्ता भाटिया ने खुद हाउस टैक्स में कर्मचारियों के खेल का खुलासा किया था. इसमें पहले शहर की जनता को मनमाना हाउस टैक्स से संबंधित बिल पकड़ाया जाता है और उसके बाद उसे कम करने के नाम पर वसूली होती है. कर्मचारियों का कहना है कि ऐसे पदों पर तैनाती के लिए बहुत ज्यादा मारामारी रहती है. इनमें कई ऐसे बाबू है जो सालों से इन कुर्सियों पर जमे हुए हैं.
पहले भी हो चुकी है कोशिश
यह पहली बार नहीं है, जब नगर निगम के कर्मचारियों के तबादले होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी कुर्सी नहीं छोड़ी. इससे पहले, वर्ष 2018 में तत्कालीन नगर आयुक्त ने नगर निगम में एक ही पद पर कई वर्षों से काम कर रहे 100 से अधिक कर्मचारियों के तबादले के निर्देश शासन स्तर से सभी विभागों के लिए जारी किए गए थे. नगर आयुक्त के इस फैसले के बाद सभी विभागों में अपने-अपने स्तर पर अर्न्तविभागीय तबादले किए. बावजूद इसके बाबुओं ने अपनी कुर्सी नहीं छोड़ी थी.
फील्ड में कर्मचारियों को जाने के निर्देश
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह का कहना है कि उनकी तरफ से नगर निगम की व्यवस्था को सुधारने के लिए लगातार काम किया जा रहा है. सभी कर्मचारियों को फील्ड में उतारने का लक्ष्य है. ऐसे में जो कर्मचारी सस्पेंड थे या कहीं और सम्बद्ध हैं उन्हें फील्ड में उतारने के आदेश पहले ही दिए जा चुके.