लखनऊ : उत्तर प्रदेश में प्रचंड गर्मी की शुरुआत हो चुकी है. वर्तमान में यूपी के कई जिलों का पारा 40 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक पहुंच गया है. शनिवार को लखनऊ में 40 से 42 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा. प्रदेशभर से लोग इलाज के लिए लखनऊ आते हैं. ऐसे में राजधानी के अस्पतालों में अन्य जिलों से आए मरीज के तीमारदारों के लिए कोई खास व्यवस्थाएं नहीं की गई हैं. बहरहाल भीषण गर्मी में तीमारदारों को काफी मुसीबतों से जूझना पड़ रहा है. तीमारदारों का भी कहना है कि इसीलिए वह अस्पताल आते हैं ताकि मरीज का इलाज अच्छे से हो सके, लेकिन उनके रहने के लिए व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
बलरामपुर जिला अस्पताल में रैन बसेरा में व्यवस्था के नाम पर सिर्फ पंखा लगा हुआ है. यहां पर तीमारदारों का रहना दूभर हो गया है. इतनी प्रचंड गर्मी में मरीज टीन के बने हुए रैन बसेरे में दोपहर गुजारने को मजबूर हैं. सीतापुर से अपने भाई का ऑपरेशन कराने के लिए पहुंचीं सुनीता चतुर्वेदी ने बताया कि यहां पर कोई व्यवस्था नहीं है. रैन बसेरा टीन का बना हुआ है. जिसके कारण ज्यादा गर्मी महसूस होती है. इतने बड़े हॉल में सिर्फ दो सीलिंग फैन लगे हैं. जिनकी ऊंचाई इतनी अधिक है कि नीचे तक हवा नहीं आती है. कूलर आदि की व्यवस्था यहां पर नहीं है. जहां पर रैन बसेरा है, वहां पर एक भी पेड़ पौधा नहीं है कि वातावरण थोड़ा ठंडा रहे. बस किसी तरह से दिन गुजार रहे हैं. जल्दी से ऑपरेशन हो जाए और अपने भाई को लेकर मैं घर वापस जा सकूं. बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता ने कहा कि तीमारदारों का ख्याल रखते हुए एक और रैन बसेरे की शुरुआत की गई है. जहां पर सीलिंग फैन लगाया गया है और यहां पर तीमारदार अपना दिन गुजार सकते हैं.
केजीएमयू के गांधी वार्ड में भर्ती एक मरीज के तीमारदार महिला ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि बाराबंकी से मरीज का इलाज कराने के लिए आए हैं और 10 दिन बीत गए हैं, लेकिन अभी भी मरीज ठीक नहीं है. इसलिए यहां पर रहना पड़ रहा है. यहां पर इलाज तो अच्छा हो रहा है, लेकिन तीमारदार के ठहरने की व्यवस्था नहीं है. जिसकी वजह से बहुत तकलीफ होती है. बाहर कहीं रुक नहीं सकते हैं, क्योंकि मरीज को भी देखना होता है और इतनी सेविंग भी नहीं है कि बाहर कहीं रहें. दिन हाथ पंखा हांककर गुजार लेते हैं और रात में मौसम ठंडा हो जाता है तो बीत जाता है. कभी-कभी पेड़ के नीचे चादर बिछाकर सो जाते हैं. केजीएमयू के प्रवक्ता डॉक्टर सुधीर सिंह ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में जितने भी रैन बसेरा हैं. सब संस्था द्वारा बनाए गए हैं. हमारे पास कोई भी कंप्लेन नहीं आई है, अगर कोई शिकायत आएगी तो जरूर उस पर कार्रवाई करेंगे.
गीला चादर ओढ़ कर सोने पर मजबूर तीमारदार
लोहिया अस्पताल में रैन बसेरा बना हुआ है और सीलिंग फैन भी लगा हुआ है, लेकिन इतनी चिलचिलाती धूप और लू चलने के कारण रेन बसेरा पूरी तरह से गर्म बना रहता है. रैन बसेरा में कोई दरवाजा नहीं लगा है. यहां खुला रैन बसेरा बना है. प्रदेशभर से मरीज यहां पर इलाज के लिए आते हैं और मरीज के भर्ती होने के बाद उनके तीमारदार इन्हीं रैन बसेरा के भरोसे रहते हैं. यहां पर व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं होने के चलते उनकी तबीयत खुद खराब हो जाती है. सौरभ कुमार ने बताया कि अगर अस्पताल प्रशासन थोड़ा सा ध्यान दे तो चीजें अच्छी हो सकती हैं. यहां पर रहते हुए तो ऐसा लगता है कि खुद हमारी तबीयत बिगड़ जाएगी. गर्मी बहुत ज्यादा है इतनी तेज धूप और लू इस रैन बसेरे में आती है. कभी-कभी चादर गीली करके उसे अच्छे से गारकर उसी को ओढ़कर सो जाते हैं. लोहिया अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. एपी जैन ने कहा कि अस्पताल में रैन बसेरा संस्था की ओर से संचालित हैं. ऐसे में हम संचालक से बात करेंगे कि यहां पर तीमारदारों के लिहाज से व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएं.
हजरतगंज से डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में बने रैन बसेरा में कूलर और पंखा दोनों लगा हुआ है. रैन बसेरा को अच्छी तरह से कवर किया गया है. रैन बसेरा में दरवाजा भी लगा है ताकि अंदर कूलर चलने के बाद ठंडक रहे. यहां पर जितने भी मरीज के तीमारदार आते हैं वह यहां की व्यवस्थाएं से खुश होकर वापस लौटते हैं. अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश होती है कि मरीज के साथ आए हुए तीमारदार का भी ख्याल रखा जाए. इसीलिए अलग से रैन बसेरा बनाया गया है और जहां पर कूलर पंखा की व्यवस्था की गई है. रैन बसेरा पूरी तरह से कवर है. कहीं से भी तेज हवा या धूप अंदर जाने की गुंजाइश नहीं है. फिलहाल रैन बसेरा में बेड कम हैं, कोशिश है कि कुछ बेड़ और बढ़ा दिए जाएं.
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