लखनऊ : किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पोस्टमार्टम हाउस में इन दिनों 30- 40 उम्र के लोगों का पोस्टमार्टम हो रहा है. इतनी ज्यादा संख्या में युवाओं की मौत के पीछे के कारण हैरान करने वाले हैं. केजीएमयू के विशेषज्ञ डाॅक्टरों के अनुसार ज्यादातर केस में अवसाद से ग्रसित युवाओं के सुसाइड करने के मामले होते हैं. इसके बाद दुर्घटना के कारण मरने वालों की संख्या है. इनमें भी अमूमन अवसाद से ग्रसित लोगों के दुर्घटना में शिकार होने के बात सामने आती है.
केजीएमयू के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ डॉ. राजा रूपानी ने बताया कि पोस्टमार्टम के लिए सभी प्रकार के केस आते हैं. इसमें ज्यादातर केस एक्सीडेंटल और अवसाद से ग्रसित लोगों के होते हैं, जो किन्हीं कारणों से सुसाइड कर लेते हैं. कई केस में मामला क्राइम का होता है, लेकिन उसे सुसाइड की तरह दर्शाया जाता है. आंकड़ों के अनुसार केजीएमयू में पोस्टमार्टम के लिए रोजाना 20 से 25 शव लाए जाते हैं. इनमें अधिकतर मामलों में अवसाद से जान देने वाले मामले ज्यादा मिले. इसके बाद एक्सीडेंट में जान गंवाने वालों की संख्या रही. बीते मंगलवार को पोस्टमार्टम के लिए नौ केस आए. इनमें पांच पोस्टमार्टम 40 साल से कम उम्र वालों का हुआ.
डॉ. राजा रूपानी के अनुसार पोस्टमार्टम के लिए ज्यादातर केस एक्सीडेंटल कैटेगरी के होते हैं. बीते महीने में लगभग 500 पोस्टमार्टम हुए. इनमें लगभग 150-200 केस एक्सीडेंटल रहे. इनमें जान गंवाने वालों की उम्र 40 साल से कम रही. पहली मई से 30 मई तक कुल 474 पोस्टमार्टम हुए. इनमें 309 पोस्टमार्टम 40 साल से कम उम्र के लोगों का हुआ. इसमें ज्यादातर केस एक्सीडेंटल और अवसाद के मिले. ऐसे में यह कहना लाजमी है कि युवाओं का बड़ा वर्ग डिप्रेशन में अपने जीवन के प्रति लापरवाह हो रहा है. ऐसे में जरूरी है कि वाहन चलाते समय हमेशा सावधान और सतर्क रहें. जल्दबाजी में सड़क पार न करें और अगर आप अवसाद से ग्रसित हैं तो विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें. इस दौरान ऐसा कोई भी कदम न उठाएं जो उचित न हो.
पोस्टमार्टम प्रक्रिया : मोर्चरी में जब डेड बॉडी लाई जाती है तो कार्य दो अलग-अलग सेक्टर बांटे जाते हैं. जिसमें एक तरफ ऐसी डेड बॉडी होती है, जिनका आईडेंटिफिकेशन होता है और दूसरी तरफ ऐसी डेडबॉडी होती है जो पूरी तरह से अज्ञात होते है और उसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं होती है कि यह बॉडी किसकी और यह कहां का रहने वाला है. इस मामले में पुलिस को सूचना दी जाती है. पुलिस मामले की छानबीन करती है. विभाग का इतना काम होता है कि बॉडी का पोस्टमार्टम कर दिया और इसकी सूचना पुलिस को सौंप दी जाए.