लखनऊ : आई फ्लू को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है. सतर्क रहकर आंखों के संक्रमण से खुद को बचा सकते हैं. यदि संक्रमण हो गया है तो सरकारी अस्पताल में इलाज कराएं. इलाज की पुख्ता व्यवस्था है. जांच से लेकर दवा तक के इंतजाम मुफ्त है. जिस इलाके में आईफ्लू के अधिक मरीज हों, वहां शिविर लगाएं. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने आई फ्लू प्रभावित जिलों में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है.
डिप्टी सीएम ने सभी जिलों के सीएमओ और अस्पतालों के सीएमएस के आईफ्लू प्रभावित मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि आईफ्लू की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे आते हैं. सभी स्कूल कॉलेज भी सतर्क रहें. यदि किसी बच्चे को आंखों का संक्रमण है. तो उसे अवकाश प्रदान करें. स्वस्थ्य बच्चों से उससे दूर बैठाएं. नेत्र रोग विशेषज्ञ आईफ्लू के मरीजों को अलग कमरे में देख सकते हैं. मरीजों को इलाज के साथ सावधानी भी जरूर बताएं.
आई फ्लू के कारण बाजार में बढ़ी दवाओं की मांग : लखनऊ में करीब पांच से छह हजार थोक व फुटकर दवा की दुकानें हैं. थोक बाजार से दूसरे जिलों में दवाओं की आपूर्ति की जाती है. लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य विकास रस्तोगी ने बताया कि बीते दो सप्ताह से आई फ्लू के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की बिक्री में वृद्धि हुई है. अभी दवाओं का स्टॉक पर्याप्त है. फुटकर कारोबारियों के पास दो से तीन सप्ताह की दवाओं का स्टॉक है. दवाओं का संकट नहीं है. एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य मयंक रस्तोगी ने बताया कि आई फ्लू दवाओं की खपत जरूरी बढ़ी है, लेकिन दवाओं का संकट नहीं है. एफएसडीए के सहायक आयुक्त ब्रजेश कुमार ने बताया कि तय से अधिक कीमत पर दवा बिक्री की शिकायत नहीं है. जांच कराई जाएगी. गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई की जाएगी.
केजीएमयू नेत्र रोग विभाग के डॉ. अरुण शर्मा के मुताबिक आंखों में लाली और जलन की समस्या होती है. इस बीमारी को स्थानीय भाषा में आंख आना भी कहते हैं. सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि आईफ्लू को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है. सतर्क रहकर आंखों के संक्रमण से खुद को बचा सकते हैं. संक्रमण हो गया है तो सरकारी अस्पताल में इलाज कराएं. इलाज की पुख्ता व्यवस्था है. जांच से दवा तक मुफ्त है. आईफ्लू की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे आते हैं. सभी स्कूल कॉलेज भी सतर्क रहें.
31 सीएचसी पर लगेंगे 10.49 करोड़ के हाईटेक उपकरण
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि प्रदेश के 17 जिलों में नवनिर्मित 31 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के संचालन हेतु उपकरणों की स्थापना के लिए प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति निर्गत कर दी गई है. इन उपकरणों की स्थापना के लिए 10.49 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इनमें बाराबंकी जिले के सिद्धौर, जहांगीराबाद, बरेली के फतेहगंज पश्चिम, बिथरी चैनपुर, बस्ती के बहादुरपुर, कुदरहा, पीलीभीत के बरखेड़ा, झांसी के बमौर, चिरगावां, गरौठा, समथर, सहारनपुर के सढ़ौली कदीम, रणखण्डी, अम्बेहटा पीर, अम्बेहटा चांद, जहौदा पाण्डा, रायबरेली के रोहनिया, फैजाबाद के हैदरगंज, आगरा के खंदौली, मैनपुरी के जागीर, मुरादाबाद के कुन्दरकी, अलीगढ़ के गंगीरी, बेसवा, उन्नाव के औरावां, शामली के कुहाना, ऊन, बलिया के रतसड, एटा के अवागढ़, सकीट, शीतलपुर एवं गोरखपुर के उसवांबाबू सीएचसी शामिल हैं.