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लखनऊ: लास्ट स्टेज के कैंसर से उबारेगा जीन ट्रीटमेंट, मरीजों को मिलेगी नई जिंदगी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लोहिया संस्थान में ऑन्कोलॉजी विभाग ने एक जीन की खोज की है. इसमें लास्ट स्टेज के कैंसर से भी मरीज को उभारकर नई जिंदगी दी जा सकेगी.

लोहिया संस्थान के ऑन्कोलॉजी विभाग ने की जीन खोज.
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Published : Oct 1, 2019, 8:16 AM IST

लखनऊ: लोहिया संस्थान को बड़ी सफलता मिली है. दरअसल संस्थान के ऑन्कोलॉजी विभाग ने एक ऐसे जीन की खोज की है, जिसमें लास्ट स्टेज के कैंसर से भी मरीज को उभारकर नई जिंदगी दी जा सकती है. इसके तहत संस्थान में लोगों का इलाज भी किया जा रहा है.
फेफड़ों के कैंसर में लास्ट स्टेज आते ही यह मान लिया जाता है कि मरीज एक साल से ज्यादा जिंदा नहीं रह पाता है. अब यह धारणा गलत साबित हो सकती है. लास्ट स्टेज में भी 3 से 4 साल तक की जिंदगी बढ़ाई जा सकती है. टारगेट थेरेपी के माध्यम से अब यह संभव हो गया है.

लोहिया संस्थान के ऑन्कोलॉजी विभाग ने की जीन की खोज.
यह भी पढ़ें: राजधानी में फेल साबित हो रही योगी की पुलिस, नहीं लग रही अपराधों पर लगाम
इस बारे में राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान में ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. गौरव गुप्ता का कहना है कि कई ऐसे जीन हैं जिनको पहचान लिया गया है. इनसे कैंसर का इलाज किया जा सकता है. अब तक लंग्स कैंसर में कीमोथेरेपी की जाती थी, जो कैंसर को मारने का काम करती थी लेकिन उससे स्वस्थ सेल भी मर जाते थे.
अब सिर्फ मरीजों को दवाइयां दी जाएंगी, जो सिर्फ कैंसर सेल पर काम करेंगी. इस इलाज से कैंसर के वापस आने की संभावनाएं भी लगभग 2 से 3 वर्ष के लिए टल जाती है.

लखनऊ: लोहिया संस्थान को बड़ी सफलता मिली है. दरअसल संस्थान के ऑन्कोलॉजी विभाग ने एक ऐसे जीन की खोज की है, जिसमें लास्ट स्टेज के कैंसर से भी मरीज को उभारकर नई जिंदगी दी जा सकती है. इसके तहत संस्थान में लोगों का इलाज भी किया जा रहा है.
फेफड़ों के कैंसर में लास्ट स्टेज आते ही यह मान लिया जाता है कि मरीज एक साल से ज्यादा जिंदा नहीं रह पाता है. अब यह धारणा गलत साबित हो सकती है. लास्ट स्टेज में भी 3 से 4 साल तक की जिंदगी बढ़ाई जा सकती है. टारगेट थेरेपी के माध्यम से अब यह संभव हो गया है.

लोहिया संस्थान के ऑन्कोलॉजी विभाग ने की जीन की खोज.
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इस बारे में राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान में ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. गौरव गुप्ता का कहना है कि कई ऐसे जीन हैं जिनको पहचान लिया गया है. इनसे कैंसर का इलाज किया जा सकता है. अब तक लंग्स कैंसर में कीमोथेरेपी की जाती थी, जो कैंसर को मारने का काम करती थी लेकिन उससे स्वस्थ सेल भी मर जाते थे.
अब सिर्फ मरीजों को दवाइयां दी जाएंगी, जो सिर्फ कैंसर सेल पर काम करेंगी. इस इलाज से कैंसर के वापस आने की संभावनाएं भी लगभग 2 से 3 वर्ष के लिए टल जाती है.
Intro:राजधानी लखनऊ के लोहिया संस्थान में ऑंकोलॉजी विभाग ने एक ऐसे जीन क्या खोज कर ली है जिसके तहत लोगों संस्थान में इलाज किया जा रहा है। जिसमें लास्ट स्टेज के कैंसर से भी मरीज को उभारकर नई जिंदगी दी जा सकेगी।




Body:फेफड़ों के कैंसर में लास्ट स्टेज आते ही यह मान लिया जाता है कि मरीज 1 साल से ज्यादा मरीज जिंदा नहीं रह पाता है अब यह धारणा गलत साबित हो सकती है ।दरअसल ऐसा इसलिए लास्ट स्टेज में भी मरीज जीन ट्रीटमेंट कर 3 से 4 साल तक की जिंदगी ज्यादा बढ़ाई जा सकती है।टारगेट थेरेपी के माध्यम से अब यह संभव हो गया है।इस बारे में राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान में ऑंकोलॉजी विभाग के डॉ गौरव गुप्ता नहीं है जानकारी हमसे साझा करें इस दौरान उन्होंने बताया कि कई ऐसी जीन है जिनको पहचान लिया गया है।जिनमें कैंसर होने पर उसका इलाज किया जा सकता है। इसमें शामिल है जिन पर काम चल रहा है।अब तक लंग कैंसर में कीमोथेरेपी दी जाती थी जो कैंसर को मारने का काम करती थी।लेकिन उसके स्वस्थ सेल भी मर जाते थे। इस साल से सिर्फ दवाइयां दी जाती है।जो सिर्फ कैंसर सेल पर करेंगी। इसके मुकाबले लास्ट स्टेज में इस इलाज से 2 गुना ज्यादा जीवित रह सकता है और इसके इलाज से कैंसर के वापस आने की संभावनाएं लगभग 2 से 3 वर्ष के लिए टल जाती हैं।

बाइट- डॉ गौरव गुप्ता ,ऑन्कोलॉजी विभाग, लोहिया संस्थान




Conclusion:एन्ड
शुभम पाण्डेय
7054605976
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