लखनऊ: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक में पीडियाट्रिक सर्जरी के सीनियर प्रोफेसर और सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च की एक अन्य डॉक्टर को बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया है. इन दोनों के खिलाफ ही विभिन्न आरोपों को लेकर जांच बैठाई गई थी. बैठक में अनुशासनात्मक निर्णय लेते हुए दोनों की सेवा समाप्त करने की बात कही गई है. इसके जवाब में इन दोनों ही शिक्षकों ने इस निर्णय को चैलेंज करने की बात कही है.
इस बैठक में केजीएमयू के गठिया विभाग के प्रोफेसर डॉ. अनुपम वाखलू को केजीएमयू में कार्यरत रहते हुए एक प्राइवेट कंपनी के निदेशक के रूप में पाए जाने के खिलाफ अनुशासनिक समिति और जांच करने की बात कही गई है. पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. आशीष वाखलू को केजीएमयू में सीपीएमएस स्थापित करने के लिए 2010 में नोडल ऑफिसर नियुक्त किया गया था. लेकिन डॉ. आशीष वाखलू कार्यकाल के दौरान गड़बड़ी पाए जाने के बाद उनके खिलाफ भी जांच कमेटी बैठाई गई. इस जांच कमेटी ने 14 जून 2019 को डॉक्टर वाखलू के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया और उसका जवाब देने के लिए डॉक्टर वाखलू को समय दिया गया.
19 मार्च 2020 को कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद भी जब डॉ. वाखलू ने जवाब नहीं दिया तो सोमवार की बैठक में केजीएमयू ने आशीष वाखलू की सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया. वहीं, सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नीतू सिंह के खिलाफ 19 अक्टूबर 2019 को जांच कमेटी बनाई गई थी. डॉ. नीतू को 1 जनवरी 2020 कारण बताओ नोटिस जारी किया गया पर इसका उन्होंने जवाब नहीं दिया. डॉ. नीतू को रिसर्च प्रोजेक्ट से जुड़े कार्यों में अनियमितताएं पाई जाने का दोषी माना गया है और उनकी भी सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया गया है.
केजीएमयू के कार्य परिषद की बैठक में आईटी सेल द्वारा 2015 में ऑनलाइन परीक्षा के लिए 300 लैपटॉप की खरीद-फरोख्त की अनियमितता पर एफआईआर दर्ज करवाने का भी निर्णय लिया गया है. वहीं डॉ. आशीष वाखलू और डॉक्टर नीतू सिंह ने कार्यपरिषद की बैठक में उनकी सेवाएं बर्खास्त करने के निर्णय को चैलेंज करने की बात कही है.