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लखनऊ : KGMU के डॉक्टरों ने पेट से जुड़े बच्चों को दी नई जिंदगी - केजीएमयू गैस्ट्रो सर्जरी विभाग

केजीएमयू में पेट से जुड़े जुड़वा बच्चों का पांच विभाग के डॉक्टरों की टीम ने मिलकर करीब छह घंटे ऑपरेशन किया. जुड़वा बच्चों के जुड़े अंगों को बिना किसी नुकसान के अलग करना काफी मुश्किल था.

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डॉक्टरों ने जुड़वा बच्चों को दी नई जिंदगी.
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Published : Nov 11, 2020, 8:57 AM IST

लखनऊ: केजीएमयू के डॉक्टरों ने पेट से जुड़े जुड़वा बच्चों को ऑपरेशन से अलग कर नई जिंदगी देने में कामयाबी हासिल की है. पांच विभाग के डॉक्टरों की टीम ने मिलकर करीब छह घंटे ऑपरेशन किया. बच्चों के जुड़े अंगों को बिना किसी नुकसान के अलग करना काफी मुश्किल था. ऑपरेशन के बाद दोनों बच्चों को अलग-अलग वेंटिलेटर पर रखा गया है.

लाकडाउन की वजह से ऑपरेशन में हुई देरी

कुशीनगर निवासी मजदूर दम्पति के घर 19 नवम्बर 2019 को जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया. जुड़वा बच्चे पेट के हिस्से से जुड़े हुए थे. जैसे-जैसे उम्र बढ़ी परेशानी भी बढ़ती गई. परिवारीजनों ने कई डॉक्टरों को दिखाया. डॉक्टरों ने एक साल की उम्र के बाद ऑपरेशन करने की बात कही. आर्थिक संकट और लॉकडाउन की वजह से परिवारीजन बच्चों का इलाज नहीं करा पाए. किसी तरह लोगों की मदद से परिवारीजन बच्चों को लेकर केजीएमयू पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने बच्चों को देखा और ऑपरेशन की सलाह दी. इस ऑपरेशन में गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉ. अभिजीत चन्द्रा, डॉ. विवेक, कॉर्डियो वैस्कुलर थौरेसिक सर्जरी विभाग के डॉ. अम्बरीष कुमार, एनस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. जीपी सिंह, डॉ. विनीता और डॉ. सतीश वर्मा ने अहम भूमिका अदा की. इसके अलावा पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉ. एस सिंह सहित अन्य डॉक्टरों की टीम ने सोमवार को जटिल ऑपरेशन किया.

ऑपरेशन टीम के डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे कंज्वाइन ट्विंस नामक बीमारी से पीड़ित थे. पेट और छाती आपस में जुड़ी हुई थी. लिवर का एक हिस्सा चिपका हुआ था. बाकी अंग दोनों के अलग-अलग हैं. छाती की हड्डी भी काटी गई.

बढ़ जाती चुनौती

डॉक्टरों का कहना है कि यदि दोनों का दिल एक होता तो फिर एक को ही बचाया जा सकता था. लिवर दोनों का अलग होने के साथ एक हिस्सा कॉमन जुड़ा था, जिसे हटा दिया गया है.

लखनऊ: केजीएमयू के डॉक्टरों ने पेट से जुड़े जुड़वा बच्चों को ऑपरेशन से अलग कर नई जिंदगी देने में कामयाबी हासिल की है. पांच विभाग के डॉक्टरों की टीम ने मिलकर करीब छह घंटे ऑपरेशन किया. बच्चों के जुड़े अंगों को बिना किसी नुकसान के अलग करना काफी मुश्किल था. ऑपरेशन के बाद दोनों बच्चों को अलग-अलग वेंटिलेटर पर रखा गया है.

लाकडाउन की वजह से ऑपरेशन में हुई देरी

कुशीनगर निवासी मजदूर दम्पति के घर 19 नवम्बर 2019 को जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया. जुड़वा बच्चे पेट के हिस्से से जुड़े हुए थे. जैसे-जैसे उम्र बढ़ी परेशानी भी बढ़ती गई. परिवारीजनों ने कई डॉक्टरों को दिखाया. डॉक्टरों ने एक साल की उम्र के बाद ऑपरेशन करने की बात कही. आर्थिक संकट और लॉकडाउन की वजह से परिवारीजन बच्चों का इलाज नहीं करा पाए. किसी तरह लोगों की मदद से परिवारीजन बच्चों को लेकर केजीएमयू पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने बच्चों को देखा और ऑपरेशन की सलाह दी. इस ऑपरेशन में गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉ. अभिजीत चन्द्रा, डॉ. विवेक, कॉर्डियो वैस्कुलर थौरेसिक सर्जरी विभाग के डॉ. अम्बरीष कुमार, एनस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. जीपी सिंह, डॉ. विनीता और डॉ. सतीश वर्मा ने अहम भूमिका अदा की. इसके अलावा पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉ. एस सिंह सहित अन्य डॉक्टरों की टीम ने सोमवार को जटिल ऑपरेशन किया.

ऑपरेशन टीम के डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे कंज्वाइन ट्विंस नामक बीमारी से पीड़ित थे. पेट और छाती आपस में जुड़ी हुई थी. लिवर का एक हिस्सा चिपका हुआ था. बाकी अंग दोनों के अलग-अलग हैं. छाती की हड्डी भी काटी गई.

बढ़ जाती चुनौती

डॉक्टरों का कहना है कि यदि दोनों का दिल एक होता तो फिर एक को ही बचाया जा सकता था. लिवर दोनों का अलग होने के साथ एक हिस्सा कॉमन जुड़ा था, जिसे हटा दिया गया है.

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