लखनऊ: उद्यान विभाग खरीफ की योजना में प्याज की खेती की पहल करने जा रहा है. विभाग कृषक उत्पादक संगठनों को प्राथमिकता देगा. इस बार परंपरागत केला, पपीता और सब्जियों के उत्पादन के साथ औद्यानिक फसलों में कटहल, ड्रैगन फ्रूट और स्ट्राबेरी की भी खेती प्रोत्साहित की जाएगी. यह जानकारी निदेशक उद्यान डॉ. आरके तोमर ने शुक्रवार को प्रदेश भर के कृषि उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के प्रतिनिधियों और जिला उद्यान अधिकारियों को वर्चुअल संवाद में दी. यह संवाद कृषि उत्पादन आयुक्त ने एसपीओ को सहयोग के लिए जारी दिशा-निर्देशों के क्रम में किया.
बलुई जमीन है प्याज की खेती के लिए उत्तम
डॉ. तोमर ने जिला उद्यान अधिकारियों को कृषक उत्पादक संगठनों को विभाग की ओर से सभी सुविधाएं प्राथमिकता पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा एफपीओ को केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाओं का लाभ दिलाया जाए. उन्होंने बताया कि प्रदेश में सामान्यतः रबी सीजन में प्याज की खेती होती है, लेकिन प्रदेश में जहां बलुई जमीन उपलब्ध है और पानी कम लगता है, वहां प्याज की खेती खरीफ में भी हो सकती है. विभाग इसे प्रोत्साहित करेगा.
मसाले की खेती से जोड़ी जाएंगी औद्यानिक फसलें
इसी तरह प्याज, लहसुन और मिर्च का उत्पादन पहले से होता है. लेकिन मसाले की खेती के लिए अन्य औद्यानिक फसलों को भी जोड़ने की योजना है. इस संबंध में जल्द ही भारतीय मसाला बोर्ड, एफपीओ और राष्ट्रीय औद्यानिक बोर्ड के बीच संयुक्त संवाद का प्रस्ताव है.
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एफपीओ को मिलेगा प्रोत्साहन
उन्होंने बताया कि एफपीओ छिड़काव से संबंधित यंत्र और प्रोसेसिंग इंडस्ट्री से जुड़े प्रोत्साहन भी प्राप्त कर सकते हैं, अगर एफपीओ जिला स्तर पर किसानों का प्रशिक्षण शुरू करना चाहते हैं, तो जिला उद्यान अधिकारी उससे संबंधित प्रस्ताव भेजेंगे. इसकी भी अनुमति दी जाएगी.