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हाईकोर्ट ने कर्मचारी की पेंशन रोकने पर शिक्षा विभाग को लगाई फटकार

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Published : Apr 25, 2019, 9:54 PM IST

लखनऊ हाईकोर्ट बेंच ने गुरुवार को माध्यमिक शिक्षा विभाग के एक कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक अहम फैसला सुनाया. याचिकाकर्ता को विभाग से 14 लाख के वेतन की रिकवरी और उसकी पेंशन बंद करने का नोटिस मिला था. कोर्ट ने विभाग के इस फैसले पर रोक लगाते हुए विभाग को आदेश दिए हैं कि याची को ब्याज सहित वेतन की रकम लौटाई जाए.

हाईकोर्ट ने सेंकडरी शिक्षा उप निदेशक को फटकारा


लखनऊ : माध्यमिक शिक्षा उप-निदेशक शिक्षा ने विभाग से सेवानिवृत हो चुके एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को एक रिकवरी नोटिस भेज दिया. नोटिस में कर्मचारी को 6 साल के लिए भुगतान किए गए वेतन के बदले 14 लाख 25 हजार 963 रुपये की रिकवरी करने की बात कही गई थी. इसके साथ ही कर्मचारी के पेंशन का भुगतान भी रोक दिया गया. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुरुवार को इस रिकवरी नोटिस संबंधी आदेश को खारिज कर दिया. न्यायालय ने कर्मचारी को उसके सभी सेवानिवृति लाभ देने का आदेश दिया है. साथ ही देरी के लिए 18 प्रतिशत ब्याज भुगतान करने के निर्देश भी दिए गए हैं.

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हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा उप निदेशक को फटकारा.

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की एकल सदस्यीय पीठ ने कर्मचारी कल्लू की सेवा संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. याचिका में कहा गया था कि याची की जन्म तिथि उसके सर्विस बुक में गलत दर्ज हो गई थी जिसे बाद में उसने हलफनामा देकर सही कराया था. नई जन्म तिथि के अनुसार वह मई 2014 में सेवानिवृत हो गया. सेवानिवृति के लगभग डेढ़ साल बाद उप-निदेशक ने यह कहते हुए उसके खिलाफ रिकवरी नोटिस जारी कर दिया कि उसने बाद में जन्म तिथि बढ़ाकर दर्ज कराई थी और लगभग छह साल तक अतिरिक्त वेतन हासिल करता रहा. उपनिदेशक ने यह भी कहा कि उसकी पूर्व की जन्म तिथि के अनुसार उसे मई 2008 में ही सेवानिवृत हो जाना चाहिए था.

याची की ओर से दलील दी गई कि मई 2008 के बाद विभाग उससे छह साल तक काम लेता रहा. यदि उसकी जन्म तिथि पर कोई संशय था तो उसी समय जांच की जानी चाहिए थी. इसके साथ ही याचिका में कहा गया कि जन्म तिथि ठीक करने के निवेदन पर पर्याप्त विचार के बाद ही सर्विस बुक में उसकी जन्म तिथि में संशोधन किया गया था. न्यायालय ने याची की दलील से सहमत होते हुए रिकवरी नोटिस को खारिज कर दिया और साथ ही सभी सेवानिवृति लाभ तत्काल दिये जाने के आदेश दिए.


लखनऊ : माध्यमिक शिक्षा उप-निदेशक शिक्षा ने विभाग से सेवानिवृत हो चुके एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को एक रिकवरी नोटिस भेज दिया. नोटिस में कर्मचारी को 6 साल के लिए भुगतान किए गए वेतन के बदले 14 लाख 25 हजार 963 रुपये की रिकवरी करने की बात कही गई थी. इसके साथ ही कर्मचारी के पेंशन का भुगतान भी रोक दिया गया. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुरुवार को इस रिकवरी नोटिस संबंधी आदेश को खारिज कर दिया. न्यायालय ने कर्मचारी को उसके सभी सेवानिवृति लाभ देने का आदेश दिया है. साथ ही देरी के लिए 18 प्रतिशत ब्याज भुगतान करने के निर्देश भी दिए गए हैं.

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हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा उप निदेशक को फटकारा.

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की एकल सदस्यीय पीठ ने कर्मचारी कल्लू की सेवा संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. याचिका में कहा गया था कि याची की जन्म तिथि उसके सर्विस बुक में गलत दर्ज हो गई थी जिसे बाद में उसने हलफनामा देकर सही कराया था. नई जन्म तिथि के अनुसार वह मई 2014 में सेवानिवृत हो गया. सेवानिवृति के लगभग डेढ़ साल बाद उप-निदेशक ने यह कहते हुए उसके खिलाफ रिकवरी नोटिस जारी कर दिया कि उसने बाद में जन्म तिथि बढ़ाकर दर्ज कराई थी और लगभग छह साल तक अतिरिक्त वेतन हासिल करता रहा. उपनिदेशक ने यह भी कहा कि उसकी पूर्व की जन्म तिथि के अनुसार उसे मई 2008 में ही सेवानिवृत हो जाना चाहिए था.

याची की ओर से दलील दी गई कि मई 2008 के बाद विभाग उससे छह साल तक काम लेता रहा. यदि उसकी जन्म तिथि पर कोई संशय था तो उसी समय जांच की जानी चाहिए थी. इसके साथ ही याचिका में कहा गया कि जन्म तिथि ठीक करने के निवेदन पर पर्याप्त विचार के बाद ही सर्विस बुक में उसकी जन्म तिथि में संशोधन किया गया था. न्यायालय ने याची की दलील से सहमत होते हुए रिकवरी नोटिस को खारिज कर दिया और साथ ही सभी सेवानिवृति लाभ तत्काल दिये जाने के आदेश दिए.

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को भेजा 14 लाख रुपये की रिकवरी का नोटिस
हाईकोर्ट ने रद् किया उप-निदेशक का आदेश, कर्मचारी की पेंशन रोकने पर लगाई फटकार
विधि संवाददाता
लखनऊ
। उप-निदेशक शिक्षा (सेकंडरी) ने विभाग से सेवानिवृत हो चुके एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को भुगतान किये गए, छह साल के वेतन के बदले 14 लाख 25 हजार 963 रुपये का रिकवरी नोटिस भेज दिया। इसके साथ ही कर्मचारी के पेंशन का भुगतान भी रोक दिया गया। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रिकवरी नोटिस सम्बंधी आदेश को खारिज कर दिया व कर्मचारी को उसके सभी सेवानिवृति लाभ व देरी के लिए 18 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करने का आदेश दिया है।
    यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की एकल सदस्यीय पीठ ने कल्लू की सेवा सम्बंधी याचिका पर पारित किया। याचिका में कहा गया था कि याची की जन्म तिथि उसके सर्विस बुक में गलत दर्ज हो गई थी जिसे बाद में उसने हलफनामा देकर सही कराया था। नई जन्म तिथि के अनुसार वह मई 2014 में सेवानिवृत हो गया। लेकिन सेवानिवृति के लगभग डेढ साल बाद उप-निदेशक ने यह कहते हुए, उसके खिलाफ रिकवरी नोटिस जारी कर दिया व पेंशन रोक दी कि उसने बाद में जन्म तिथि बढाकर दर्ज करवाई और लगभग छह साल तक अतिरिक्त वेतन हासिल करता रहा। यह भी कहा गया कि उसकी पूर्व की जन्म तिथि के अनुसार उसे मई 2008 में ही सेवानिवृत हो जाना चाहिए था। याची की ओर से दलील दी गई कि मई 2008 के बाद उससे विभाग छह साल तक काम लेता रहा, यदि उसकी जन्म तिथि पर कोई संशय था तो उसी समय जांच की जानी चाहिए थी, इसके साथ ही यह भी कहा गया कि जन्म तिथि ठीक करने का उसने निवेदन किया था, जिस पर पर्याप्त विचार के बाद ही सर्विस बुक में उसकी जन्म तिथि में संशोधन किया गया। न्यायालय ने याची की दलील से सहमत होते हुए, रिकवरी नोटिस को खारिज कर दिया व साथ ही सभी सेवानिवृति लाभ तत्काल दिये जाने के आदेश दिये।         
 


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Chandan Srivastava
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