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किशोर न्याय नियम पर सख्त हुआ हाईकोर्ट, राज्य सरकार को नये बने नियम को रिकॉर्ड पर रखने का आदेश - किशोर न्याय

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने किशोर न्याय (बालकों का संरक्षण व देखभाल) नियम, 2019 का ड्राफ्ट राज्य सरकार से तलब किया है. इसके पूर्व न्यायालय के पिछले आदेशों के अनुपालन में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट के समक्ष जानकारी दी गई कि अब उक्त नियम बनकर तैयार हो चुका है.

लखनऊ हाईकोर्ट
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Published : Jul 22, 2021, 10:55 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने किशोर न्याय (बालकों का संरक्षण व देखभाल) नियम, 2019 का ड्राफ्ट राज्य सरकार से तलब किया है. इसके पूर्व न्यायालय के पिछले आदेशों के अनुपालन में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट के समक्ष जानकारी दी गई कि अब उक्त नियम बनकर तैयार हो चुका है.


यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान द्वारा दर्ज जनहित याचिका पर पारित किया. दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने बालकों व किशोरों के मामलों को गम्भीरता से लेते हुए देश के सभी उच्च न्यायालयों को आदेश दिया था कि वे अपने-अपने यहां इस विषय पर स्वतः संज्ञान जनहित याचिका दर्ज करें व बालकों व किशोरों के मामलों की मॉनिटरिंग करें. सर्वोच्च न्यायालय के इसी आदेश के अनुपालन में वर्ष 2018 में वर्तमान जनहित याचिका को दर्ज किया गया था. याचिका में किशोर अपचारियों समेत बाल संरक्षण गृहों में निवास कर रहे बच्चों की बेहतरी के लिए किशोर न्याय नियम बनाने का मुद्दा निहित है. पूर्व की सुनवाईयों पर नियम तैयार न हो पाने पर न्यायालय ने सरकार को फटकार भी लगायी थी. हालांकि इस बार की सुनवाई में राज्य सरकार के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि नियम बना लिए गए हैं लेकिन इन्हें रिकॉर्ड पर रखने के लिए समय दिये जाने की आवश्यकता है. न्यायालय ने समय देने का अनुरोध स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 जुलाई की तारीख तय की गयी है.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने किशोर न्याय (बालकों का संरक्षण व देखभाल) नियम, 2019 का ड्राफ्ट राज्य सरकार से तलब किया है. इसके पूर्व न्यायालय के पिछले आदेशों के अनुपालन में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट के समक्ष जानकारी दी गई कि अब उक्त नियम बनकर तैयार हो चुका है.


यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान द्वारा दर्ज जनहित याचिका पर पारित किया. दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने बालकों व किशोरों के मामलों को गम्भीरता से लेते हुए देश के सभी उच्च न्यायालयों को आदेश दिया था कि वे अपने-अपने यहां इस विषय पर स्वतः संज्ञान जनहित याचिका दर्ज करें व बालकों व किशोरों के मामलों की मॉनिटरिंग करें. सर्वोच्च न्यायालय के इसी आदेश के अनुपालन में वर्ष 2018 में वर्तमान जनहित याचिका को दर्ज किया गया था. याचिका में किशोर अपचारियों समेत बाल संरक्षण गृहों में निवास कर रहे बच्चों की बेहतरी के लिए किशोर न्याय नियम बनाने का मुद्दा निहित है. पूर्व की सुनवाईयों पर नियम तैयार न हो पाने पर न्यायालय ने सरकार को फटकार भी लगायी थी. हालांकि इस बार की सुनवाई में राज्य सरकार के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि नियम बना लिए गए हैं लेकिन इन्हें रिकॉर्ड पर रखने के लिए समय दिये जाने की आवश्यकता है. न्यायालय ने समय देने का अनुरोध स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 जुलाई की तारीख तय की गयी है.

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