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हाईकोर्ट ने बिजली कनेक्शन काटने वाली याचिका को किया खारिज

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिजली कनेक्शन काटने को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि नियामक आयोग में मामला विचाराधीन है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच.
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच.
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Published : Jan 15, 2021, 9:23 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिजली कनेक्शन काटने को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि नियामक आयोग में मामला विचाराधीन है. इसलिए बिजली कनेक्शन काटे जाने के खिलाफ याचिका पोषणीय नहीं है. हालांकि, न्यायालय ने याची को यूपी विद्युत नियामक आयोग के समक्ष अपनी बात रखने की अनुमति दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की एकल सदस्यीय पीठ ने गिरधर शीत भंडार की ओर से दाखिल याचिका पर दिया.

याचिका में कहा गया था कि याची पर लगभग 68 लाख 82 हजार रुपये का बिजली का बिल बकाए के रूप में दिखाया जा रहा है, जोकि सही नहीं है. वहीं, याचिका का विरोध करते हुए पॉवर कॉर्पोरेशन के अधिवक्ता अमित कुमार द्विवेदी ने दलील दी कि याची ने विद्युत नियामक आयोग के समक्ष एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, जिस पर बार-बार तारीख पड़ने के बावजूद याची उपस्थित नहीं हो रहा था. इस पर आयोग ने उसके प्रार्थना पत्र को एक दिसम्बर 2020 को निस्तारित कर दिया.

आयोग के एक दिसम्बर 2020 के आदेश के अनुपालन में याची को बिल भेजा गया, बावजूद इसके याची ने बकाए का भुगतान नहीं किया. इस पर उसका कनेक्शन काट दिया गया. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि याची का एक प्रार्थना पत्र आयोग के समक्ष विचाराधीन है. न्यायालय ने कहा ऐसे में वर्तमान याचिका पोषणीय नहीं है. हालांकि, न्यायालय ने याची को नियामक आयोग के समक्ष जाने की छूट प्रदान की है.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिजली कनेक्शन काटने को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि नियामक आयोग में मामला विचाराधीन है. इसलिए बिजली कनेक्शन काटे जाने के खिलाफ याचिका पोषणीय नहीं है. हालांकि, न्यायालय ने याची को यूपी विद्युत नियामक आयोग के समक्ष अपनी बात रखने की अनुमति दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की एकल सदस्यीय पीठ ने गिरधर शीत भंडार की ओर से दाखिल याचिका पर दिया.

याचिका में कहा गया था कि याची पर लगभग 68 लाख 82 हजार रुपये का बिजली का बिल बकाए के रूप में दिखाया जा रहा है, जोकि सही नहीं है. वहीं, याचिका का विरोध करते हुए पॉवर कॉर्पोरेशन के अधिवक्ता अमित कुमार द्विवेदी ने दलील दी कि याची ने विद्युत नियामक आयोग के समक्ष एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, जिस पर बार-बार तारीख पड़ने के बावजूद याची उपस्थित नहीं हो रहा था. इस पर आयोग ने उसके प्रार्थना पत्र को एक दिसम्बर 2020 को निस्तारित कर दिया.

आयोग के एक दिसम्बर 2020 के आदेश के अनुपालन में याची को बिल भेजा गया, बावजूद इसके याची ने बकाए का भुगतान नहीं किया. इस पर उसका कनेक्शन काट दिया गया. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि याची का एक प्रार्थना पत्र आयोग के समक्ष विचाराधीन है. न्यायालय ने कहा ऐसे में वर्तमान याचिका पोषणीय नहीं है. हालांकि, न्यायालय ने याची को नियामक आयोग के समक्ष जाने की छूट प्रदान की है.

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