लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिज़वी उर्फ जितेंद्र नारायण को मारने के लिए कथित फतवा जारी करने के अभियुक्त मौलाना सैयद मोहम्मद शबीबुल हुसैनी को बुधवार को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. मौलाना हुसैनी 1 अगस्त 2023 से ही इस मामले में जेल में हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खान की एकल पीठ ने मौलाना हुसैनी की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया.
अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने दलील दी कि एक यूट्यूब चैनल पर वसीम रिजवी का 'कत्ल वाज़िब है' कहने का अभियुक्त पर आरोप है. मामले की एफआईआर में वसीम रिजवी ने आरोप लगाया है कि अभियुक्त ने अपने बयान में कहा है कि जिस तरह लेखक सलमान रुश्दी की हत्या जरूरी है, उसी तरह रिजवी की हत्या भी जरूरी है. यह भी आरोप लगाया गया कि मौलाना हुसैनी द्वारा वादी के खिलाफ फतवा जारी करना मुसलमानों को उनके खिलाफ भड़का कर उनकी हत्या की साजिश है. क्योंकि, उसने सनातन धर्म को स्वीकार कर लिया था.
अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि स्वयं वसीम रिजवी के विरुद्ध लगभग 30 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से ज्यादातर मामले हेट स्पीच के हैं. यह भी दलील दी गई कि वर्तमान मामले में अभियुक्त के बयान को तोड़-मरोड़ का प्रस्तुत किया गया. जबकि, उसने दूसरा बयान जारी करते हुए स्पष्टीकरण भी दिया था. अभियुक्त की ओर से यह भी कहा गया कि मामले में उसके अकेले अभियुक्त होने के बावजूद उस पर साजिश की धारा 120-बी लगा दी गई है, जो कानूनन सही नहीं है. वहीं, जमानत का राज्य सरकार की ओर से विरोध करते हुए कहा गया कि अभियुक्त ने धार्मिक भावनाएं भड़काने का काम किया है.
यह भी पढ़ें: कश्मीर में बसने की तैयारी कर रहे वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी, जानिए क्यों?
यह भी पढ़ें: द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल के निर्माता वसीम रिजवी को सरकार का नोटिस, जानें प्रतिक्रिया