लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कोविड-19 (कोरोना वायरस) पर नियंत्रण के लिए की जा रही प्रतिदिन की कार्रवाई के सम्बंध में राज्य सरकार से जवाब मांगा था. जिसके बाद राज्य सरकार ने इसे लेकर कोर्ट में जवाब तलब किया था, जिसपर कोर्ट ने असंतुष्टि जाहिर की थी. अब एक बार फिर राज्य सरकार की ओर से दोबारा आए जवाब से भी कोर्ट ने असंतुष्टि जाहिर की है.
कोर्ट ने कहा कि सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता के पास बताने के लिए कुछ नहीं है, लिहाजा मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव चिकित्सा और स्वास्थ्य तथा महानिदेशक चिकित्सा और स्वास्थ्य विस्तृत जवाबी हलफनामा सात दिनों में दाखिल करते हुए, इस मामले पर जवाब दें. न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 मार्च की तारीख मुकर्रर की है.
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने संदीप कुमार ओझा और एक अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया.
महानिदेशक चिकित्सा व स्वास्थ्य को भी शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश
मंगलवार को मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से आए निर्देश में 16 मार्च के आदेश के अनुपालन में कोई भी जानकारी नहीं दी गई है और न ही मुख्य स्थाई अधिवक्ता के पास बताने के लिए कुछ भी है. लिहाजा हमारे पास मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और महानिदेशक का हलफनामा मंगाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है.
कोरोना के संबंध में दाखिल की गई थी याचिका
उल्लेखनीय है कि याचिका में एयरपोर्टों पर विभिन्न उपाय किये जाने की मांग की गई है, साथ ही एसजीपीजीआई, केजीएमयू, लोहिया, सिविल, लोकबंधु और बलरामपुर और जिलों के सरकारी अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाने, पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट और एन95 मास्क की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की भी मांग की गई है.
याचिका में सरकार को यह स्पष्ट करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है कि कोविड-19 से प्रभावित मरीजों की वास्तविक संख्या क्या है. उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखा गया है अथवा नहीं. 16 मार्च को भी न्यायालय सरकार की ओर से आए निर्देश पर संतुष्ट नहीं हुई थी और बेहतर जानकारी के साथ अगले दिन आने को कहा था.