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कोऑपरेटिव बैंक भर्ती घोटाला: तत्कालीन एमडी हीरालाल यादव को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत

कोऑपरेटिव बैंक भर्ती घोटाले में अभियुक्त तत्कालीन एमडी हीरालाल यादव को लखनऊ हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल पाई. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उसकी याचिका खारिज कर दी है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Jul 5, 2021, 11:38 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सपा शासनकाल के दौरान हुए चर्चित कोऑपरेटिव बैंक भर्ती घोटाला मामले के अभियुक्त तत्कालीन एमडी, यूपी कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड हीरालाल यादव को भी राहत देने से इंकार करते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी है. न्यायालय ने कहा कि रिकॉर्ड को देखकर प्रथम दृष्टया कहा जा सकता है कि अपराध हुआ है और विवेचना के लिए पर्याप्त आधार हैं.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ ने हीरालल यादव की याचिका को खारिज करते हुए दिया. याचिका में उक्त भर्टी घोटाला के सम्बंध में एसआईटी थाने में आईपीसी की धारा 120बी, 471, 468, 467 व 420 के तहत 27 अक्टूबर 2020 को दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी. याची का कहना था कि प्रश्नगत चयन व भर्ती प्रक्रिया यूपी कोऑपरेटिव बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के प्रस्ताव के तहत हुई थी.

पढ़ें- हिमाचल प्रदेश बोर्ड 10वीं का रिजल्ट अगले आदेश तक के लिये स्थगित, जानें क्यों

उसकी ओर से दलील दी गई कि 22 अप्रैल 2015 को याची का तबादला हो गया था. उसके बाद कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के क्रियाकलापों से उसका कोई सरोकार नहीं था. याचिका का सरकारी वकील ने विरोध किया. दलील दी कि एसआईटी ने अपनी जांच में पाया है कि याची ने एमडी रहते हुए दस पदों की शैक्षिक योग्यता में नियम के विपरीत जाकर बदलाव कर दिया.

न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पारित अपने आदेश में कहा कि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि याची के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता. न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ याचिका को खारिज कर दिया.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सपा शासनकाल के दौरान हुए चर्चित कोऑपरेटिव बैंक भर्ती घोटाला मामले के अभियुक्त तत्कालीन एमडी, यूपी कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड हीरालाल यादव को भी राहत देने से इंकार करते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी है. न्यायालय ने कहा कि रिकॉर्ड को देखकर प्रथम दृष्टया कहा जा सकता है कि अपराध हुआ है और विवेचना के लिए पर्याप्त आधार हैं.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ ने हीरालल यादव की याचिका को खारिज करते हुए दिया. याचिका में उक्त भर्टी घोटाला के सम्बंध में एसआईटी थाने में आईपीसी की धारा 120बी, 471, 468, 467 व 420 के तहत 27 अक्टूबर 2020 को दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी. याची का कहना था कि प्रश्नगत चयन व भर्ती प्रक्रिया यूपी कोऑपरेटिव बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के प्रस्ताव के तहत हुई थी.

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उसकी ओर से दलील दी गई कि 22 अप्रैल 2015 को याची का तबादला हो गया था. उसके बाद कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के क्रियाकलापों से उसका कोई सरोकार नहीं था. याचिका का सरकारी वकील ने विरोध किया. दलील दी कि एसआईटी ने अपनी जांच में पाया है कि याची ने एमडी रहते हुए दस पदों की शैक्षिक योग्यता में नियम के विपरीत जाकर बदलाव कर दिया.

न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पारित अपने आदेश में कहा कि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि याची के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता. न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ याचिका को खारिज कर दिया.

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