लखनऊ : आप यकीन मानिए की रेड सॉस पास्ता अच्छा न बनने पर लखनऊ विकास प्राधिकरण के एक आला अधिकारी ने स्मारक कर्मचारी उसके घर भेजने वाले अधिकारी का डिमोशन कर दिया. ऐसे ही स्मारकों के जाने कितने कर्मचारी लखनऊ में अलग-अलग अफसर के घर पर चाकरी कर रहे हैं. अब तरीके से कर्मचारियों से घर में रसोइया, माली, नौकर और ड्राइवर जैसे काम लिए जा रहे हैं. कर्मचारी गुपचुप तरीके से विरोध करते हैं तो उनका शोषण शुरू कर दिया जाता है.
बहुजन समाज पार्टी के कार्यकाल में वर्ष 2011 के दौरान उत्तर प्रदेश में स्मारक संरक्षण समिति का गठन किया गया था. दलित महापुरुषों की स्मृति में बनाए गए स्मारकों में इस दौरान करीब 5300 कर्मचारियों की भर्ती की गई थी. स्मारकों के उद्घाटन के कुछ समय बाद ही बहुजन समाज पार्टी की सरकार चली गई थी. उसके बाद में समाजवादी पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में आई. वर्ष 2017 में समाजवादी पार्टी की सरकार भी चली गई हो तबसे भारतीय जनता पार्टी का शासन उत्तर प्रदेश में है. इस दौरान बहुजन समाज पार्टी का समर्थक बता कर स्मारक कर्मचारियों के साथ जमकर अन्याय सरकारी स्तर पर किया गया है. इसके बाद से ही स्मारक के कर्मचारियों का शोषण अफसर के घर में शुरू हो गया. खासतौर पर कुक, वेटर, स्वागत कर्मी, सफाई कर्मी, अनुचर, चपरासी, माली और इलेक्ट्रिशियन के पदों पर काम करने वाले कर्मचारियों का सबसे बुरा हाल है.
ये कर्मचारी अफसरों के घर कर रहे चाकरी
स्वागत कर्मी राजेश कुमार, शीतला दुबे अनुसेवक, ओमकार पांडे, राम जी, जवाहरलाल, शिवकुमार, महेंद्र प्रताप सिंह विद्युत उपकरण सफाई कर्मी, आफताब आलम, मधुकर तिवारी, गेट मैन नंदकिशोर, वसीम खान, हेल्पर इलेक्ट्रीशियन दीपक कुमार शुक्ला, पंकज कुमार हेल्पर पॉलिशर सफाई कर्मी राजेश कुमार, फाउंटेन सफाई कर्मचारी, महेश प्रसाद, सफाई कर्मचारी जनरल मोहम्मद राजी अंसारी, संदीप कुमार रामकृष्ण मिश्र फूलचंद्र, स्वीपर सफाई कर्मचारी हरीश कुमार, विजय कुमार, ट्रैक्टर और ट्रॉली क्लीनर कामता प्रसाद, सफाई कर्मचारी जनरल ललित नारायण, उमेश कुमार गुप्ता, सुरेश साहू, कुलदीप सिंह, जगत सिंह रावत, सुनील दीक्षायन, वेटर कृपा शंकर गुप्ता, हाउसकीपर उदय भान सिंह, विप लॉन्च के कमलेश कुमार, गणेश शंकर प्रेमचंद गुप्ता शेषमणि, आकाश कुमार आज्ञाराम राजेंद्र प्रसाद गौतम अशोक कुमार, संजय कुमार महेंद्र कुमार.
लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और स्मारक संरक्षण समिति के पदेन सचिव डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं
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