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लखनऊ विकास प्राधिकरण पर आवंटियों को धोखा देने का आरोप

कार्पस फंड (corpus fund) वापस न करने को लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा आवंटियों को धोखा देने का आरोप लगाया गया है. इतना ही नहीं लखनऊ जन कल्याण महासमिति (Lucknow Jan Kalyan Mahasamiti) के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे पत्र के माध्यम से चेतावनी दी है कि एलडीए की वादा खिलाफी को लेकर आरडब्ल्यूए और आवंटियों में काफी आक्रोश है. 15 अगस्त तक आवश्यक कार्यवाही करते हुए आरडब्ल्यूए को कार्पस और मेंटिनेंस शुल्क वापस करने के लिए संबंधित को निर्देशित करने की कृपा करें. अन्यथा 15 अगस्त के बाद लखनऊ जनकल्याण महासमिति अपने आवंटियों और आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर एक बड़ा जनांदोलन करने पर मजबूर होगी.

लखनऊ विकास प्राधिकरण
लखनऊ विकास प्राधिकरण
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Published : Aug 10, 2021, 5:59 PM IST

लखनऊ: राजधानी को विकसित करने का जिम्मा जिस संस्था पर है उसी लखनऊ विकास प्राधिकरण (lucknow development authority) पर आवंटियों को धोखा देने का आरोप लगा है. यह आरोप लखनऊ जन कल्याण महासमिति (Lucknow Jan Kalyan Mahasamiti) के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने लगाया है. प्राधिकरण उपाध्यक्ष को दिए गए ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि एक सरकारी संस्था का यह आचरण दुर्भाग्यपूर्ण है. एलडीए के अधिकारी अपने ही दिए गए वादे से मुकर रहे हैं. महासमिति ने प्राधिकरण को 15 अगस्त तक कार्पस फंड वापस करने के लिए चेतावनी दी है.

जुलाई में ही अनुरक्षण शुल्क वापसी का था वादा
उमाशंकर दुबे ने बताया कि एलडीए के विभिन्न फ्लैटों के मद में जमा कार्पस फण्ड एवं अवशेष अनुरक्षण शुल्क को आरडब्ल्यूए को हस्तांतरित किये जाने के सम्बन्ध में प्रमुख सचिव, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग की अध्यक्षता में 9 जुलाई को बैठक हुई थी. इस बैठक में प्रमुख सचिव के सामने एलडीए के अधिकारियों ने लखनऊ जनकल्याण महासमिति से वायदा किया था कि माह जुलाई के अन्दर ही समस्त आरडब्ल्यूए को कार्पस फण्ड की धनराशि एफडी. के रूप में हस्तांतरित कर दी जाएगी. साथ ही रख-रखाव का पैसा आरडब्ल्यूए के बैंक खाते में भेज दिया जाएगा.

प्राधिकरण उपाध्यक्ष को दी गई थी जानकारी
लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि 26 जुलाई को जब प्राधिकरण उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने कार्यभार ग्रहण किया तो उन्होंने आरडब्ल्यूए के कार्पस और मेंटिनेंस शुल्क वापस करने के संबंध में अधीनस्थों को निर्देश दिया था, जिस संबंध में समिति का गठन भी किया गया था. इस कमेटी में लखनऊ विकास प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक, मुख्य अभियन्ता, सम्बन्धित जोन अधिशासी अभियन्ता, सम्बन्धित प्रभारी अधिकारी सम्पत्ति/सम्पत्ति अधिकारी और प्रभारी अधिकारी-विज्ञापन को रखा गया था. कमेटी को 3 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करना था.


कानून मंत्री के हस्तक्षेप पर हुआ था समझौता
उमाशंकर दुबे ने बताया कि कानून मंत्री बृजेश पाठक के हस्तक्षेप के बाद प्रमुख सचिव आवास ने बैठक बुलाई थी. जिसमें 31 जुलाई तक कार्पस फंड वापस करने का वादा किया गया था. महासमिति ने एलडीए उपाध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा ऐसा प्रतीत होता है, एलडीए के अधिकारी आवंटियों के साथ न सिर्फ वर्षो से धोखा करते आ रहे हैं बल्कि जनहित में अपने उच्च अधिकारियों तक के निर्देश का पालन करना भी उचित नहीं समझते. जिसके कारण एलडीए से फ्लैट खरीदने वाले आवंटियों के साथ लगातार एक सरकारी संस्था द्वारा धोखा दिया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- एलडीए में फर्जी रजिस्ट्री वाले भूखंड का नक्शा निरस्त करने के आदेश

15 अगस्त के बाद जन आंदोलन की चेतावनी
महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे पत्र के माध्यम से चेतावनी दी कि एलडीए की वादा खिलाफी को लेकर आरडब्ल्यूए और आवंटियों में काफी आक्रोश है, ऐसे में 15 अगस्त तक आवश्यक कार्यवाही करते हुए आरडब्ल्यूए को कार्पस और मेंटिनेंस शुल्क वापस करने के लिए संबंधित को निर्देशित करने की कृपा करें. अन्यथा 15 अगस्त के बाद लखनऊ जनकल्याण महासमिति अपने आवंटियों और आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर एक बड़ा जनांदोलन करने पर मजबूर होगी.

लखनऊ: राजधानी को विकसित करने का जिम्मा जिस संस्था पर है उसी लखनऊ विकास प्राधिकरण (lucknow development authority) पर आवंटियों को धोखा देने का आरोप लगा है. यह आरोप लखनऊ जन कल्याण महासमिति (Lucknow Jan Kalyan Mahasamiti) के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने लगाया है. प्राधिकरण उपाध्यक्ष को दिए गए ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि एक सरकारी संस्था का यह आचरण दुर्भाग्यपूर्ण है. एलडीए के अधिकारी अपने ही दिए गए वादे से मुकर रहे हैं. महासमिति ने प्राधिकरण को 15 अगस्त तक कार्पस फंड वापस करने के लिए चेतावनी दी है.

जुलाई में ही अनुरक्षण शुल्क वापसी का था वादा
उमाशंकर दुबे ने बताया कि एलडीए के विभिन्न फ्लैटों के मद में जमा कार्पस फण्ड एवं अवशेष अनुरक्षण शुल्क को आरडब्ल्यूए को हस्तांतरित किये जाने के सम्बन्ध में प्रमुख सचिव, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग की अध्यक्षता में 9 जुलाई को बैठक हुई थी. इस बैठक में प्रमुख सचिव के सामने एलडीए के अधिकारियों ने लखनऊ जनकल्याण महासमिति से वायदा किया था कि माह जुलाई के अन्दर ही समस्त आरडब्ल्यूए को कार्पस फण्ड की धनराशि एफडी. के रूप में हस्तांतरित कर दी जाएगी. साथ ही रख-रखाव का पैसा आरडब्ल्यूए के बैंक खाते में भेज दिया जाएगा.

प्राधिकरण उपाध्यक्ष को दी गई थी जानकारी
लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि 26 जुलाई को जब प्राधिकरण उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने कार्यभार ग्रहण किया तो उन्होंने आरडब्ल्यूए के कार्पस और मेंटिनेंस शुल्क वापस करने के संबंध में अधीनस्थों को निर्देश दिया था, जिस संबंध में समिति का गठन भी किया गया था. इस कमेटी में लखनऊ विकास प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक, मुख्य अभियन्ता, सम्बन्धित जोन अधिशासी अभियन्ता, सम्बन्धित प्रभारी अधिकारी सम्पत्ति/सम्पत्ति अधिकारी और प्रभारी अधिकारी-विज्ञापन को रखा गया था. कमेटी को 3 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करना था.


कानून मंत्री के हस्तक्षेप पर हुआ था समझौता
उमाशंकर दुबे ने बताया कि कानून मंत्री बृजेश पाठक के हस्तक्षेप के बाद प्रमुख सचिव आवास ने बैठक बुलाई थी. जिसमें 31 जुलाई तक कार्पस फंड वापस करने का वादा किया गया था. महासमिति ने एलडीए उपाध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा ऐसा प्रतीत होता है, एलडीए के अधिकारी आवंटियों के साथ न सिर्फ वर्षो से धोखा करते आ रहे हैं बल्कि जनहित में अपने उच्च अधिकारियों तक के निर्देश का पालन करना भी उचित नहीं समझते. जिसके कारण एलडीए से फ्लैट खरीदने वाले आवंटियों के साथ लगातार एक सरकारी संस्था द्वारा धोखा दिया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- एलडीए में फर्जी रजिस्ट्री वाले भूखंड का नक्शा निरस्त करने के आदेश

15 अगस्त के बाद जन आंदोलन की चेतावनी
महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे पत्र के माध्यम से चेतावनी दी कि एलडीए की वादा खिलाफी को लेकर आरडब्ल्यूए और आवंटियों में काफी आक्रोश है, ऐसे में 15 अगस्त तक आवश्यक कार्यवाही करते हुए आरडब्ल्यूए को कार्पस और मेंटिनेंस शुल्क वापस करने के लिए संबंधित को निर्देशित करने की कृपा करें. अन्यथा 15 अगस्त के बाद लखनऊ जनकल्याण महासमिति अपने आवंटियों और आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर एक बड़ा जनांदोलन करने पर मजबूर होगी.

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