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अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन का लखनऊ घोषणा पत्र जारी - उत्तर प्रदेश की खबर

लखनऊ में अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के संयोजक डॉ. जगदीश गांधी ने लखनऊ घोषणा पत्र (Lucknow Manifesto) जारी किया.

डॉ. जगदीश गांधी
डॉ. जगदीश गांधी
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Published : Nov 22, 2021, 7:48 PM IST

लखनऊ: सिटी मॉन्टेसरी स्कूल की ओर से ऑनलाइन आयोजित किए गए चार दिवसीय विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का 22वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के चौथे व अंतिम दिन यानी सोमवार को विभिन्न देशों के प्रख्यात न्यायविदों, कानूनविदों व अन्य गण्यमानय हस्तियों को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने कहा कि सीएमएस लगातार समाज में एकता शांति और भाईचारा को बढ़ावा दे रहा है, जो हम सब के लिए बड़े गर्व की बात है. सीएमएस में विश्व पटल पर लखनऊ का गौरव बढ़ाया है.

सम्मेलन के अंतिम व चौथे दिन अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के संयोजक डॉ. जगदीश गांधी ने सीएमएस कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लखनऊ घोषणा पत्र जारी किया. इस ऐतिहासिक सम्मेलन में 4 दिन चली गहन चर्चा पर चर्चा के उपरांत विश्व के 50 देशों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों ने प्रस्ताव पारित किया है कि जब तक एक विश्व संसद, एक विश्व सरकार व प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय कानून व्यवस्था नहीं बन जाती तब तक हमारा प्रयास जारी रहेगा.

लखनऊ घोषणा पत्र में कहा गया है कि यह महसूस करते हुए कि ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण में बदलाव इस ग्रह पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं और हाल ही में संपन्न संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में पेरिस समझौते और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के लक्ष्यों की दिशा में कार्रवाई में तेजी लाने के लिए समझौता हुआ और समझौते के अनुसार जो समय सीमा निर्धारित की गई है, उसमें कुछ बदलाव आने की उम्मीद है.

यह भी महसूस करते हुए कोविड-19 ने दुनिया भर में जीवन का अभूतपूर्व नुकसान किया है और राष्ट्र इसका मुकाबला करने के लिए सहयोग और सह अस्तित्व की भावना के साथ महामारी से लड़ रहे हैं और इसके बुरे प्रभाव को कम करने और भविष्य में इस प्रकार के किसी भी महामारी के लिए अधिक सहयोग और अनुसंधान अनिवार्य है.

घोषणा पत्र के मुख्य बिंदु विश्व के तमाम देशों के प्रमुख व राष्ट्रीय अध्यक्षों से अपील की जाए की संयुक्त राष्ट्र चार्टर की समीक्षा के लिए विश्व निकाय स्थानांतरित करने हेतु ठोस कदम उठाया जाएं जैसा कि चार्टर में ही आवश्यक है ताकि संयुक्त राष्ट्र के अधिकार प्रतिष्ठा व शक्ति को मजबूत किया जा सके.

राष्ट्रीय अध्यक्षों को सरकारी तंत्रों के प्रमुखों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर विभिन्न वैश्विक समस्याओं पर विचार किया जाए और एक टिकाऊ विश्व व्यवस्था के लिए एक प्रभावी वैश्विक शासन संरचना और लोकतांत्रिक रूप में गठित विश्व संसद के लिए कार्य किया जाए जो एक प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय कानून की स्थापना करें.

इसे भी पढ़ेः अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन : वक्ताओं ने कहा- बच्चों को विश्व एकता व शांति के दिए जाएं संस्कार

ग्लोबल वार्मिंग को रोकने हेतु तत्काल कदम उठाया जाए जैसा कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में आपसी समझौता हुआ है. अपने देश के सभी स्कूलों में नागरिक शास्त्र शांति शिक्षा एवं अंतर सांस्कृतिक शिक्षा प्रारंभ करें. जिससे विश्व नागरिक बनाया जा सके.

संयुक्त राष्ट्र संघ से गंभीरता पूर्वक अनुरोध किया जाए कि संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर की समीक्षा और सुरक्षा परिषद में संशोधन की प्रक्रिया पेश की जाए. आतंकवाद, उग्रवाद एवं युद्धों की रोकथाम के लिए प्रयास किए जाएं. ताकि सामूहिक विनाश के हथियारों का उन्मूलन किया जा सके.

विश्व के न्यायालय के सदस्यों से दृढ़ता पूर्वक अनुरोध किया जाए कि व्यक्ति के सम्मान को बढ़ावा दिया जाए जो सभी के मूलभूत मानवाधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्रता का आधार है.
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लखनऊ: सिटी मॉन्टेसरी स्कूल की ओर से ऑनलाइन आयोजित किए गए चार दिवसीय विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का 22वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के चौथे व अंतिम दिन यानी सोमवार को विभिन्न देशों के प्रख्यात न्यायविदों, कानूनविदों व अन्य गण्यमानय हस्तियों को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने कहा कि सीएमएस लगातार समाज में एकता शांति और भाईचारा को बढ़ावा दे रहा है, जो हम सब के लिए बड़े गर्व की बात है. सीएमएस में विश्व पटल पर लखनऊ का गौरव बढ़ाया है.

सम्मेलन के अंतिम व चौथे दिन अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के संयोजक डॉ. जगदीश गांधी ने सीएमएस कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लखनऊ घोषणा पत्र जारी किया. इस ऐतिहासिक सम्मेलन में 4 दिन चली गहन चर्चा पर चर्चा के उपरांत विश्व के 50 देशों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों ने प्रस्ताव पारित किया है कि जब तक एक विश्व संसद, एक विश्व सरकार व प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय कानून व्यवस्था नहीं बन जाती तब तक हमारा प्रयास जारी रहेगा.

लखनऊ घोषणा पत्र में कहा गया है कि यह महसूस करते हुए कि ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण में बदलाव इस ग्रह पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं और हाल ही में संपन्न संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में पेरिस समझौते और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के लक्ष्यों की दिशा में कार्रवाई में तेजी लाने के लिए समझौता हुआ और समझौते के अनुसार जो समय सीमा निर्धारित की गई है, उसमें कुछ बदलाव आने की उम्मीद है.

यह भी महसूस करते हुए कोविड-19 ने दुनिया भर में जीवन का अभूतपूर्व नुकसान किया है और राष्ट्र इसका मुकाबला करने के लिए सहयोग और सह अस्तित्व की भावना के साथ महामारी से लड़ रहे हैं और इसके बुरे प्रभाव को कम करने और भविष्य में इस प्रकार के किसी भी महामारी के लिए अधिक सहयोग और अनुसंधान अनिवार्य है.

घोषणा पत्र के मुख्य बिंदु विश्व के तमाम देशों के प्रमुख व राष्ट्रीय अध्यक्षों से अपील की जाए की संयुक्त राष्ट्र चार्टर की समीक्षा के लिए विश्व निकाय स्थानांतरित करने हेतु ठोस कदम उठाया जाएं जैसा कि चार्टर में ही आवश्यक है ताकि संयुक्त राष्ट्र के अधिकार प्रतिष्ठा व शक्ति को मजबूत किया जा सके.

राष्ट्रीय अध्यक्षों को सरकारी तंत्रों के प्रमुखों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर विभिन्न वैश्विक समस्याओं पर विचार किया जाए और एक टिकाऊ विश्व व्यवस्था के लिए एक प्रभावी वैश्विक शासन संरचना और लोकतांत्रिक रूप में गठित विश्व संसद के लिए कार्य किया जाए जो एक प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय कानून की स्थापना करें.

इसे भी पढ़ेः अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन : वक्ताओं ने कहा- बच्चों को विश्व एकता व शांति के दिए जाएं संस्कार

ग्लोबल वार्मिंग को रोकने हेतु तत्काल कदम उठाया जाए जैसा कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में आपसी समझौता हुआ है. अपने देश के सभी स्कूलों में नागरिक शास्त्र शांति शिक्षा एवं अंतर सांस्कृतिक शिक्षा प्रारंभ करें. जिससे विश्व नागरिक बनाया जा सके.

संयुक्त राष्ट्र संघ से गंभीरता पूर्वक अनुरोध किया जाए कि संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर की समीक्षा और सुरक्षा परिषद में संशोधन की प्रक्रिया पेश की जाए. आतंकवाद, उग्रवाद एवं युद्धों की रोकथाम के लिए प्रयास किए जाएं. ताकि सामूहिक विनाश के हथियारों का उन्मूलन किया जा सके.

विश्व के न्यायालय के सदस्यों से दृढ़ता पूर्वक अनुरोध किया जाए कि व्यक्ति के सम्मान को बढ़ावा दिया जाए जो सभी के मूलभूत मानवाधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्रता का आधार है.
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