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बोर्ड एग्जाम देने के बहाने नाबालिग बंदी फरार, पिता का भी नहीं लग रहा सुराग

प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव का निजी डाटा हैक करने के मामले आरोपी पैरोल पर बाल सुधार गृह से बोर्ड एग्जाम देने के बहाने फ़रार हो गया है. जानकारी होंने पर साइबर क्राइम पुलिस और बाल सुधार गृह के अधिकारी नाबालिग बंदी की तलाश में जुट गए हैं.

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Published : Apr 4, 2023, 7:13 AM IST

लखनऊ : बाल सुधार गृह से पैरोल पर बोर्ड एग्जाम देने आया नाबालिग बंदी फरार हो गया. मार्च में परीक्षा के लिए नाबालिग ने तीन दिन की पैरोल हासिल की थी. इसके बाद फरार हो गया. जानकारी होने पर साइबर क्राइम थाने की पुलिस व बाल सुधार गृह के जिम्मेदारों के होश उड़ गए और वे अब पुलिस बंदी की तलाश में जुटी है. नाबालिग बंदी व उसके पिता सत्यप्रकाश प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव का निजी डाटा हैक करने के मामले में आरोपी थे और उन्हें दिसंबर में साइबर क्राइम थाने की टीम ने गिरफ्तार किया था. वहीं आरोपी के पिता को फरवरी में जमानत मिल गई थी. उसका भी लखनऊ में कोई सुराग नहीं मिला है. आरोपियों के बिहार बॉर्डर से नेपाल भागने की आशंका जताई जा रही है.


बता दें, नवंबर के अंतिम सप्ताह में प्रमुख सचिव नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति अनुराग श्रीवास्तव ने साइबर क्राइम थाने में एक केस दर्ज कराया था. जिसमें उनके क्रेडिट कार्ड से विदेशी मुद्रा का ट्रांजेक्शन करने की बात सामने आई थी. इसके अलावा हैकरों ने प्रमुख सचिव व उनके परिवार के चार लोगों के ईमेल और क्लाउड डाटा को हैक कर बिटक्वाइन में रंगदारी मांगी थी. इस मामले में साइबर क्राइम थाने की टीम ने 11 दिसंबर को आईटी कंसल्टेंट कंपनी के तीन कर्मचारी पीजीआई के उतरेठिया बाजार निवासी अमित प्रताप सिंह, वृंदावन योजना सेक्टर 9 के रजनीश निगम और गोमतीनगर एम रसेल कोर्ट के हार्दिक खन्ना को पकड़ा था.

साइबर क्राइम टीम की विवेचना आगे बढ़ी तो मामला उलटा निकला. प्रमुख सचिव को उनके ही निजी आईटी कंसल्टेंट सत्यप्रकाश ने ठग लिया था. मूलरूप से पटना का रहने वाला सत्यप्रकाश सुशांत गोल्फ सिटी के प्लासियो मॉल के पास बने पार्थ अपार्टमेंट में परिवार सहित रहता था. उसने प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव को अपने जाल में फंसा लिया था. निजी व कार्यालय के इंटरनेट से जुड़ी हर समस्या का निदान वह खुद करता था. इसी का फायदा उठाकर उसने गोपनीय जानकारी हासिल की, उनका मेल व डाटा हैक कर लिया. इसके बाद उनसे रंगदारी का मेल भेजा. रंगदारी में उसने पांच बिटक्वाइन 80 लाख रुपये मांगे थे.

बताया जा रहा है कि नाबलिग बेटे को जेल जाने से बचाने के लिए सत्यप्रकाश ने भगाने की साजिश रच डाली थी. परीक्षा के नाम पर कोर्ट से पैरोल हासिल कर ली और साजिश के तहत ही बोर्ड एग्जाम देने के बहाने पुलिस को चकमा देकर फ़रार हो गया है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक पैरोल मिलने पर फरार हुआ सत्यप्रकाश का बेटा लगभग एक माह पूर्व ही बालिग हो चुका है. बताया गया कि उसके बालिग होने की जानकारी पुलिस कोर्ट को देने की तैयारी कर रही थी. इसके बाद आरोपी को लखनऊ जिला जेल में शिफ्ट किया जाता.


यह भी पढ़ें : IPS अधिकारी हिमांशु कुमार की भी विजलेंस जांच समाप्त, जानिए पूरा मामला

लखनऊ : बाल सुधार गृह से पैरोल पर बोर्ड एग्जाम देने आया नाबालिग बंदी फरार हो गया. मार्च में परीक्षा के लिए नाबालिग ने तीन दिन की पैरोल हासिल की थी. इसके बाद फरार हो गया. जानकारी होने पर साइबर क्राइम थाने की पुलिस व बाल सुधार गृह के जिम्मेदारों के होश उड़ गए और वे अब पुलिस बंदी की तलाश में जुटी है. नाबालिग बंदी व उसके पिता सत्यप्रकाश प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव का निजी डाटा हैक करने के मामले में आरोपी थे और उन्हें दिसंबर में साइबर क्राइम थाने की टीम ने गिरफ्तार किया था. वहीं आरोपी के पिता को फरवरी में जमानत मिल गई थी. उसका भी लखनऊ में कोई सुराग नहीं मिला है. आरोपियों के बिहार बॉर्डर से नेपाल भागने की आशंका जताई जा रही है.


बता दें, नवंबर के अंतिम सप्ताह में प्रमुख सचिव नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति अनुराग श्रीवास्तव ने साइबर क्राइम थाने में एक केस दर्ज कराया था. जिसमें उनके क्रेडिट कार्ड से विदेशी मुद्रा का ट्रांजेक्शन करने की बात सामने आई थी. इसके अलावा हैकरों ने प्रमुख सचिव व उनके परिवार के चार लोगों के ईमेल और क्लाउड डाटा को हैक कर बिटक्वाइन में रंगदारी मांगी थी. इस मामले में साइबर क्राइम थाने की टीम ने 11 दिसंबर को आईटी कंसल्टेंट कंपनी के तीन कर्मचारी पीजीआई के उतरेठिया बाजार निवासी अमित प्रताप सिंह, वृंदावन योजना सेक्टर 9 के रजनीश निगम और गोमतीनगर एम रसेल कोर्ट के हार्दिक खन्ना को पकड़ा था.

साइबर क्राइम टीम की विवेचना आगे बढ़ी तो मामला उलटा निकला. प्रमुख सचिव को उनके ही निजी आईटी कंसल्टेंट सत्यप्रकाश ने ठग लिया था. मूलरूप से पटना का रहने वाला सत्यप्रकाश सुशांत गोल्फ सिटी के प्लासियो मॉल के पास बने पार्थ अपार्टमेंट में परिवार सहित रहता था. उसने प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव को अपने जाल में फंसा लिया था. निजी व कार्यालय के इंटरनेट से जुड़ी हर समस्या का निदान वह खुद करता था. इसी का फायदा उठाकर उसने गोपनीय जानकारी हासिल की, उनका मेल व डाटा हैक कर लिया. इसके बाद उनसे रंगदारी का मेल भेजा. रंगदारी में उसने पांच बिटक्वाइन 80 लाख रुपये मांगे थे.

बताया जा रहा है कि नाबलिग बेटे को जेल जाने से बचाने के लिए सत्यप्रकाश ने भगाने की साजिश रच डाली थी. परीक्षा के नाम पर कोर्ट से पैरोल हासिल कर ली और साजिश के तहत ही बोर्ड एग्जाम देने के बहाने पुलिस को चकमा देकर फ़रार हो गया है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक पैरोल मिलने पर फरार हुआ सत्यप्रकाश का बेटा लगभग एक माह पूर्व ही बालिग हो चुका है. बताया गया कि उसके बालिग होने की जानकारी पुलिस कोर्ट को देने की तैयारी कर रही थी. इसके बाद आरोपी को लखनऊ जिला जेल में शिफ्ट किया जाता.


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