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अंसल प्रॉपर्टीज पर लगा 34 लाख का जुर्माना, हाईकोर्ट ने जांच के लिए सीबीआई को दी स्वतंत्रता - Irrigation department land occupied in Lucknow

राजधानी लखनऊ के अहिमामऊ में नहर से लगी हुई सिंचाई विभाग की जमीन पर अंसल प्रॉपर्टीज द्वारा कब्जे के मामले में हाईकोर्ट ने जांच के लिए सीबीआई को स्वतंत्रता दे दी है. साथ ही अंसल पर लाखों का जुर्माना लगाया गया है.

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Published : May 24, 2023, 11:03 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अहिमामऊ में नहर से लगी हुई सिंचाई विभाग की जमीन पर अंसल प्रॉपर्टीज द्वारा कथित अवैध कब्जे के मामले में सीबीआई को जांच व विवेचना की पूरी स्वतन्त्रता दी है. न्यायालय ने कहा है कि सीबीआई को जांच/विवेचना के लिए किसी भी प्राधिकारी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है. वहीं सिंचाई विभाग की ओर से हलफ़नामा दाखिल कर न्यायालय को बताया गया कि अंसल पर 34 लाख 73 हजार 985 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जिसे उसने जमा कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई छह जुलाई को होगी.


यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने भरत किशोर सिन्हा की ओर से दाखिल एक सेवा सम्बंधी याचिका पर लिए गए संज्ञान में दिया है. उल्लेखनीय है कि मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया था कि अहिमामऊ माइनर से लगी हुई सिंचाई विभाग की जमीन अंसल के कब्जे में है. बाद में इस जमीन का एक हिस्सा सीएमएस को स्थानांतरित हो गया. न्यायालय ने पाया कि 7 नवम्बर 2007 को एलडीए के तत्कालीन सचिव ने पत्र लिखकर उक्त जमीन को प्राइवेट बिल्डर को हस्तांतरित किए जाने की आवश्यकता जताई थी.

19 मार्च 2008 को प्रमुख सचिव, आवास एवं नगरीय विभाग ने भी सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर उक्त जमीन को प्राइवेट बिल्डर को देने को कहा था. तब न्यायालय ने टिप्पणी भी की थी कि सिंचाई विभाग की उक्त जमीन को सरकार में बैठे उच्च अधिकारियों, एलडीए और सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से पहले अवैध कब्जा करवाया गया और फिर उस पर एक स्कूल की भव्य इमारत खड़ी कर दी गई. इसी के साथ न्यायालय ने सीबीआई को प्राथमिक जांच करने का भी आदेश दिया था.


यह भी पढ़ें : पहले इंजीनियर, फिर नगरायुक्त अब द्विज बने आईएएस, जानिए कैसे पाई सफलता

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अहिमामऊ में नहर से लगी हुई सिंचाई विभाग की जमीन पर अंसल प्रॉपर्टीज द्वारा कथित अवैध कब्जे के मामले में सीबीआई को जांच व विवेचना की पूरी स्वतन्त्रता दी है. न्यायालय ने कहा है कि सीबीआई को जांच/विवेचना के लिए किसी भी प्राधिकारी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है. वहीं सिंचाई विभाग की ओर से हलफ़नामा दाखिल कर न्यायालय को बताया गया कि अंसल पर 34 लाख 73 हजार 985 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जिसे उसने जमा कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई छह जुलाई को होगी.


यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने भरत किशोर सिन्हा की ओर से दाखिल एक सेवा सम्बंधी याचिका पर लिए गए संज्ञान में दिया है. उल्लेखनीय है कि मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया था कि अहिमामऊ माइनर से लगी हुई सिंचाई विभाग की जमीन अंसल के कब्जे में है. बाद में इस जमीन का एक हिस्सा सीएमएस को स्थानांतरित हो गया. न्यायालय ने पाया कि 7 नवम्बर 2007 को एलडीए के तत्कालीन सचिव ने पत्र लिखकर उक्त जमीन को प्राइवेट बिल्डर को हस्तांतरित किए जाने की आवश्यकता जताई थी.

19 मार्च 2008 को प्रमुख सचिव, आवास एवं नगरीय विभाग ने भी सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर उक्त जमीन को प्राइवेट बिल्डर को देने को कहा था. तब न्यायालय ने टिप्पणी भी की थी कि सिंचाई विभाग की उक्त जमीन को सरकार में बैठे उच्च अधिकारियों, एलडीए और सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से पहले अवैध कब्जा करवाया गया और फिर उस पर एक स्कूल की भव्य इमारत खड़ी कर दी गई. इसी के साथ न्यायालय ने सीबीआई को प्राथमिक जांच करने का भी आदेश दिया था.


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