लखनऊः पीने योग्य पानी के सार्वजनिक साधन के संबंध में प्रावधान न होने के मामले में पांच साल पूर्व के आदेश के बावजूद जवाब न देने पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने सख्त रुख अख्तियार किया है. न्यायालय ने जल निगम और नगर निगम लखनऊ (Municipal Corporation Lucknow) को 10 दिनों में जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया है.
जवाब नहीं देने पर जल और नगर निगम पर लगेगा हर्जाना
न्यायालय ने कहा है कि इस बार यदि जवाब नहीं आया तो कोर्ट भारी हर्जाना लगाएगी. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति रविनाथ तिलहरी की खंडपीठ ने वर्ष 2016 में दाखिल उत्कर्ष लोक सेवा संस्थान की जनहित याचिका पर पारित किया. उत्कर्ष लोक सेवा संस्थान की ओर से दाखिल याचिका में पीने योग्य पानी के लिए सार्वजनिक साधन के संबंध में कोई प्रावधान न होने का मुद्दा उठाया गया है. याचिका में मांग की गई है कि इस महत्वपूर्ण विषय को प्रावधानित करते हुए सार्वजनिक साधनों से पीने योग्य पानी की व्यवस्था के लिए कदम उठाए जाएं. याचिका पर सुनवाई के बाद 10 मार्च 2016 को ही न्यायालय ने जवाब मांगा था.
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15 जुलाई को होगी सुनवाई
इस बार की सुनवाई में न्यायालय ने पाया कि उक्त आदेश के पांच साल बीतने के बावजूद जवाब नहीं दाखिल किया गया है. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई के दौरान नगर निगम के अधिवक्ता के उपस्थित न होने पर भी न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की. कहा, अगली सुनवाई पर यदि ऐसा हुआ तो नगर निगम के विरुद्ध आदेश पारित किया जा सकता है. मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी.