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रिकवरी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज - सर्वोच्च न्यायालय

यूपी के लखनऊ में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने याची मोहम्मद कलीम की ओर से दाखिल रिकवरी नोटिस पर आपत्ति दाखिल की थी. इस याचिका सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करूणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने रिकवरी नोटिस को रद्द करने से इनकार कर दिया.

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लखनऊ हाईकोर्ट खंडपीठ.
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Published : Feb 11, 2020, 4:56 AM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सीएए विरोधी प्रर्दशनों के दौरान सार्वजनिक सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाने के एक आरोपी के खिलाफ जारी रिकवरी नोटिस को रद्द किए जाने से इनकार कर दिया है. न्यायालय ने सोमवार को याचिका खारिज करते हुए कहा कि चूंकि मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने संज्ञान ले रखा है, लिहाजा यहां सुनवाई का औचित्य नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करूणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने मोहम्मद कलीम की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया गया. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी पाया कि अभी याची को मात्र कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिसका उसने जवाब भी दे दिया है.

साथ ही न्यायालय ने कहा कि इस स्तर पर याचिका पोषणीय नहीं है. हालांकि न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि याची के जवाब के बाद सक्षम प्राधिकारी उसके खिलाफ आदेश जारी करते हैं तो याची समुचित कानूनी प्रकिया के तहत उसे चुनौती दे सकता है.

मामले में याची के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज हैं, जिसमें उसके अलावा अन्य लोग भी आरोपित हैं. एफआईआर में लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत भी आरोप हैं. इसी के मद्देनजर अपर जिलाधिकारी ट्रांस गोमती ने 23 दिसम्बर 2019 को याची के खिलाफ रिकवरी नेाटिस जारी किया था.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सीएए विरोधी प्रर्दशनों के दौरान सार्वजनिक सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाने के एक आरोपी के खिलाफ जारी रिकवरी नोटिस को रद्द किए जाने से इनकार कर दिया है. न्यायालय ने सोमवार को याचिका खारिज करते हुए कहा कि चूंकि मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने संज्ञान ले रखा है, लिहाजा यहां सुनवाई का औचित्य नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करूणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने मोहम्मद कलीम की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया गया. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी पाया कि अभी याची को मात्र कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिसका उसने जवाब भी दे दिया है.

साथ ही न्यायालय ने कहा कि इस स्तर पर याचिका पोषणीय नहीं है. हालांकि न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि याची के जवाब के बाद सक्षम प्राधिकारी उसके खिलाफ आदेश जारी करते हैं तो याची समुचित कानूनी प्रकिया के तहत उसे चुनौती दे सकता है.

मामले में याची के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज हैं, जिसमें उसके अलावा अन्य लोग भी आरोपित हैं. एफआईआर में लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत भी आरोप हैं. इसी के मद्देनजर अपर जिलाधिकारी ट्रांस गोमती ने 23 दिसम्बर 2019 को याची के खिलाफ रिकवरी नेाटिस जारी किया था.

रिकवरी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान तोड-फोड़ के आरोप में जारी की गई है रिकवरी नोटिस  

विधि संवाददाता
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सीएए विरोधी प्रर्दशनों के दौरान सार्वजनिक सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाने के एक आरोपी के खिलाफ जारी रिकवरी नोटिस को रद् किये जाने से इंकार कर दिया है। न्यायालय ने सोमवार को याचिका खारिज करते हुए कहा कि चुंकि मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने संज्ञान ले रखा है लिहाजा यहां सुनवाई का औचित्य नहीं है।
    यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल व न्यायमूर्ति करूणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने मोहम्मद कलीम की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी पाया कि अभी याची को मात्र कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है जिसका उसने जवाब भी दे दिया है। न्यायालय ने कहा कि इस स्तर पर याचिका पोषणीय नहीं है। हालांकि न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि याची के जवाब के बाद सक्षम प्राधिकारी उसके खिलाफ आदेश जारी करते हैं तो याची समुचित कानूनी प्रकिया के तहत उसे चुनौती दे सकता है।
 
    मामले में
याची के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज हैं जिसमें उसके अलावा अन्य लोग भी आरोपित हैं। एफआईआर में लेाक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धारा 3 4 के तहत भी आरोप हैं। इसी के मद्देनजर अपर जिलाधिकारी ट्रांस गोमती ने 23 दिसम्बर 2019 को याची के खिलाफ रिकवरी नेाटिस जारी किया है। याची की अधिवक्ता ने कोर्ट में यह स्वीकार किया कि रिकवरी नोटिस याची के खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकियों के क्रम में जारी किया गया है। उन्होंने यह भी माना कि याची ने नोटिस का जवाब दे रखा है।

 

 


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Chandan Srivastava
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