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हाईकोर्ट ने निदेशक राकेश कुमार को नोटिस जारी कर पूछा- आदेश की अवमानना पर उन्हें दंडित क्यों न किया जाए

कोर्ट के आदेश के बावजूद एक छात्र को छात्रवृत्ति न देने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने समाज कल्याण निदेशालय के निदेशक को अवमानना नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने नोटिस जारी कर ये भी पूछा कि अदालत के आदेश की जानबूझ कर अवमानना करने के लिए उन्हें दंडित क्यों न किया जाए.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Sep 15, 2021, 9:38 PM IST

लखनऊ: आदेश के बावजूद एक छात्र को छात्रवृत्ति न देने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त रुख अपनाते हुए राकेश कुमार निदेशक, समाज कल्याण निदेशालय को अवमानना का नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने छात्रवृत्ति के सम्बंध में कोई निर्णय न लिए जाने पर निदेशक से पूछा है कि अदालत के आदेश की जानबूझ कर अवमानना करने के लिए उन्हें दंडित क्यों न किया जाए.

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने आशुतोष शुक्ला की याचिका पर यह आदेश पारित किया है. याची के अधिवक्ता चन्दन श्रीवास्तव ने न्यायालय के समक्ष दलील दी कि 21 नवम्बर 2019 को न्यायालय ने निदेशक समाज कल्याण को आदेश दिया था कि याची छात्र की छात्रवृत्ति के सम्बंध में उसके सभी आवश्यक दस्तावेजों को देखते हुए विधिसम्मत निर्णय लिया जाए. याची ने 2 दिसम्बर 2019 को एक प्रत्यावेदन के जरिए न्यायालय के आदेश की जानकारी दे दी थी, साथ ही छात्रवृत्ति के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज भी मुहैया करा दिए गए थे. बावजूद इसके निदेशक द्वारा याची की छात्रवृत्ति के सम्बंध में अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया. सुनवाई के उपरांत पारित अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया निदेशक के विरुद्ध अवमानना का मामला बनता है. न्यायालय ने निदेशक राकेश कुमार को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि कोर्ट के आदेश की जानबूझ कर अवमानना करने के लिए उन्हें क्यों न दंडित किया जाए. मामले की अगली सुनवाई नवम्बर महीने में होगी.

लखनऊ: आदेश के बावजूद एक छात्र को छात्रवृत्ति न देने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त रुख अपनाते हुए राकेश कुमार निदेशक, समाज कल्याण निदेशालय को अवमानना का नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने छात्रवृत्ति के सम्बंध में कोई निर्णय न लिए जाने पर निदेशक से पूछा है कि अदालत के आदेश की जानबूझ कर अवमानना करने के लिए उन्हें दंडित क्यों न किया जाए.

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने आशुतोष शुक्ला की याचिका पर यह आदेश पारित किया है. याची के अधिवक्ता चन्दन श्रीवास्तव ने न्यायालय के समक्ष दलील दी कि 21 नवम्बर 2019 को न्यायालय ने निदेशक समाज कल्याण को आदेश दिया था कि याची छात्र की छात्रवृत्ति के सम्बंध में उसके सभी आवश्यक दस्तावेजों को देखते हुए विधिसम्मत निर्णय लिया जाए. याची ने 2 दिसम्बर 2019 को एक प्रत्यावेदन के जरिए न्यायालय के आदेश की जानकारी दे दी थी, साथ ही छात्रवृत्ति के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज भी मुहैया करा दिए गए थे. बावजूद इसके निदेशक द्वारा याची की छात्रवृत्ति के सम्बंध में अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया. सुनवाई के उपरांत पारित अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया निदेशक के विरुद्ध अवमानना का मामला बनता है. न्यायालय ने निदेशक राकेश कुमार को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि कोर्ट के आदेश की जानबूझ कर अवमानना करने के लिए उन्हें क्यों न दंडित किया जाए. मामले की अगली सुनवाई नवम्बर महीने में होगी.

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