लखनऊ : कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक व प्राइवेट कंपनी के मालिक अजय मिश्रा के खिलाफ इंदिरानगर थाने में दर्ज वसूली व भ्रष्टाचार मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अजय मिश्रा की जमानत याचिका मंजूर कर ली है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने पारित किया. दोनों अभियुक्तों के खिलाफ 29 अक्टूबर 2022 को इंदिरानगर थाने में डेविड मारियो डेनिस ने एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप था लगाया कि पाठक के आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति रहने के दौरान उसके कम्पनी द्वारा किए गए कार्यों के भुगतान के लिए अभियुक्तों ने 15 प्रतिशत कमीशन वसूला. उससे कुल एक करोड़ 41 लाख रुपये की वसूली अभियुक्तों द्वारा जबरन की जा चुकी है.
बता दें, इंदिरानगर थाने में 28 नवंबर को वीसी विनय पाठक और अजय मिश्र के खिलाफ कमीशन लेने की एफआईआर दर्ज हुई थी. इसमें अजय मिश्र को 29 फरवरी को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद अजय मिश्र के कहने पर विनय पाठक के कमीशन को मैनेज करने के लिए फर्जी ई-वे बिल लगाने के आरोप में गुड़गांव निवासी अजय जैन को गिरफ्तार कर लिया था. इन दोनों के बयान के आधार पर इंदिरानगर के रसूलपुर स्थित अजय मिश्र की प्रिंटिंग प्रेस पर छापेमारी की गई. जहां एलयू, एकेटीयू के अलावा कई और यूनिवर्सिटी के प्रश्न पत्र यहां छपते मिले थे. उसके बाद एसटीएफ की टीमों जांच की तो इसकी पुष्टि हुई.
एसटीएफ के मुताबिक अजय मिश्र की प्रेस में एलयू के पर्चे से लेकर बैंक के चेक भी छपते थे. हरियाणा में दूसरे के नाम पर कम्पनी भी खोली गई. इंदिरानगर प्रेस में एलयू की पीएचडी प्रवेश परीक्षा से लेकर अन्य कोर्स के छापे गए पर्चों के एवज में करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया. सूत्रों के मुताबिक एलयू और एकेटीयू के दो अधिकारियों ने विनय पाठक की नियम विरुद्ध मदद की थी. उन अफसरों के साथ कुछ कर्मचारी भी शामिल थे. जिन्होंने यूनिवर्सिटी के छपाई और सप्लाई संबंधी ठेके अजय मिश्र को दिलवाए थे. फिलहाल इस मामले में सिर्फ कमीशन लेने के आरोप में एफआईआर है. नियुक्तियों में गड़बड़ी और प्रिटिंग प्रेस में छपाई में अनियमितताओं के मामले में अलग-अलग एफआईआर कराई जाएगी.