लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बीजेपी और कांग्रेस के चुनाव चिन्ह को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है. समाजवादी पार्टी के सदस्य ने याचिका दाखिल की थी.
हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने समाजवादी पार्टी के सदस्य की दायर याचिका को खारिज कर दिया है. इस याचिका में बीजेपी और कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिए जाने और उक्त दोनों दलों के लिए कमल का फूल और हाथ का पंजा चुनाव चिन्ह आरक्षित किए जाने को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका समाजवादी पार्टी के एक सदस्य द्वारा दाखिल की गई थी.
ये आदेश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सरोज यादव की बेंच ने शेषमणि त्रिपाठी के दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया है. याचिका में 19 सितम्बर 1989 और 23 सितम्बर 1989 के चुनाव आयोग के दो आदेशों को चुनौती दी गई थी. उक्त दोनों आदेशों के द्वारा भाजपा और कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया था. दोनों के चुनाव चिन्ह आरक्षित किए गए थे.
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याची का कहना था कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव आयोग के पास ऐसा आदेश जारी करने की शक्ति नहीं है. कोर्ट ने अपने विस्तृत निर्णय में कहा कि याची ने वर्तमान याचिका जनहित याचिका के तौर पर दाखिल की है. जबकि वह समाजवादी पार्टी का सदस्य है. यही नहीं इस मामले में भाजपा और कांग्रेस को पक्षकार भी नहीं बनाया गया है. कोर्ट ने कहा कि याची ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29ए के तहत चुनाव आयोग के पास ऐसी किसी शक्ति के न होने का आधार लिया है. जबकि उक्त दोनों आदेश अलॉटमेंट ऑर्डर, 1989 व कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स के तहत पारित किये गए हैं. कोर्ट ने इन टिप्पणियों के साथ याचिका को मिथ्या याचिका करार देते हुए खारिज कर दिया.