लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पुणे के एक उद्यमी को उसकी 9 साल की बेटी की कस्टडी देने से इनकार कर दिया. न्यायालय ने अपने आदेश में इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया कि लखनऊ में बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं. कोर्ट ने कहा है कि लखनऊ देश के सबसे बड़े प्रदेश की राजधानी है. ये देश से पूरी तरह कनेक्टेड है. यहां की शिक्षा उतनी बुरी नहीं है, जितना कि पुणे निवासी पिता बता रहे हैं. हालांकि कोर्ट ने पिता को गर्मी और सर्दी की आधी-आधी छुट्टियां साथ गुजारने के लिए बच्ची को अपने साथ रखने की छूट दी है. इसके अलावा कोर्ट ने शर्तों के साथ पिता को बच्ची से मिलने और बात करने की भी छूट दी है.
पिता को बेटी की कस्टडी देने से कोर्ट ने किया इनकार
ये आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने बच्ची की ओर से उसके पिता द्वारा लिखित एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए पारित किया. याचिका में पिता ने कहा था कि उसका विवाह साल 2004 में लखनऊ से हुआ था. इसके बाद 2011 में उसकी बच्ची हुई. वो पुणे में उसके और दादा-दादी के साथ एक पॉश इलाके में रहती थी. पुणे के ही एक नामचीन इलाके में वो पढ़ती थी. 29 अगस्त 2019 को बच्ची की मां स्कूल से ही बच्ची को ले गई और उसी दिन फ्लाइट पकड़कर लखनऊ आ गई. पिता ने बच्ची की कस्टडी के साथ उससे मुलाकात का अधिकार मांगा था. उसका कहना था कि वो एक उद्यमी है और पुणे में उसके रहन-सहन का स्तर भी काफी उच्च कोटि का है. जबकि लखनऊ में बच्ची को कम सुविधाएं मिल पा रही हैं.
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वहीं याचिका का विरोध करते हुए बच्ची की मां ने कहा कि वो एमबीए है और कमा रही है. बच्ची मायके में नाना-नानी और मामा-मामी के साथ रहती है. बच्ची लखनऊ के सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल में पढ़ती है. मां का कहना था कि लखनऊ में वह बच्ची का अच्छा ख्याल रख रही है. कोर्ट ने मामले को आपसी सुलह-समझौते के लिए मीडिएशन सेंटर भी भेजा था. लेकिन, बात नहीं बनी और कोर्ट का भी बच्ची के माता-पिता को समझाना व्यर्थ रहा, जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश पारित किया.