लखनऊ: लूट और हत्या के मामले में अभियुक्त मोहम्मद साजिद पर योगी सरकार द्वारा लगाई गई रासुका को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रद्द कर दिया है. न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने रासुका में उसकी निरुद्धि आदेश को खारिज करते हुए कहा है कि यदि अभियुक्त अन्य किसी मामले में वांछित नहीं है तो उसे तत्काल रिहा किया जाए. हाईकोर्ट के इस आदेश से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, 20 फरवरी 2020 को राजधानी के यहियागंज में कमला पसंद गुटखा व्यापारी के यहां को हुई लूट और हत्या के मामले में अभियुक्त मोहम्मद साजिद पर राज्य सरकार ने रासुका लगाई थी. इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह आदेश दिया.
याची ने दाखिल की थी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने मोहम्मद साजिद की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया. याची की ओर से दलील दी गई थी कि याची ने 21 जुलाई 2020 को केंद्र सरकार, राज्य सरकार और एडवायजरी कमेटी को प्रत्यावेदन देकर रासुका को अवैध बताया था. साथ ही अपने प्रत्यावेदन पर निर्णय लेने का अनुरोध किया था. इसके बावजूद उसके प्रत्यावेदन पर विचार नहीं किया गया, जो कि विधि विरूद्ध है. न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया कि रासुका तामीला से पूर्व याची का केंद्र सरकार द्वारा प्रत्यावेदन तय करना अनिवार्य था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. वहीं राज्य सरकार ने भी प्रत्यावेदन काफी विलम्ब से तय कर खारिज किया था. तमाम बिंदुओं पर विचार करते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यह निर्णय दिया.
क्या था मामला
20 फरवरी 2020 को मोहम्मद साजिद समेत चार नकाबपोश अभियुक्त राजधानी के यहियागंज में कमला पसंद गुटखा व्यापारी के होलसेल दुकान की नकदी लूटने के इरादे से पहुंचे. इस दौरान कमला पसंद गुटखा व्यापारी के एक कर्मचारी सुभाष चन्द्र गुप्ता ने अभियुक्तों को रोकने की कोशिश की, इस पर अभियुक्तों ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी और मोटर साइकिल पर सवार होकर वहां से भाग निकले. जिसके बाद राज्य सरकार ने पकड़ में आने के बाद अभियुक्त मोहम्मद साजिद पर रासुका लगा दिया था.
इसे भी पढ़ें- सिपाही भर्ती 2015 : हाईकोर्ट ने रिक्त पदों का ब्यौरा किया तलब
क्या है रासुका या एनएसए
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से जुड़ा एक कानून है. ये कानून सरकार को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की गिरफ्तारी की शक्ति देता है. रासुका या एनएसए के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है.