ETV Bharat / state

पूर्व महाधिवक्ता के खिलाफ HC की लखनऊ बेंच ने बिन सुनवाई का मौका दिए की टिप्पणी, एकल पीठ के सामने पक्ष रखने की दी अनुमति

पूर्व महाधिवक्ता के खिलाफ टिप्पणी के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की एकल पीठ ने बिना सुनवाई का मौका दिये टिप्पणी की है. पूर्व अपर महाधिवक्ता को एकल पीठ के सामने अपना पक्ष रखने की अनुमति दी है.

etv bharat
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
author img

By

Published : May 24, 2022, 9:46 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूर्व अपर महाधिवक्ता ज्योति सिक्का के खिलाफ एकल पीठ ने प्रतिकूल टिप्पणी करने के मामले में कहा कि ये निर्विवाद रूप से स्पष्ट है कि बिना किसी नोटिस के अथवा सुनवाई का मौका दिये उक्त टिप्पणियां की गई हैं. न्यायालय ने पूर्व अपर महाधिवक्ता को एकल पीठ के सामने यथोचित प्रार्थना पत्र दाखिल करने की अनुमति देते हुए एकल पीठ को निर्देश दिया है कि यदि ऐसा प्रार्थना पत्र दाखिल किया जाता है. उस पर विचार करते हुए त्वरित निस्तारण किया जाये.

ये आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने ज्योति सिक्का की ओर से दाखिल विशेष अपील पर दिया. अपील में न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ द्वारा दिनांक 2 मार्च 2022 को एक मामले की सुनवाई के उपरांत पारित आदेश में तत्कालीन अपर महाधिवक्ता ज्योति सिक्का के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पटियों की चुनौती दी गई थी. 2 मार्च के उक्त आदेश में कहा गया है कि अपर महाधिवक्ता ज्योति सिक्का के सहायक स्थाई अधिवक्ता ने कोर्ट रूम में झूठ बोला कि आलोचना की और न्याय विभाग को आदेश की प्रति भेजते हुए आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया.

इसे भी पढ़ें- Gyanvapi Mosque Case: अब अगली सुनवाई 26 मई को होगी, मुस्लिम पक्ष को पहले सुनेगा कोर्ट

उक्त आदेश की टिप्पणियों को चुनौती देते हुए कहा गया है कि अपीलार्थी के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियां अवांछित थीं. जिस मामले में न उपस्थित होने के लिए उक्त टिप्पणियां एकल पीठ द्वारा की गई. उसमें उस दिन ऐसी कोई कार्रवाई नहीं होनी थी कि अपर महाधिवक्ता को उपस्थित होने की आवश्यकता हो. ये भी दलील दी गई कि एकल पीठ को अपीलार्थी के किसी मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से जाने की बात बताई गई थी. कहा गया है कि उक्त टिप्पणियों की वजह से ही अपीलार्थी को राज्य सरकार ने अपर महाधिवक्ता के पद से हटा दिया.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूर्व अपर महाधिवक्ता ज्योति सिक्का के खिलाफ एकल पीठ ने प्रतिकूल टिप्पणी करने के मामले में कहा कि ये निर्विवाद रूप से स्पष्ट है कि बिना किसी नोटिस के अथवा सुनवाई का मौका दिये उक्त टिप्पणियां की गई हैं. न्यायालय ने पूर्व अपर महाधिवक्ता को एकल पीठ के सामने यथोचित प्रार्थना पत्र दाखिल करने की अनुमति देते हुए एकल पीठ को निर्देश दिया है कि यदि ऐसा प्रार्थना पत्र दाखिल किया जाता है. उस पर विचार करते हुए त्वरित निस्तारण किया जाये.

ये आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने ज्योति सिक्का की ओर से दाखिल विशेष अपील पर दिया. अपील में न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ द्वारा दिनांक 2 मार्च 2022 को एक मामले की सुनवाई के उपरांत पारित आदेश में तत्कालीन अपर महाधिवक्ता ज्योति सिक्का के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पटियों की चुनौती दी गई थी. 2 मार्च के उक्त आदेश में कहा गया है कि अपर महाधिवक्ता ज्योति सिक्का के सहायक स्थाई अधिवक्ता ने कोर्ट रूम में झूठ बोला कि आलोचना की और न्याय विभाग को आदेश की प्रति भेजते हुए आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया.

इसे भी पढ़ें- Gyanvapi Mosque Case: अब अगली सुनवाई 26 मई को होगी, मुस्लिम पक्ष को पहले सुनेगा कोर्ट

उक्त आदेश की टिप्पणियों को चुनौती देते हुए कहा गया है कि अपीलार्थी के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियां अवांछित थीं. जिस मामले में न उपस्थित होने के लिए उक्त टिप्पणियां एकल पीठ द्वारा की गई. उसमें उस दिन ऐसी कोई कार्रवाई नहीं होनी थी कि अपर महाधिवक्ता को उपस्थित होने की आवश्यकता हो. ये भी दलील दी गई कि एकल पीठ को अपीलार्थी के किसी मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से जाने की बात बताई गई थी. कहा गया है कि उक्त टिप्पणियों की वजह से ही अपीलार्थी को राज्य सरकार ने अपर महाधिवक्ता के पद से हटा दिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.