लखनऊ: लुऑक्टा शिक्षक संघ के अध्यक्ष मनोज पाण्डेय ने उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को पत्र लिखा है. प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों, राजकीय महाविद्यालय व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में पा रहे शिक्षकों के कागजातों की सत्यापन करने के आदेश से अब नया विवाद छिड़ गया है. इस प्रक्रिया में एक तरफ शिक्षकों की जांच लटक गई है तो दूसरी तरफ सत्यापन के लिए जमा होने वाले शुल्क को लेकर फैसला नहीं हो पा रहा है.
लुऑक्टा शिक्षक संघ के अध्यक्ष मनोज पाण्डेय ने कहा कि जो भी जांच हो रही है उसका शुल्क शिक्षकों से ही लिया जा रहा है. सभी शिक्षकों ने इस बात की नाराजगी जताई है. शासन ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलसचिव तथा राजकीय व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य से कहा है कि वे अपने यहां कार्यरत शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन उन बोर्डों या विश्वविद्यालय से करा लें, जहां से वे जारी किए गए हैं.
इससे पहले जिला पर गठित जांच कमेटी ने शिक्षकों का भौतिक सत्यापन करने के साथ-साथ उनके सेवा संबंधी अभिलेखों एवं शैक्षिक अभिलेखों की भी जांच की थी. अब एक नया विवाद शुरू हो गया है कि सत्यापन के लिए शुल्क कौन अदा करेगा. कई विश्वविद्यालय अंकपत्र व प्रमाण पत्रों का सत्यापन करने के लिए पहले ही शुल्क जमा करा लेते हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ लुऑक्टा के अध्यक्ष मनोज पाण्डेय ने उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा को पत्र लिखकर नाराजगी जताई है.
उन्होंने कहा है कि कुछ महाविद्यालय स्कूल के शिक्षकों से ही शुल्क वसूल रहे हैं. संगठन ने लखनऊ के ही एक महाविद्यालय का उदाहरण भी दिया है, जिसने सत्यापन करने की जिम्मेदारी शिक्षकों पर ही डाल दी. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के आदेश पर यह जांच 31 जुलाई तक पूरी होनी थी, लेकिन अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे में जांच अब स्थगित कर देनी चाहिए.