लखनऊ : जैन धर्म के चौबीसवें एवं अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का 2620 वां जन्म कल्याणक महोत्सव रविवार यानि 25 अप्रैल को जैन धर्मावलम्बियों ने अपने घरों में श्रद्धापूर्वक मनाया. जैन मंदिरों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए भक्तों ने दर्शन-पूजन किया.
आशियाना स्थित जैन मंदिर जी में भगवान महावीर की अष्टधातु की मूर्ति का अभिषेक किया गया. शांतिधारा व पूजन की सभी क्रियाओं को विधि विधान और मंत्रोच्चारण के साथ प्रो.(डॉ.) अभय कुमार जैन ने किया. बलवंत जैन और आशू जैन ने भी पूजन में सहयोग से किया.
शांतिधारा के पुण्यार्जक उपाध्यक्ष शरद चंद्र जैन थे. जलधारा का पुण्यार्जन अल्पना जैन, सरिता जैन, कमलेश जैन और रश्मि जैन ने किया. झंडारोहण संस्थापक अध्यक्ष नरेश कुमार जैन ने और दीप प्रज्वलन नीरज जैन ने किया. भक्तों ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया.
भगवान महावीर की शिक्षाएं आज भी है प्रासंगि
उ.प्र. जैन विद्या शोध संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) अभय कुमार जैन बताया कि आज से लगभग 2600 वर्ष पूर्व भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित अहिंसा, सत्य, अचैर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के सार्वभौमिक सिद्धांतों के पालन की आवश्यकता आज के समय में और अधिक प्रासंगिक हो गई है.
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मैत्री व करुणाभाव के साथ मानव को रहना चाहिए
प्रो. जैन ने कहा कि भगवान महावीर ने कहा था कि समस्त मानव जाति का कल्याण तभी संम्भव है जब मानव एक-दूसरे के साथ मैत्री और करुणा भाव से रहे. समस्त प्राणियों में प्रेम परस्पर सहिष्णुता को बढ़ाता है. सहिष्णुता के भाव से ही अहिंसा और शाकाहार का प्रसार होता है. भगवान महावीर के सिद्धांत दिशा भ्रमित मानवता को सही दिशा प्रदान करने के लिए आज भी उतने ही सार्थक है जितने उनके युग में थे.
जैन मंदिर, डालीगंज
डालीगंज स्थित जैन मंदिर में भगवान महावीर स्वामी पालकी में विराजित कर मंदिर परिसर में यात्रा निकाली गई. भगवान का अभिषेक एवं विधि-विधान से पूजन किया गया. श्री जैन धर्म प्रवर्धनी सभा के अध्यक्ष विनय जैन ने बताया कि यहां बहुत कम संख्या में भक्त पूजन में शामिल हुए और सबने कोरोना गाइडलाइन का पालन किया. पूजन में कोरोना महामारी से देश को मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना की गई.