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यहां हर घर में बनतीं हैं भगवान गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां, इस बार नहीं मिल रहे खरीदार

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Published : Oct 30, 2020, 12:28 PM IST

राजधानी लखनऊ के लकड़मंडी मोहल्ले के हर घर में मूर्तियां बनाई जाती हैं. इस मोहल्ले में हिंदू और मुस्लिम परिवार अपने घरों में भगवान गणेश और लक्ष्मी के साथ मिट्टी के खिलौने और दीये भी बनाते हैं. इस बार कोरोना संकट के कारण लोगों ने ब्याज पर पैसा लेकर मूर्तियां बना रहे हैं. आइये जानते हैं यहां के लोग किस तरह जीवन यापन करते हैं.

लखनऊ में मिट्टी की मूर्तियां और खिलौने बनाता कारीगर.
लखनऊ में मिट्टी की मूर्तियां और खिलौने बनाता कारीगर.

लखनऊः राजधानी के सहादतगंज इलाके में एक मोहल्ला लकड़मंडी है. मोहल्ले का नाम लकड़मंडी है लेकिन यह मोहल्ला मिट्टी के गणेश-लक्ष्मी, खिलौने बनाने का हब माना जाता है. इस मोहल्ले में हर घर में मिट्टी की मूर्तियां बनाई जाती हैं. लोगों के घरों में यह काम 40 सालों से ज्यादा समय से चलता आ रहा है और हर साल करोड़ों रुपये का व्यापार होता है.

मूर्तियों और खिलौने के खरीदार नहीं
कोरोना के चलते इस बार व्यापारियों में व्यापार को लेकर डर सता रहा है. व्यापारियों का कहना है कि माल बनकर तैयार है लेकिन खरीदने वाला कोई नहीं है. कारीगरों का कहना है कि इस बार ब्याज पर पैसा लेकर मूर्तियां बनाया था लेकिन मांग न होने के कारण नुकसान उठाना पड़ सकता है. लकड़मंडी मोहल्ले के हर घर में मूर्तियों के साथ-साथ दीया, ग्वालिन, उल्लू, चूहा, खरगोश, मोटू पतलू समेत कई मिट्टी के खिलौने बनाए जाते हैं. व्यापारियों की मानें तो कई खिलौने व मूर्तियां आगरा कोलकाता समेत कई शहरों से मंगाई भी जाती हैं. इस बार 50 रुपये से लेकर 10000 तक की मूर्ति बनाई गई हैं.

कोलकाता से भी आता है माल
व्यापारी महफूज अहमद बताते हैं कि मूर्तियां और खिलौने का कारोबार पिछले 25 वर्षों से कर रहे हैं. हमारे पास माल कोलकाता से भी बनकर आता है. यहां पर लोकल वाली मूर्तियां बनाई जाती हैं. इस साल हमारे पास 120 से लेकर 10000 रुपये कीमत तक की मूर्ति उपलब्ध हैं. कोरोना के कारण इस बार काम पर 20 फीसद असर पड़ा है. हमारे पास गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों के अलावा खिलौने भी बिकते हैं.

मूर्तियां बनाने में लगते हैं 2 महीने
कारीगर विमला बताती हैं कि मूर्तियां और खिलौने बनाने में दो-तीन महीने लग जाते हैं. इस बार ब्याज में पैसा लेकर लगाया है. बिक्री न होने के कारण लग रहा है इस बार हम लोग की रोजी रोटी भी जाएगी. कारीगर संदीप बताते हैं कि इस बार ग्राहक न के बराबर हैं.

इस बार व्यापार चौपट
व्यापारी बुधराम बताते हैं मूर्तियों और खिलौने का कारोबार करते हुए करीब 25 से 30 साल हो गए हैं और बच्चे और परिवार मिलकर मूर्तियां तैयार करते हैं. इस बार बैंक से 100000 रुपये कर्ज लेकर मूर्तियां और खिलौना बनाया था लेकिन इसका ब्याज तक नहीं निकल पाया है. इस बार कारोबार इतना चौपट है कि 100 वाली मूर्ति 60 रुपये में बिक रही है. उन्होंने बताया कि एक मूर्ति बनाने में 50 से 60 रुपये तक लागत आती है. इस बार तो मजदूरी भी नहीं निकल पा रही है.

मूर्तियों और खिलौने के दाम इस प्रकार हैं-

  • हनुमान 60 से 400 रुपये तक
  • दीया 3 से 10 रुपये तक
  • ग्वालिन 15 से 60 रुपये तक
  • उल्लू 20 से 80 रुपये तक
  • चूहा 15 से 100 रुपये तक
  • खरगोश 30 से 200 रुपये तक
  • मोटू पतलू 70 से 300 रुपये तक
  • हाथी 60 से 230 रुपये तक
  • घोड़ा 60 से 300 रुपये तक

लखनऊः राजधानी के सहादतगंज इलाके में एक मोहल्ला लकड़मंडी है. मोहल्ले का नाम लकड़मंडी है लेकिन यह मोहल्ला मिट्टी के गणेश-लक्ष्मी, खिलौने बनाने का हब माना जाता है. इस मोहल्ले में हर घर में मिट्टी की मूर्तियां बनाई जाती हैं. लोगों के घरों में यह काम 40 सालों से ज्यादा समय से चलता आ रहा है और हर साल करोड़ों रुपये का व्यापार होता है.

मूर्तियों और खिलौने के खरीदार नहीं
कोरोना के चलते इस बार व्यापारियों में व्यापार को लेकर डर सता रहा है. व्यापारियों का कहना है कि माल बनकर तैयार है लेकिन खरीदने वाला कोई नहीं है. कारीगरों का कहना है कि इस बार ब्याज पर पैसा लेकर मूर्तियां बनाया था लेकिन मांग न होने के कारण नुकसान उठाना पड़ सकता है. लकड़मंडी मोहल्ले के हर घर में मूर्तियों के साथ-साथ दीया, ग्वालिन, उल्लू, चूहा, खरगोश, मोटू पतलू समेत कई मिट्टी के खिलौने बनाए जाते हैं. व्यापारियों की मानें तो कई खिलौने व मूर्तियां आगरा कोलकाता समेत कई शहरों से मंगाई भी जाती हैं. इस बार 50 रुपये से लेकर 10000 तक की मूर्ति बनाई गई हैं.

कोलकाता से भी आता है माल
व्यापारी महफूज अहमद बताते हैं कि मूर्तियां और खिलौने का कारोबार पिछले 25 वर्षों से कर रहे हैं. हमारे पास माल कोलकाता से भी बनकर आता है. यहां पर लोकल वाली मूर्तियां बनाई जाती हैं. इस साल हमारे पास 120 से लेकर 10000 रुपये कीमत तक की मूर्ति उपलब्ध हैं. कोरोना के कारण इस बार काम पर 20 फीसद असर पड़ा है. हमारे पास गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों के अलावा खिलौने भी बिकते हैं.

मूर्तियां बनाने में लगते हैं 2 महीने
कारीगर विमला बताती हैं कि मूर्तियां और खिलौने बनाने में दो-तीन महीने लग जाते हैं. इस बार ब्याज में पैसा लेकर लगाया है. बिक्री न होने के कारण लग रहा है इस बार हम लोग की रोजी रोटी भी जाएगी. कारीगर संदीप बताते हैं कि इस बार ग्राहक न के बराबर हैं.

इस बार व्यापार चौपट
व्यापारी बुधराम बताते हैं मूर्तियों और खिलौने का कारोबार करते हुए करीब 25 से 30 साल हो गए हैं और बच्चे और परिवार मिलकर मूर्तियां तैयार करते हैं. इस बार बैंक से 100000 रुपये कर्ज लेकर मूर्तियां और खिलौना बनाया था लेकिन इसका ब्याज तक नहीं निकल पाया है. इस बार कारोबार इतना चौपट है कि 100 वाली मूर्ति 60 रुपये में बिक रही है. उन्होंने बताया कि एक मूर्ति बनाने में 50 से 60 रुपये तक लागत आती है. इस बार तो मजदूरी भी नहीं निकल पा रही है.

मूर्तियों और खिलौने के दाम इस प्रकार हैं-

  • हनुमान 60 से 400 रुपये तक
  • दीया 3 से 10 रुपये तक
  • ग्वालिन 15 से 60 रुपये तक
  • उल्लू 20 से 80 रुपये तक
  • चूहा 15 से 100 रुपये तक
  • खरगोश 30 से 200 रुपये तक
  • मोटू पतलू 70 से 300 रुपये तक
  • हाथी 60 से 230 रुपये तक
  • घोड़ा 60 से 300 रुपये तक
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