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लोकसभा चुनाव 2024 : उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा के गठबंधन की राह नहीं होगी आसान!

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी राजनीतिक दलों (Congress and SP in Uttar Pradesh) ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. वहीं माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर यूपी में कांग्रेस और सपा के गठबंधन की राह आसान नहीं होगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 1, 2023, 4:48 PM IST

लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इंडिया गठबंधन के सभी दलों के लिए उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटें काफी महत्वपूर्ण हैं. इन सभी सीटों पर भाजपा के खिलाफ मुकाबला तैयार करने के लिए जहां 2019 में समाजवादी पार्टी और बसपा का गठबंधन सामने था और दोनों पार्टियों ने मिलकर भाजपा को करीब 15 सीटों का ही नुकसान पहुंचाया था, वहीं लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बने 'इंडिया' गठबंधन में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल (कमेरावादी) व महान दल इस गठबंधन के साथ आए, लेकिन यूपी में सपा और कांग्रेस के बीच में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सीटों को लेकर हुई अनबन के बीच 'इंडिया' गठबंधन की जो तैयारी शुरू हुई थी वह आसान होती नहीं दिख रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि 'जब भी यह दोनों बड़े दल उत्तर प्रदेश में गठबंधन के लिए एक साथ आए हैं, उनके बीच में आपसी तालमेल की कमी देखने को मिली है.'

इंडिया गठबंधन की बैठक (फाइल फोटो)
इंडिया गठबंधन की बैठक (फाइल फोटो)



1990 में शुरू हुआ था कांग्रेस और सपा का रिश्ता : सपा और कांग्रेस के बीच में बनते बिगड़ते रिश्तों का एक बहुत ही लंबा इतिहास रहा है. समाजवादी पार्टी के संस्थापक स्व. मुलायम सिंह यादव के 1990 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से इस रिश्ते में लगातार उतार चढ़ाव देखा गया. अब एक बार फिर से आगामी लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में यह दोनों दल एक साथ आने की तैयारी में हैं, लेकिन सवाल उठ रहा है कि ऐसे में क्या वही पुराना कड़वाहट दोनों दलों के बीच में फिर से है. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि 'जिस तरह से शुरुआत में 'इंडिया' गठबंधन की नींव रखी गई और सभी दलों के बड़े नेताओं ने एक पटल पर आकर आपस में बात साझा की उन्हें अब इस प्रक्रिया को दोबारा से पटरी पर लाने की जरूरत है. यह प्रक्रिया जितनी विलंब होगी उतनी ही 'इंडिया' गठबंधन के उत्तर प्रदेश में पैर जमाने में दिक्कत होगी.'

(फाइल फोटो)
(फाइल फोटो)

2009 और 2017 में गठबंधन के बाद भी नहीं मिले थे उम्मीद के अनुसार चुनावी परिणाम : लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर संजय गुप्ता ने बताया कि 'मध्य प्रदेश चुनाव के बाद से बढ़े विवाद ने कांग्रेस और सपा के बीच चली आ रहे पुरानी कड़वाहटों को फिर से ताजा कर दिया है. सपा, कांग्रेस के साथ यूपी में गठबंधन को लेकर असहज महसूस कर रही है. 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद सपा और कांग्रेस के बीच में तालमेल पहले जैसा नहीं रहा है. 2009 में डिंपल यादव के सामने बॉलीवुड स्टार राज बब्बर को चुनाव मैदान में उतरने के बाद दोनों दलों के बीच मनमुटाव बढ़ गया था. वहीं 2017 में विधानसभा चुनाव में गठबंधन के बाद भी उम्मीद के अनुसार परिणाम न आने से दोनों ही दल गठबंधन को लेकर असहज हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के नेता भी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर एक बार फिर से पुनर्विचार की बात कह रहे हैं. उन्होंने बताया कि मीडिया व पार्टी के सूत्रों से लगातार यह सुनने में आ रहा है कि कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी समाजवादी पार्टी को छोड़ बसपा के साथ गठबंधन करने के लिए ज्यादा पक्षधर हैं.

(फाइल फोटो)
(फाइल फोटो)

...मिल सकता है फायदा : प्रोफेसर संजय गुप्ता ने बताया कि 'कांग्रेस ने 1993 और 2003 में सपा के नेतृत्व वाली सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव को अपना समर्थन दिया था. यूपी में आपसी राजनीतिक समझ जाहिर करने के तौर पर मुलायम सिंह यादव और सोनिया गांधी के बीच में अच्छा तालमेल था, जिसका असर सीधे तौर पर समर्थकों पर दिखता था. प्रोफेसर गुप्ता ने कहा कि समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के साथ अगर शिवपाल यादव को इस गठबंधन कि बागडोर देते हैं तो उत्तर प्रदेश में 'इंडिया' गठबंधन को काफी हद तक फायदा मिल सकता है. उन्होंने बताया कि मुलायम सिंह के बाद शिवपाल यादव एक ऐसे नेता हैं जिन पर समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता पूरी तरह से भरोसा करता है, वहीं विपक्ष की पार्टियां भी शिवपाल यादव के साथ तालमेल बैठाने में अपने आप को सहज महसूस करेंगी.'

यह भी पढ़ें : यूपी विधानसभा सत्र : 65% बजट खर्च न होने पर अखिलेश यादव का सरकार पर जोरदार हमला, बोले-फिर इसकी जरूरत क्या है

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लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इंडिया गठबंधन के सभी दलों के लिए उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटें काफी महत्वपूर्ण हैं. इन सभी सीटों पर भाजपा के खिलाफ मुकाबला तैयार करने के लिए जहां 2019 में समाजवादी पार्टी और बसपा का गठबंधन सामने था और दोनों पार्टियों ने मिलकर भाजपा को करीब 15 सीटों का ही नुकसान पहुंचाया था, वहीं लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बने 'इंडिया' गठबंधन में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल (कमेरावादी) व महान दल इस गठबंधन के साथ आए, लेकिन यूपी में सपा और कांग्रेस के बीच में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सीटों को लेकर हुई अनबन के बीच 'इंडिया' गठबंधन की जो तैयारी शुरू हुई थी वह आसान होती नहीं दिख रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि 'जब भी यह दोनों बड़े दल उत्तर प्रदेश में गठबंधन के लिए एक साथ आए हैं, उनके बीच में आपसी तालमेल की कमी देखने को मिली है.'

इंडिया गठबंधन की बैठक (फाइल फोटो)
इंडिया गठबंधन की बैठक (फाइल फोटो)



1990 में शुरू हुआ था कांग्रेस और सपा का रिश्ता : सपा और कांग्रेस के बीच में बनते बिगड़ते रिश्तों का एक बहुत ही लंबा इतिहास रहा है. समाजवादी पार्टी के संस्थापक स्व. मुलायम सिंह यादव के 1990 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से इस रिश्ते में लगातार उतार चढ़ाव देखा गया. अब एक बार फिर से आगामी लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में यह दोनों दल एक साथ आने की तैयारी में हैं, लेकिन सवाल उठ रहा है कि ऐसे में क्या वही पुराना कड़वाहट दोनों दलों के बीच में फिर से है. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि 'जिस तरह से शुरुआत में 'इंडिया' गठबंधन की नींव रखी गई और सभी दलों के बड़े नेताओं ने एक पटल पर आकर आपस में बात साझा की उन्हें अब इस प्रक्रिया को दोबारा से पटरी पर लाने की जरूरत है. यह प्रक्रिया जितनी विलंब होगी उतनी ही 'इंडिया' गठबंधन के उत्तर प्रदेश में पैर जमाने में दिक्कत होगी.'

(फाइल फोटो)
(फाइल फोटो)

2009 और 2017 में गठबंधन के बाद भी नहीं मिले थे उम्मीद के अनुसार चुनावी परिणाम : लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर संजय गुप्ता ने बताया कि 'मध्य प्रदेश चुनाव के बाद से बढ़े विवाद ने कांग्रेस और सपा के बीच चली आ रहे पुरानी कड़वाहटों को फिर से ताजा कर दिया है. सपा, कांग्रेस के साथ यूपी में गठबंधन को लेकर असहज महसूस कर रही है. 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद सपा और कांग्रेस के बीच में तालमेल पहले जैसा नहीं रहा है. 2009 में डिंपल यादव के सामने बॉलीवुड स्टार राज बब्बर को चुनाव मैदान में उतरने के बाद दोनों दलों के बीच मनमुटाव बढ़ गया था. वहीं 2017 में विधानसभा चुनाव में गठबंधन के बाद भी उम्मीद के अनुसार परिणाम न आने से दोनों ही दल गठबंधन को लेकर असहज हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के नेता भी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर एक बार फिर से पुनर्विचार की बात कह रहे हैं. उन्होंने बताया कि मीडिया व पार्टी के सूत्रों से लगातार यह सुनने में आ रहा है कि कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी समाजवादी पार्टी को छोड़ बसपा के साथ गठबंधन करने के लिए ज्यादा पक्षधर हैं.

(फाइल फोटो)
(फाइल फोटो)

...मिल सकता है फायदा : प्रोफेसर संजय गुप्ता ने बताया कि 'कांग्रेस ने 1993 और 2003 में सपा के नेतृत्व वाली सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव को अपना समर्थन दिया था. यूपी में आपसी राजनीतिक समझ जाहिर करने के तौर पर मुलायम सिंह यादव और सोनिया गांधी के बीच में अच्छा तालमेल था, जिसका असर सीधे तौर पर समर्थकों पर दिखता था. प्रोफेसर गुप्ता ने कहा कि समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के साथ अगर शिवपाल यादव को इस गठबंधन कि बागडोर देते हैं तो उत्तर प्रदेश में 'इंडिया' गठबंधन को काफी हद तक फायदा मिल सकता है. उन्होंने बताया कि मुलायम सिंह के बाद शिवपाल यादव एक ऐसे नेता हैं जिन पर समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता पूरी तरह से भरोसा करता है, वहीं विपक्ष की पार्टियां भी शिवपाल यादव के साथ तालमेल बैठाने में अपने आप को सहज महसूस करेंगी.'

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