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तीसरे मोर्चे की कवायद से जयंत की दूरी, अखिलेश यादव पटना में विपक्षी एकजुटता पर करेंगे मंथन

समाजवादी पार्टी भाजपा के खिलाफ सियासी लड़ाई तेज करने और तीसरे मोर्चे के गठन की कवायद को आगे बढ़ा रही है. इसी कड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई गई है. जिसमें अखिलेश यादव विपक्षी एकता पर चर्चा करेंगे. साथ ही यूपी में अन्य दलों की एकजुटता पर मंथन किया जाएगा.

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Published : Jun 22, 2023, 8:02 PM IST

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अखिलेश यादव पटना में विपक्षी एकजुटता पर करेंगे मंथन. देखें खबर

लखनऊ : यूपी में अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ गठबंधन करने पर जोर दे रहे हैं. जिससे कांग्रेस के साथ भाजपा से सियासी लड़ाई ठीक से हो सकेगी. वहीं दूसरी तरफ सपा के साथ गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) पटना की बैठक से दूर रहने वाला है. रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को पत्र भेजकर 23 जून की बैठक में निजी पारिवारिक व्यस्तता के चलते शामिल होने में असमर्थता जताई है. ऐसे में माना जा रहा है कि रालोद एनडीए के साथ जाने की तैयारी में है. भाजपा नेतृत्व रालोद को अपने पक्ष में लाकर पश्चिम यूपी में चुनावी लड़ाई को दिलचस्प बनाने के लिए गठबंधन करना चाहता है. ऐसे में जयंत चौधरी फिलहाल वेट एंड वाच की स्थिति में हैं और पटना जाने से बच रहे हैं.

रालोद ने बैठक से किया किनारा.
रालोद ने बैठक से किया किनारा.

बता दें, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की कोशिश है कि यूपी में जितने भी गैर भाजपाई दल हैं सब एक साथ तीसरे मोर्च के साथ रहे और वोटों का बिखराव होने से बचे. जिससे भाजपा को फायदा न होने पाए. इसलिए सारी कवायद विपक्षी एकता को लेकर हो रही है. ऐसे में पटना में होने वाली 23 जून की बैठक लोकसभा चुनाव से पहले काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इस विपक्ष को एकजुट करने के लिए आयोजित बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार विपक्षी एकता के सूत्रधार बने हुए हैं. इस बैठक में राजद, झामुमो, सपा, तृणमूल कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति, डीएमके और एनसीपी सरीखी क्षेत्रीय दलों के साथ ही कांग्रेस का शामिल होना तय है. ये सभी दल अपने अपने क्षेत्र में मजबूत हैं.

पटना की बैठक के मुद्दे.
पटना की बैठक के मुद्दे.

कांग्रेस ने हाल ही में हिमाचल प्रदेश व कर्नाटक का चुनाव जीतकर मजबूती के साथ अपने लोकसभा चुनाव को लेकर मजबूत होने का बड़ा संदेश दिया है. यही कारण है कि अखिलेश यादव यूपी में कांग्रेस के साथ एकबार फिर गठबंधन करने को राजी हो गए हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का मानना है कि जो क्षेत्रीय दल जिस राज्य में मजबूत हैं, वहां विपक्षी एकता को मजबूत करें और भाजपा को हराने का काम करें. वहीं अखिलेश यादव की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव में बसपा भी इस विपक्षी एकता में साथ रहे लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि बसपा इस गठबंधन के साथ आती है या नहीं या फिर कांग्रेस अपने स्तर से बसपा अध्यक्ष मायावती को गठबंधन में शामिल करने के लिए बातचीत करेंगी.

पटना की बैठक के मायने.
पटना की बैठक के मायने.

राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन कहते हैं कि पटना में 23 जून को आयोजित रैली में नीतीश कुमार ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी रैली में शामिल होंगे. अखिलेश यादव की कोशिश है कि विपक्षी एकता बने और भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए सभी दल एक मंच पर आएं. विपक्षी एकता काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. पटना में होने वाली बैठक में उत्तर प्रदेश को लेकर भी चर्चा होगी. बैठक में क्या रणनीति बनेगी सबके सामने आएगा, लेकिन यह जरूर है कि बैठक में काफी हद तक तीसरे मोर्चे या अन्य किसी मोर्च या कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर रणनीति बनाई जाएगी.



यह भी पढ़ें : वंदे भारत एक्सप्रेस में योग यात्रा, 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर योग आसन का वीडियो वायरल

अखिलेश यादव पटना में विपक्षी एकजुटता पर करेंगे मंथन. देखें खबर

लखनऊ : यूपी में अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ गठबंधन करने पर जोर दे रहे हैं. जिससे कांग्रेस के साथ भाजपा से सियासी लड़ाई ठीक से हो सकेगी. वहीं दूसरी तरफ सपा के साथ गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) पटना की बैठक से दूर रहने वाला है. रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को पत्र भेजकर 23 जून की बैठक में निजी पारिवारिक व्यस्तता के चलते शामिल होने में असमर्थता जताई है. ऐसे में माना जा रहा है कि रालोद एनडीए के साथ जाने की तैयारी में है. भाजपा नेतृत्व रालोद को अपने पक्ष में लाकर पश्चिम यूपी में चुनावी लड़ाई को दिलचस्प बनाने के लिए गठबंधन करना चाहता है. ऐसे में जयंत चौधरी फिलहाल वेट एंड वाच की स्थिति में हैं और पटना जाने से बच रहे हैं.

रालोद ने बैठक से किया किनारा.
रालोद ने बैठक से किया किनारा.

बता दें, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की कोशिश है कि यूपी में जितने भी गैर भाजपाई दल हैं सब एक साथ तीसरे मोर्च के साथ रहे और वोटों का बिखराव होने से बचे. जिससे भाजपा को फायदा न होने पाए. इसलिए सारी कवायद विपक्षी एकता को लेकर हो रही है. ऐसे में पटना में होने वाली 23 जून की बैठक लोकसभा चुनाव से पहले काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इस विपक्ष को एकजुट करने के लिए आयोजित बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार विपक्षी एकता के सूत्रधार बने हुए हैं. इस बैठक में राजद, झामुमो, सपा, तृणमूल कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति, डीएमके और एनसीपी सरीखी क्षेत्रीय दलों के साथ ही कांग्रेस का शामिल होना तय है. ये सभी दल अपने अपने क्षेत्र में मजबूत हैं.

पटना की बैठक के मुद्दे.
पटना की बैठक के मुद्दे.

कांग्रेस ने हाल ही में हिमाचल प्रदेश व कर्नाटक का चुनाव जीतकर मजबूती के साथ अपने लोकसभा चुनाव को लेकर मजबूत होने का बड़ा संदेश दिया है. यही कारण है कि अखिलेश यादव यूपी में कांग्रेस के साथ एकबार फिर गठबंधन करने को राजी हो गए हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का मानना है कि जो क्षेत्रीय दल जिस राज्य में मजबूत हैं, वहां विपक्षी एकता को मजबूत करें और भाजपा को हराने का काम करें. वहीं अखिलेश यादव की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव में बसपा भी इस विपक्षी एकता में साथ रहे लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि बसपा इस गठबंधन के साथ आती है या नहीं या फिर कांग्रेस अपने स्तर से बसपा अध्यक्ष मायावती को गठबंधन में शामिल करने के लिए बातचीत करेंगी.

पटना की बैठक के मायने.
पटना की बैठक के मायने.

राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन कहते हैं कि पटना में 23 जून को आयोजित रैली में नीतीश कुमार ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी रैली में शामिल होंगे. अखिलेश यादव की कोशिश है कि विपक्षी एकता बने और भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए सभी दल एक मंच पर आएं. विपक्षी एकता काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. पटना में होने वाली बैठक में उत्तर प्रदेश को लेकर भी चर्चा होगी. बैठक में क्या रणनीति बनेगी सबके सामने आएगा, लेकिन यह जरूर है कि बैठक में काफी हद तक तीसरे मोर्चे या अन्य किसी मोर्च या कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर रणनीति बनाई जाएगी.



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