लखनऊ: इन दिनों कोरोना से हर कोई परेशान है, लेकिन अस्पताल के डॉक्टरों से ऐसी उम्मीद लोगों को बिल्कुल भी नहीं है कि जहां एक जीते जागते इंसान को मृत घोषित कर दे. ताजा मामला राजधानी के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल का है. जहां पर साले नगर निवासी सुखरानी गौतम को मृत घोषित कर एंबुलेंस के द्वारा वापस भेज दिया गया. जबकि महिला की सांसे चल रही थीं.
इसके बावजूद डॉक्टरों ने परिजनों को महिला के मरने की सूचना देते हुए डिस्चार्ज कर दिया. परिजनों ने बताया कि एंबुलेंस में महिला की सांसे चल रही थीे. तभी घर वालों ने पास में मौजूद एक कंपाउंडर को बुलाकर जांच किया. जांच में यह साबित हो गया कि महिला पूरी तरीके से जीवित है. महिला के बेटे ने घटना का वीडियो बनाकर वायरल कर दिया.
सुखरानी गौतम की तीन दिन पहले तबीयत बिगड़नी शुरू हुई थी. आनन-फानन में महिला को लोहिया अस्पताल में लाया गया. जहां 2 दिनों तक महिला को भर्ती नहीं किया गया. इस बीच महिला का कोरोना जांच कराया गया. जिसमें महिला की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी. फिर भी 2 दिनों तक महिला को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया. जिसके बाद रविवार की सुबह महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया. तीमारदारों के कहने पर डॉक्टर ने सिर्फ ग्लूकोस चढ़ाया. तीमारदार सुनील कुमार ने बताया कि महिला का ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से हालत गंभीर थी. इस बीच रविवार रात को लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने पीड़ित महिला को मृत घोषित कर दिया और अस्पताल से बॉडी एंबुलेंस के द्वारा तीमारदार घर ले आए.
एंबुलेंस में महिला की चल रही थी सांस
बेटे सुशील कुमार ने बताया कि एंबुलेंस जब घर आई, तो बॉडी निकालने के लिए गेट खोला गया इस दौरान मां की सांसे चल रही थीं. सांसे चलते देख तुरंत ऑक्सीजन लगाया और फिर घर के अंदर ले जाया गया. जहां 4 घंटे तक मां की देख रेख की गई. फिलहाल तीमारदार महिला को फिर से अस्पताल ले जाने की बात कर रहे हैं और एंबुलेंस का इंतजार कर रहे हैं.
प्रवक्ता ने नहीं उठाया फोन
बता दें कि, अस्पताल की गलती का खामियाजा बेबस मरीजों को उठाना पड़ रहा है. इस मामले पर लोहिया अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. श्रीकेश सिंह के पास फोन किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल नहीं उठाया.
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