लखनऊ : देश में साल 2021-22 में लगभग 20 हजार विद्यालय बंद हुए. यह जानकारी राज्यसभा में शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने दी. इस पर बहुजन समाज पार्टी के अम्बेडकरनगर से सांसद रितेश पांडेय ( Ambedkar Nagar MP Ritesh Pandey) ने लोकसभा की कार्रवाई को अस्थगित कर इसी मुद्दे पर चर्चा किए जाने के लिए कहा है.
रितेश पांडेय ने कहा है कि राज्यसभा में सरकार ने माना है कि साल 2020-21 में सरकारी, निजी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की संख्या 15,09,136 थी, जो 2021-22 में घटकर 14,89,115 हो गई. इस अवधि में शिक्षकों की संख्या 96,96,425 से घटकर 95,07,123 हो गई. यही नहीं केंद्र सरकार ने स्कूल बंद करने के दो कारण बताए हैं, जिसमें कम छात्रों वाले सरकारी स्कूलों का विलय व महामारी में निजी स्कूलों का बंद होना है. साल 2018-19 और 2020-21 के बीच लगभग 50 हज़ार सरकारी स्कूलों का विलय किया गया है.
-
देश में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, 12-28% GST कॉपी कलम पर है, शिक्षक ज़्यादातर अपनी समस्याओं के लिए धरने पर रहते हैं,नए विद्यालय खुलने तो दूर जो खुले हैं उनको बंद किये जा रहे हैं।
— Akash Anand (@AnandAkash_BSP) December 9, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
ऐसे कैसे पढ़ेगा इंडिया,और कैसे बढेगा इंडिया? केवल जुमलों से तो शिक्षा मिलने से रही। https://t.co/xblGN0Zsd6
">देश में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, 12-28% GST कॉपी कलम पर है, शिक्षक ज़्यादातर अपनी समस्याओं के लिए धरने पर रहते हैं,नए विद्यालय खुलने तो दूर जो खुले हैं उनको बंद किये जा रहे हैं।
— Akash Anand (@AnandAkash_BSP) December 9, 2022
ऐसे कैसे पढ़ेगा इंडिया,और कैसे बढेगा इंडिया? केवल जुमलों से तो शिक्षा मिलने से रही। https://t.co/xblGN0Zsd6देश में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, 12-28% GST कॉपी कलम पर है, शिक्षक ज़्यादातर अपनी समस्याओं के लिए धरने पर रहते हैं,नए विद्यालय खुलने तो दूर जो खुले हैं उनको बंद किये जा रहे हैं।
— Akash Anand (@AnandAkash_BSP) December 9, 2022
ऐसे कैसे पढ़ेगा इंडिया,और कैसे बढेगा इंडिया? केवल जुमलों से तो शिक्षा मिलने से रही। https://t.co/xblGN0Zsd6
रितेश पांडेय ( Ambedkar Nagar MP Ritesh Pandey) ने लोकसभा में नोटिस देते हुए पूछा है कि क्या सरकार ने कम छात्रों वाले स्कूलों को बड़े विद्यालयों के साथ मिलाने के कार्य की समीक्षा की है? इससे शिक्षकों की बहाली पर क्या असर पड़ा है? निजी स्कूलों के छात्रों का कोई आकलन हुआ या नहीं? उन्होंने कहा है कि समुचित संख्या में स्कूल और शिक्षक नहीं होंगे तो फिर शिक्षा का क्या होगा. जब प्रारंभ में ही रास्ता बंद हो जाये? संसाधनों और सुविधाओं की भारी कमी भी है. उत्तर, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के गाँवों में स्थिति चिंताजनक है.
बसपा सांसद रितेश पांडेय (Ambedkar Nagar MP Ritesh Pandey) ने लोकसभा के सचिव को पत्र लिखते हुए कहा है कि ‘पड़ेगा इंडिया, तभी बढ़ेगा इंडिया’ और ‘स्कूल चलें हम’ जैसे नारे केवल नारे नहीं रह जाने चाहिए. देश की स्कूली शिक्षा पर संसद में विशेष चर्चा होनी चाहिए और एक संपूर्ण रिपोर्ट प्रकाशित की जानी चाहिए. इसलिए लोकसभा की कार्रवाई स्थगित कर सबसे पहले शिक्षा की बदहाल व्यवस्था को लेकर सदन में चर्चा की जानी चाहिए.
यह भी पढ़ें : शानदार लोकेशन और सरकार के प्रोत्साहन ने यूपी को बनाया फिल्म शूटिंग के लिए फेवरेट स्टेट