हैदराबादः मोदी सरकार के दूसरे टर्म का दो साल का कार्यकाल पूरा हो गया है. आज पीएम अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे. जिसमें यूपी से 3 से 4 नेताओं को जगह मिल सकती है. इस मंत्रिमंडल के विस्तार में यूपी का महत्व इसलिए भी है क्यों कि 2022 में विधान सभा चुनाव होने हैं. ऐसे में वोटबैंक की गणित बिगड़ ने जाए इसके लिए पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण और छोटे दलों को शामिल कर एनडीए का कुनबा बढ़ाने पर तरजीह दी जा सकती है.
इनको मिल सकती है तरजीह
जानकार बताते हैं कि पीएम मोदी के कैबिनेट विस्तार में यूपी के भी कई चेहरे शामिल हो सकते हैं. जिन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है. इन चेहरों में छोटे दलों को साधने के लिए अपना दल (सोनेवाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल, निषाद पार्टी के इलकलौते सांसद प्रवीण निषाद मंत्री बनाए जा सकते हैं. वहीं यूपी में माना जा रहा है कि सीएम योगी से ब्राह्मण वर्ग नाराज चल रहा है. जिसे बैलेंस करने के लिए सांसद रीता वहुगुणा जोशी को मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि चर्चाएं सीमा द्विवेदी को लेकर भी चल रही हैं कि उन्हें भी मंत्री का ओहदा मिल सकता है. ये दोनों महिलाएं प्रदेश की राजनीति में मजबूत पैठ के लिए जानी जाती हैं. हालांकि ब्राह्मण चेहरों में डॉक्टर रमापति राम त्रिपाठी और शिव प्रताप शुक्ला का भी नाम चल रहा है. युवा ब्राह्मण चेहरे के रूप में बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी पर भी दांव लगाया जा सकता है. हरीश द्विवेदी विद्यार्थी परिषद के पूर्णकालिक कार्यकर्ता रह चुके हैं. लंबे समय तक विद्यार्थी परिषद में काम करने के बाद वो भारतीय जनता पार्टी में आए हैं. लगातार दूसरी बार सांसद हैं. युवा सांसद होने के नाते पार्टी उन पर दांव लग सकता है.
हालांकि किसान यूनियन की सक्रियता को देखते हुए पश्चिमी यूपी से कैराना सांसद प्रदीप चौधरी का भी नाम सामने आ रहा है. एक सप्ताह पहले गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई प्रदीप चौधरी की मुलाकात को अलग नजरिए से देखा जा रहा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गुर्जरों में कैराना सांसद प्रदीप चौधरी और राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर का ज्यादा असर है. यही वजह है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए पार्टी इन्हें तवज्जो दे सकती है. सूत्रों की माने तो कैराना से सांसद प्रदीप चौधरी का नाम पहले नम्बर पर चल रहा है. पश्चिम उत्तर प्रदेश को साधने के लिए आगरा के सांसद एसपी बघेल और इटावा के सांसद डॉक्टर रामशंकर कठेरिया का भी नाम रेस में है.
वहीं जाट समुदाय को खुश करने के लिए मुजफ्फरनगर से सांसद डॉक्टर संजीव बालियान का कद बढ़ाने की चर्चाएं हैं. वहीं पिछली सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे बागपत सांसद डॉक्टर सत्यपाल सिंह का नाम भी मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने की संभावनाएं लगाई जा रही हैं. लेकिन एक साथ दो जाट नेताओं को शामिल करना बीजेपी के लिए परेशानी भी खड़ी कर सकती है. जानकारी के मुताबिक राजस्थान से एक जाट चेहरे को मंत्रिमंडल में लेने की बात चल रही है. जिससे बागपत सांसद सत्यपाल सिंह की दावेदारी कमजोर नजर आ रही हैं. यही वजह है कि बीजेपी के पास अन्य जातियों के अलावा कोई विकल्प नही है. यूपी में 2022 विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी कोई भी बड़ा फ़ैसला ले सकती है.
पूर्वांचल साधना बीजेपी के लिए जरूरी
राजनीतिक विश्लेषक अशोक राजपूत कहते हैं कि पूर्वांचल बिगड़ने से पार्टी के शीर्ष नेताओं पर भी सवाल खड़े होंगे. दरअसल वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जनपद गोरखपुर है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य प्रयागराज से आते हैं. ऐसे में पूर्वांचल का समीकरण बिगड़ना बीजेपी के लिए कतई ठीक नहीं होगा. बीजेपी का जोर पिछड़ी और दलितों को साधना है. माना जा रहा है कि सवर्ण बीजेपी के साथ है. किसान आंदोलन के चलते पश्चिम उत्तर प्रदेश में बीजेपी कुछ कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है. इसलिए भी पूर्वी उत्तर प्रदेश को मजबूती से साधने की कोशिश बीजेपी की तरफ से की जाएगी.
इसे भी पढ़ें- मोदी 2.0 : पहला मंत्रिमंडल विस्तार आज, सभी नेता पहुंचे दिल्ली
पीएम मोदी के नए मंत्रिमंडल में 17 से 22 मंत्री शपथ लेंगे. माना जा रहा है कि जिन राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. उन राज्यों में सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल में तरजीह देकर एनडीए का कुनबा बढ़ाया जा सकता है.
इसे भी पढ़ें- बीजेपी प्रदेश कार्य समिति की बैठक आज, होंगे कई बड़े फैसले
आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में 81 सदस्य हो सकते हैं. और इस समय पीएम मोदी के कैबिनेट में 53 मंत्री हैं. यानि 28 और मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है.