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मिलिंग प्रोसेस की मदद से एलडीए करेगा रोड को रिसाइकल

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लखनऊ विकास प्राधिकरण मिलिंग प्रोसेस की मदद से सड़कों का निर्माण करेगा.

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Published : Aug 30, 2019, 1:05 PM IST

मिलिंग प्रोसेस की मदद से एलडीए करेगा रोड को रिसाइकल

लखनऊ: आमतौर पर रोड को बार-बार बनाए जाने पर रोड और फुटपाथ या आसपास के घर की ऊंचाई बढ़ जाती है. अब एलडीए मिलिंग प्रोसेस की तकनीक से रोड को बनाएगा, जिससे रोड और फुटपाथ के बीच की ऊंचाई को खत्म किया जाएगा.

मिलिंग प्रोसेस की मदद से एलडीए करेगा रोड को रिसाइकल

एलडीए करेगा नई तकनीकि से सड़क निर्माण

  • मिलिंग प्रोसेस द्वारा एलडीए लखनऊ में रोड का निर्माण करेगा .
  • लखनऊ विकास प्राधिकरण फर्म को दस साल के लिए रोड का कॉन्ट्रैक्ट देगा.
  • दस साल के अंदर अगर कोई भी रोड में समस्या आती है तो उसके लिए वह फर्म जिम्मेदार होगी.
  • हर तीन साल में रोड का नवीनीकरण किया जाता है.
  • इस वजह से हर बार रोड बनने के बाद उसकी ऊंचाई में ढाई से चार सेंटीमीटर का अंतर आता है.
  • इस तकनीकि में रोड की ऊंचाई को बिना बढ़ाएं ही रोड का नवीनीकरण किया जाएगा.

क्या है मिलिंग प्रोसेस
इस प्रोसेस में इस्तेमाल की जाने वाली मशीन की कीमत तो काफी महंगी है, लेकिन प्रोसेस के जरिए प्राप्त की गई गिट्टियों को लगभग 30% रोड बनाने में दोबारा से इस्तेमाल में लाया जा सकता है. रोड बनाने में काफी फायदा मिलेगा. इसके साथ ही सीआरआरआई के द्वारा अनुमोदित एक और तकनीक का भी लखनऊ विकास प्राधिकरण इस्तेमाल करेगा जिसे माइक्रोसर्फेसिंग कहते हैं. इसमें हाई स्ट्रैंथ मटेरियल का यूज किया जाएगा, जिससे उतनी ही मजबूती आएगी, जितना कि एक नॉर्मल रोड बनाने में मिलती है.

ये भी पढ़ें:- करोड़ों की लागत से बना रोड कुछ ही दिनों में हुआ था जर्जर, दो साल से राहगीर हैं परेशान

एलडीए अब मिलिंग प्रोसेस के जरिए रोड का निर्माण करेगा, जिसमें रोड को करीब 2 से 6 सेंटीमीटर तक मशीन द्वारा खोदा जाएगा, जिससे निकली हुई गिट्टियों का दोबारा से इस्तेमाल कर उसी रोड का निर्माण किया जाएगा.
-इंदु शेखर सिंह, एलडीए के मुख्य अभियंता

लखनऊ: आमतौर पर रोड को बार-बार बनाए जाने पर रोड और फुटपाथ या आसपास के घर की ऊंचाई बढ़ जाती है. अब एलडीए मिलिंग प्रोसेस की तकनीक से रोड को बनाएगा, जिससे रोड और फुटपाथ के बीच की ऊंचाई को खत्म किया जाएगा.

मिलिंग प्रोसेस की मदद से एलडीए करेगा रोड को रिसाइकल

एलडीए करेगा नई तकनीकि से सड़क निर्माण

  • मिलिंग प्रोसेस द्वारा एलडीए लखनऊ में रोड का निर्माण करेगा .
  • लखनऊ विकास प्राधिकरण फर्म को दस साल के लिए रोड का कॉन्ट्रैक्ट देगा.
  • दस साल के अंदर अगर कोई भी रोड में समस्या आती है तो उसके लिए वह फर्म जिम्मेदार होगी.
  • हर तीन साल में रोड का नवीनीकरण किया जाता है.
  • इस वजह से हर बार रोड बनने के बाद उसकी ऊंचाई में ढाई से चार सेंटीमीटर का अंतर आता है.
  • इस तकनीकि में रोड की ऊंचाई को बिना बढ़ाएं ही रोड का नवीनीकरण किया जाएगा.

क्या है मिलिंग प्रोसेस
इस प्रोसेस में इस्तेमाल की जाने वाली मशीन की कीमत तो काफी महंगी है, लेकिन प्रोसेस के जरिए प्राप्त की गई गिट्टियों को लगभग 30% रोड बनाने में दोबारा से इस्तेमाल में लाया जा सकता है. रोड बनाने में काफी फायदा मिलेगा. इसके साथ ही सीआरआरआई के द्वारा अनुमोदित एक और तकनीक का भी लखनऊ विकास प्राधिकरण इस्तेमाल करेगा जिसे माइक्रोसर्फेसिंग कहते हैं. इसमें हाई स्ट्रैंथ मटेरियल का यूज किया जाएगा, जिससे उतनी ही मजबूती आएगी, जितना कि एक नॉर्मल रोड बनाने में मिलती है.

ये भी पढ़ें:- करोड़ों की लागत से बना रोड कुछ ही दिनों में हुआ था जर्जर, दो साल से राहगीर हैं परेशान

एलडीए अब मिलिंग प्रोसेस के जरिए रोड का निर्माण करेगा, जिसमें रोड को करीब 2 से 6 सेंटीमीटर तक मशीन द्वारा खोदा जाएगा, जिससे निकली हुई गिट्टियों का दोबारा से इस्तेमाल कर उसी रोड का निर्माण किया जाएगा.
-इंदु शेखर सिंह, एलडीए के मुख्य अभियंता

Intro:आमतौर पर रोड को बार-बार बनाए जाने पर रोड और फुटपाथ या आसपास के घर की ऊंचाई बढ़ जाती है लेकिन अब एलडीए मिलिंग प्रोसेस की तकनीक से रोड को बनाएगा जिससे रोड और फुटपाथ के बीच की ऊंचाई को खत्म किया जाएगा।


Body:ईटीवी भारत को जानकारी देते हुए एलडीए के मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह ने बताया कि एलडीए अब मिलिंग प्रोसेस के जरिए रोड का निर्माण करेगा जिसमें रोड को करीब 2 से 6 सेंटीमीटर तक मशीन द्वारा खुद आ जाएगा जिससे निकली हुई वीडियो का दोबारा से इस्तेमाल कर उसी रोड का निर्माण किया जाएगा। इस तकनीक के जरिए जहां एक तरफ रोड की ऊंचाई को फुटपाथ आसपास के घरों के बराबर रखते हुए रोड का नवीनीकरण होगा तो वहीं दूसरी तरफ नेचुरल रिसोर्सेज जहां से को प्राप्त किया जाता है उन पर भी भार कम पड़ेगा।

मुख्य अभियंता ने बताया कि हर 3 साल में हम रोड का नवीनीकरण करते हैं जिसकी वजह से हर बार रोड बनने के बाद उसकी ऊंचाई में ढाई से 4 सेंटीमीटर का अंतर आता है लेकिन सीआरआरआई के द्वारा अनुमोदित तकनीक जिसे मिलिंग प्रोसेस कहते हैं इसके द्वारा एलडीए लखनऊ में रोड का निर्माण करेगा जिससे रोड की ऊंचाई को बिना बढ़ाएं ही रोड का नवीनीकरण किया जाएगा।

इस प्रोसेस में इस्तेमाल की जाने वाली मशीन की कीमत तो काफी महंगी है लेकिन प्रोसेस के जरिए प्राप्त की गई गिट्टियों का लगभग 30% रोड बनाने में दोबारा से इस्तेमाल में लाया जा सकता है जिससे ऑडियो को रोड बनाने में काफी फायदा मिलेगा। साथ ही सीआरआरआई के द्वारा अनुमोदित एक और तकनीक का भी लखनऊ विकास प्राधिकरण इस्तेमाल करेगा जिसे माइक्रोसर्फेसिंग कहते हैं इसमें हाई स्ट्रैंथ मटेरियल का यूज किया जाएगा जिससे उतनी ही मजबूती आएगी जितना कि एक नॉर्मल रोड बनाने में मिलती है।

माइक्रोसर्फेसिंग के जरिए रोड बनाने में जहां पर ऊंचाई रोड की ढाई से 6 सेंटीमीटर बढ़ती है वहां 9 एमएम तक ही रोड की ऊंचाई बढ़ेगी और मजबूती सामान्य रोड से अधिक होगी।

इन तकनीकों के जरिए रोड बनाने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण फॉर्म को 10 साल के लिए रोड का कॉन्ट्रैक्ट देगा जिससे 10 साल के अंदर अगर कोई भी रोड में समस्या आती है तो उसके लिए वह पर जिम्मेदार होगी।

बाइट- इंदु शेखर सिंह( मुख्य अभियंता लखनऊ विकास प्राधिकरण)


Conclusion:लखनऊ विकास प्राधिकरण लखनऊ मैं मिलिंग व माइक्रोसर्फेसिंग तकनीक के जरिए रोड का निर्माण करेगा जिससे रोड की के नवीनीकरण के दौरान उसकी ऊंचाई में कोई भी फर्क नहीं आएगा। साथ ही इस प्रोसेस के जरिए रोड के निर्माण के लिए जिम्मेदार फर्म को 10 साल का टेंडर भी दिया जाएगा जिससे उसके निर्माण के बाद यदि रोड में कोई खामी पाई जाती है तो उसके लिए वह संबंधित फर्म जिम्मेदार होगी।

योगेश मिश्रा लखनऊ
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