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एलडीए के उपाध्यक्ष ने संपत्तियों के समायोजन पर लगाई रोक

लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) में संपत्तियों के समायोजन के सम्बंध में बड़ा फैसला लिया गया है. अब प्राधिकरण की संपत्तियों का निस्तारण ई-नीलामी के जरिए ही हो सकेगा.

एलडीए
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Published : Jun 19, 2021, 10:41 AM IST

लखनऊ: ऑपरेशन क्लीन (Operation Clean) के तहत लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) में संपत्तियों के समायोजन पर रोक लगा दी गई है. प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व जिला अधिकारी अभिषेक प्रकाश ने समायोजन 'एक भूखंड के बदले दूसरा भूखंड' देने की योजना पर रोक लगा दी है. अब प्राधिकरण की संपत्तियों का निस्तारण ई-नीलामी के जरिए ही हो सकेगा.

संपत्तियों के समायोजन पर आ रही थी शिकायतें

एलडीए (LDA) उपाध्यक्ष के मुताबिक, प्राधिकरण में संपत्तियों के प्राधिकरण स्तर पर समायोजन को लेकर भ्रष्टाचार की काफी शिकायतें आ रही थी. पक्षपात के आरोप लग रहे थे. कुछ लोगों को लाभ देने के लिए अधिकार का दुरुपयोग किया जा रहा था. जिसके चलते यह रोक लगाई गई है. अब कोर्ट के आदेश अथवा विवाद की स्थिति में आवास एवं शहरी नियोजन को समायोजन संबंधित प्रस्ताव भेजा जाएगा. प्राधिकरण में अब व्यवसायिक संपत्तियों की ई-नीलामी होगी. ई-नीलामी के अलावा संपत्तियों के निस्तारण के लिए कोई दूसरा माध्यम नहीं अपनाया जाएगा.


इसके पूर्व एलडीए में उपाध्यक्ष के स्तर पर छोटे भूखंड के बदले 400 वर्ग मीटर या उससे बड़े भूखंड का समायोजन किया जाता रहा है. इससे विकास प्राधिकरण को नुकसान और प्राधिकरण के अधिकारी और आवंटी फायदा उठाते रहे हैं. प्राधिकार उपाध्यक्ष के मुताबिक, विशेष परिस्थितियों में न्यायालय के आदेश अथवा विवाद के समाधान पर समायोजन की संभावना बनती है, तो गुण दोष के आधार पर आवास एवं शहरी नियोजन विभाग को प्रस्ताव भेजा जाएगा. शहरी नियोजन विभाग से हुए फैसले को कोई अंतिम फैसला माना जाएगा.

इस तरह होता था दुरुपयोग

विभागीय अधिकारी चरागाह धार्मिक स्थल न देकर गलत स्थान पर बनी संपत्तियों का आवंटन पहले कर देते थे. ऐसे लोगों से सुविधा शुल्क लेकर उन्हें दूसरे स्थानों पर जहां जमीन महंगी होती थी, उपलब्ध करा दी जाती थी. हालांकि, नियम यह था कि एक योजना का समायोजन उसी योजना में किया जाना चाहिए, लेकिन गोमती नगर, वसंत कुंज, जानकीपुरम और महंगे लोकेशन वाले जमीन में यह प्रक्रिया अपनाई गई. इससे प्राधिकरण को करोड़ों की चपत लगी.

अब पैसा वापस लेने का विकल्प

एलडीए में उन आवंटियों जिन्हें गलत स्थानों पर जमीन दे दी गई थी, उनके पास 4 प्रतिशत ब्याज के साथ पैसा वापस लेने अथवा न्यायालय में जाने का ही विकल्प रह गया है. मानसरोवर, कानपुर रोड, गोमती नगर विस्तार तथा जानकीपुरम के ऐसे सैकड़ों आवंटी अभी भी भटक रहे हैं.

चंदन अस्पताल प्रकरण के बाद से एलडीए गंभीर

हाल ही में राजधानी में प्राइम लोकेशन पर स्थित जमीन पर चंदन अस्पताल को बिना प्रक्रिया अपनाएं स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को लेकर प्राधिकरण पर गंभीर आरोप लगे थे. इसके बाद प्राधिकरण चंदन अस्पताल को जमीन देने का प्रस्ताव निरस्त कर दिया था. इसके बाद भी आरोपों का सिलसिला नहीं थमा और प्राधिकरण द्वारा समायोजित की गई संपत्तियों की जांच की मांग की जाने लगी. शिकायतकर्ताओं ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की थी. ऐसा माना जाता है कि आरोपों को देखते हुए एलडीए उपाध्यक्ष ने समायोजन पर रोक लगाई.

लखनऊ: ऑपरेशन क्लीन (Operation Clean) के तहत लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) में संपत्तियों के समायोजन पर रोक लगा दी गई है. प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व जिला अधिकारी अभिषेक प्रकाश ने समायोजन 'एक भूखंड के बदले दूसरा भूखंड' देने की योजना पर रोक लगा दी है. अब प्राधिकरण की संपत्तियों का निस्तारण ई-नीलामी के जरिए ही हो सकेगा.

संपत्तियों के समायोजन पर आ रही थी शिकायतें

एलडीए (LDA) उपाध्यक्ष के मुताबिक, प्राधिकरण में संपत्तियों के प्राधिकरण स्तर पर समायोजन को लेकर भ्रष्टाचार की काफी शिकायतें आ रही थी. पक्षपात के आरोप लग रहे थे. कुछ लोगों को लाभ देने के लिए अधिकार का दुरुपयोग किया जा रहा था. जिसके चलते यह रोक लगाई गई है. अब कोर्ट के आदेश अथवा विवाद की स्थिति में आवास एवं शहरी नियोजन को समायोजन संबंधित प्रस्ताव भेजा जाएगा. प्राधिकरण में अब व्यवसायिक संपत्तियों की ई-नीलामी होगी. ई-नीलामी के अलावा संपत्तियों के निस्तारण के लिए कोई दूसरा माध्यम नहीं अपनाया जाएगा.


इसके पूर्व एलडीए में उपाध्यक्ष के स्तर पर छोटे भूखंड के बदले 400 वर्ग मीटर या उससे बड़े भूखंड का समायोजन किया जाता रहा है. इससे विकास प्राधिकरण को नुकसान और प्राधिकरण के अधिकारी और आवंटी फायदा उठाते रहे हैं. प्राधिकार उपाध्यक्ष के मुताबिक, विशेष परिस्थितियों में न्यायालय के आदेश अथवा विवाद के समाधान पर समायोजन की संभावना बनती है, तो गुण दोष के आधार पर आवास एवं शहरी नियोजन विभाग को प्रस्ताव भेजा जाएगा. शहरी नियोजन विभाग से हुए फैसले को कोई अंतिम फैसला माना जाएगा.

इस तरह होता था दुरुपयोग

विभागीय अधिकारी चरागाह धार्मिक स्थल न देकर गलत स्थान पर बनी संपत्तियों का आवंटन पहले कर देते थे. ऐसे लोगों से सुविधा शुल्क लेकर उन्हें दूसरे स्थानों पर जहां जमीन महंगी होती थी, उपलब्ध करा दी जाती थी. हालांकि, नियम यह था कि एक योजना का समायोजन उसी योजना में किया जाना चाहिए, लेकिन गोमती नगर, वसंत कुंज, जानकीपुरम और महंगे लोकेशन वाले जमीन में यह प्रक्रिया अपनाई गई. इससे प्राधिकरण को करोड़ों की चपत लगी.

अब पैसा वापस लेने का विकल्प

एलडीए में उन आवंटियों जिन्हें गलत स्थानों पर जमीन दे दी गई थी, उनके पास 4 प्रतिशत ब्याज के साथ पैसा वापस लेने अथवा न्यायालय में जाने का ही विकल्प रह गया है. मानसरोवर, कानपुर रोड, गोमती नगर विस्तार तथा जानकीपुरम के ऐसे सैकड़ों आवंटी अभी भी भटक रहे हैं.

चंदन अस्पताल प्रकरण के बाद से एलडीए गंभीर

हाल ही में राजधानी में प्राइम लोकेशन पर स्थित जमीन पर चंदन अस्पताल को बिना प्रक्रिया अपनाएं स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को लेकर प्राधिकरण पर गंभीर आरोप लगे थे. इसके बाद प्राधिकरण चंदन अस्पताल को जमीन देने का प्रस्ताव निरस्त कर दिया था. इसके बाद भी आरोपों का सिलसिला नहीं थमा और प्राधिकरण द्वारा समायोजित की गई संपत्तियों की जांच की मांग की जाने लगी. शिकायतकर्ताओं ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की थी. ऐसा माना जाता है कि आरोपों को देखते हुए एलडीए उपाध्यक्ष ने समायोजन पर रोक लगाई.

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